और यहोवा परमेश्वर ने पूर्व की ओर अदन देश में एक वाटिका लगाई; और वहां आदम को जिसे उसने रचा था, रख दिया। और यहोवा परमेश्वर ने भूमि से सब भांति के वृक्ष, जो देखने में मनोहर और जिनके फल खाने में अच्छे हैं उगाए, और वाटिका के बीच में जीवन के वृक्ष को और भले या बुरे के ज्ञान के वृक्ष को भी लगाया। (उत्पत्ति २:८-९)
नीतिवचन की पुस्तक जीवन के वृक्ष का उल्लेख करती है
नीतिवचन ३:१८
नीतिवचन ११:३०
नीतिवचन १३:१२
नीतिवचन १५:४
जीवन का वृक्ष निम्नलिखित वचनों में भी वर्णित है
यहेजकेल ४७:१२
प्रकाशितवाक्य २:७
प्रकाशितवाक्य २२:२
प्रकाशितवाक्य २२:१४
और उस वाटिका को सींचने के लिये एक महानदी अदन से निकली और वहां से आगे बहकर चार धारा में हो गई। ११ पहिली धारा का नाम पीशोन है, यह वही है जो हवीला नाम के सारे देश को जहां सोना मिलता है घेरे हुए है। १२ उस देश का सोना चोखा होता है, वहां मोती और सुलैमानी पत्थर भी मिलते हैं। १३ और दूसरी नदी का नाम गीहोन है, यह वही है जो कूश के सारे देश को घेरे हुए है। १४ और तीसरी नदी का नाम हिद्देकेल है, यह वही है जो अश्शूर के पूर्व की ओर बहती है। और चौथी नदी का नाम फरात है। (उत्पत्ति २: १०-१४)
पीशोन, अदन के चार नदियों में से पहली है।
बाकि गीहोन, हिद्देकेल और फरात हैं - उत्पत्ति २:११-१४)। हिद्देकेल और फरात को आज दजला और फरात के रूप में जाना जाता है, लेकिन पीशोन और गीहोन लगता है कि, -अहं अवलोकनीय वास्तविकता में कोई परिवर्तन नहीं।
पीशोन नदी के बारे में यह कहा जाता है कि, "हवाला की पूरी भूमि के चारों ओर बहती है, जहाँ सोना है" (उत्पत्ति २:११)।
तब यहोवा परमेश्वर ने आदम को ले कर अदन की वाटिका में रख दिया, कि वह उस में काम करे और उसकी रक्षा करे। (उत्पत्ति २:१५)
ध्यान दें, कि परमेश्वर ने आदम को बगीचे में रेहना और देखभाल करने का आज्ञा दि, लेकिन उस से पहले ही पाप प्रवेश कर चूका था। दूसरे शब्दों में, आदम की नौकरी सीधे परमेश्वर कि ओर से मिली, और यह उसकी संपूर्ण रचना का एक हिस्सा था। आदम इधर-उधर नहीं भटक रहा था, वह एक परमेश्वर प्रदत्त नौकरी पर था। हर एक व्यक्ति को काम करना चाहिए।
काम करना, मनुष्य जाति के पाप के बारे में आए श्राप का एक हिस्सा नहीं है। परमेश्वर का अर्थ है कि हम काम में उद्देश्य और संतुष्टि पाएं, और वह हमें उस कार्य में सफल होने और उपयोगी होने की इच्छा देता है।
जो भी आपका काम हो, उस पर (आत्मा से) मन से काम करें, जैसा कि [कुछ किया] प्रभु के लिए और मनुष्य के लिए नहीं (कुलुस्सियों ३:२३)
कभी-कभी, मसीह अपने कार्यस्थलों पर बहुत अच्छे गवाह नहीं होते हैं। लगातार मसीह सभाओं के लिए छुट्टियां लेना,
और ज्यादा मात्रा में बहुत देर से पहुँचना उनकी स्वभाव को भंग करता है। बातें सुनाता है और उन पर नहीं चलता यह एक विशेष सच्चाई है।
इसलिए, आज अपनी काम को पसंद करे जो परमेश्वर के हित में है, क्योंकि सच्चाई में यह मायने रखती है!
तब यहोवा परमेश्वर ने आदम को भारी नीन्द में डाल दिया, और जब वह सो गया तब उसने उसकी एक पसली निकाल कर उसकी सन्ती मांस भर दिया।
२२ और यहोवा परमेश्वर ने उस पसली को जो उसने आदम में से निकाली थी, स्त्री बना दिया; और उसको आदम के पास ले आया। (उत्पत्ति २:२१-२२)
हमने अक्सर प्रथा कहावत सुनी है, "हर सफल आदमी के पीछे एक महिला होती है" मैं कहावत से सहमत नहीं होना चाहूंगा क्योंकि स्त्री को रीढ़ की हड्डी से नहीं निकाला था बल्कि उस पुरुष की पसली से निकाला था। इसलिए मैं कहना चाहूंगा कि हर सफल आदमी के पास एक महिला होती है।
आदम की दुल्हन - हव्वा को उसकी एक पसली निकाल था। यहां तक कि मसीह की दुल्हन, कलीसिया को उसके पसली से निकाला था जब वह छिदा गया था।
यूहन्ना १९:३४ कहता है कि, "परन्तु सिपाहियों में से एक ने बरछे से उसका पंजर बेधा और उस में से तुरन्त लोहू और पानी निकला।" यूहन्ना १९:३७ हमें बताती है कि, "फिर एक और स्थान पर यह लिखा है, कि जिसे उन्होंने बेधा है, उस पर दृष्टि करेंगे॥ "
प्रभु के छेदा से दो पदार्थ निकले:
१. लहू और
२. पानी
कलीसिया को खरीद ने और अपने पापों से समझौता करने के लिए (इब्रानियों ९:२२) लहू बहाना जरुरी है (प्रेरितों के काम २०:२८) ।
कलीसिया का निर्माण और मृत्यु से समझौता के लिए पानी जीवन प्रदान करने के लिए है (इफिसियों ५:२९-३०) ।
दोनों सच्चाई में, यह "दुल्हन की कीमत" थी। आदम ने एक पसली दी। मसीह ने अपना जीवन दिया।
१ कुरिन्थियों ६:२० कहता है, "क्योंकि दाम देकर मोल लिये गए हो, इसलिये अपनी देह के द्वारा परमेश्वर की महिमा करो।"
और आदम ने कहा
अब यह मेरी हड्डियों में की हड्डी
और मेरे मांस में का मांस है:
सो इसका नाम नारी होगा,
क्योंकि यह नर में से निकाली गई है। (उत्पत्ति २:२३)
क्या यह बाइबिल में ज्ञान का पहला वचन था? मेरे कहने का कारण यह है कि आदम वास्तव में नहीं जानता था कि उसके साथ क्या हुआ।
Chapters
- अध्याय १
- अध्याय २
- अध्याय ३
- अध्याय ४
- अध्याय ५
- अध्याय ६
- अध्याय ७
- अध्याय ८
- अध्याय ९
- अध्याय १०
- अध्याय ११
- अध्याय १२
- उत्पत्ति १३
- उत्पत्ति १४
- उत्पत्ति १५
- उत्पत्ति १६
- अध्याय १७
- अध्याय १८
- अध्याय १९
- अध्याय २०
- अध्याय २१
- अध्याय - २२
- अध्याय - २३
- अध्याय २४
- अध्याय २५
- अध्याय - २६
- अध्याय २७
- अध्याय २८
- अध्याय २९
- अध्याय ३०
- अध्याय ३१
- अध्याय ३२
- अध्याय ३३
- अध्याय ३४
- अध्याय ३५
- अध्याय ३६
- अध्याय ३७
- अध्याय ३८
- अध्याय ३९
- अध्याय ४०
- अध्याय ४१
- अध्याय ४२
- अध्याय ४३
- अध्याय ४४
- अध्याय ४५
- अध्याय ४६
- अध्याय ४७
- अध्याय ४८
- अध्याय ४९
- अध्याय ५०