फिर उसने अपने भाइयों में से पांच जन ले कर फिरौन के साम्हने खड़े कर दिए। (उत्पत्ति ४७:२)
पाँच लोग दुनिया को प्रभु यीशु के पाँच गुना सेवकाई को दर्शाते थे
और यदि तू जानता हो, कि उन में से परिश्रमी पुरूष हैं, तो उन्हें मेरे पशुओं के अधिकारी ठहरा दे। (उत्पत्ति ४७:६)
फिरौन सिर्फ पुरुषों के लिए नहीं बल्कि सक्षम पुरुषों की तलाश में है। इसी तरह दुनिया हमेशा सक्षम पुरुषों और महिलाओं की तलाश में रहती हैं।
तब यूसुफ ने अपने पिता याकूब को ले आकर फिरौन के सम्मुख खड़ा किया: और याकूब ने फिरौन को आशीर्वाद दिया। (उत्पत्ति ४७:७)
प्रभु यीशु दुनिया में पिता का परिचय देने आए थे
याकूब ने फिरौन से कहा, मैं तो एक सौ तीस वर्ष परदेशी हो कर अपना जीवन बीता चुका हूं; मेरे जीवन के दिन थोड़े और दु:ख से भरे हुए भी थे, और मेरे बापदादे परदेशी हो कर जितने दिन तक जीवित रहे उतने दिन का मैं अभी नहीं हुआ। (उत्पत्ति ४७:९)
याकूब अपने जीवन को तीर् थकहते हैं।
एक यात्रा एक तीर्थ यात्रा बन जाती है जब यह दूरी कम मायने रखती है और इससे प्राप्त ज्ञान अधिक मायने रखता है।
जब मिस्र और कनान देश का रूपया चुक गया, तब सब मिस्री यूसुफ के पास आ आकर कहने लगे, हम को भोजनवस्तु दे, क्या हम रूपये के न रहने से तेरे रहते हुए मर जाएं? (उत्पत्ति ४७:१५)
एक समय आ रहा है जब धन का मूल्य बहुत कम हो जाएगा। यह विशेष रूपसे क्लेश के समय में होगा।
तब यूसुफ ने प्रजा के लोगों से कहा, सुनो, मैं ने आज के दिन तुम को और तुम्हारी भूमि को भी फिरौन के लिये मोल लिया है; देखो, तुम्हारे लिये यहां बीज है, इसे भूमि में बोओ।और जो कुछ उपजे उसका पंचमांश फिरौन को देना, बाकी चार अंश तुम्हारे रहेंगे, कि तुम उसे अपने खेतों में बोओ, और अपने अपने बालबच्चों और घर के और लोगों समेत खाया करो।उन्होंने कहा, तू ने हम को बचा लिया है: हमारे प्रभु के अनुग्रह की दृष्टि हम पर बनी रहे, और हम फिरौन के दास हो कर रहेंगे।सो यूसुफ ने मिस्र की भूमि के विषय में ऐसा नियम ठहराया, जो आज के दिन तक चला आता है, कि पंचमांश फिरौन को मिला करे; केवल याजकों ही की भूमि फिरौन की नहीं हुई। (उत्पत्ति ४७:२३-२६)
यूसुफ़ ने एक कानून बनाया कि मिस्रियों को अपनी उपजका १/५ - २०% देने की आवश्यकता की और फिर भी मिस्र के लोग अपनी जान बचाने के लिए यूसुफ़ के आभारी थे। प्रभु कहते हैं कि मुझे दशमांश दो और फिर भी हम कुड़कुड़ाते हैं।
Chapters
- अध्याय १
- अध्याय २
- अध्याय ३
- अध्याय ४
- अध्याय ५
- अध्याय ६
- अध्याय ७
- अध्याय ८
- अध्याय ९
- अध्याय १०
- अध्याय ११
- अध्याय १२
- उत्पत्ति १३
- उत्पत्ति १४
- उत्पत्ति १५
- उत्पत्ति १६
- अध्याय १७
- अध्याय १८
- अध्याय १९
- अध्याय २०
- अध्याय २१
- अध्याय - २२
- अध्याय - २३
- अध्याय २४
- अध्याय २५
- अध्याय - २६
- अध्याय २७
- अध्याय २८
- अध्याय २९
- अध्याय ३०
- अध्याय ३१
- अध्याय ३२
- अध्याय ३३
- अध्याय ३४
- अध्याय ३५
- अध्याय ३६
- अध्याय ३७
- अध्याय ३८
- अध्याय ३९
- अध्याय ४०
- अध्याय ४१
- अध्याय ४२
- अध्याय ४३
- अध्याय ४४
- अध्याय ४५
- अध्याय ४६
- अध्याय ४७
- अध्याय ४८
- अध्याय ४९
- अध्याय ५०