और तू अपने विरोधियों को अपने महाप्रताप से गिरा देता है; तू अपना कोप भड़काता, और वे भूसे की नाईं भस्म हो जाते हैं॥ (निर्गमन १५:७)
हे यहोवा, तेरा दहिना हाथ शक्ति में महाप्रतापी हुआ हे यहोवा, तेरा दहिना हाथ शत्रु को चकनाचूर कर देता है॥ (निर्गमन १५:६)
प्रार्थना: पिता, आपकी महिमा की महाप्रतापी में मेरे, मेरे परिवार और सेविकाई के खिलाफ उठने वालों को उखाड़ के फेंक। आगे तक तू अपना कोप भड़काता, और वे भूसे की नाईं भस्म हो जाते हैं॥ यीशु के नाम में।
शत्रु ने कहा था,
मैं पीछा करूंगा,
मैं जा पकडूंगा,
मैं लूट के माल को बांट लूंगा,
उन से मेरा जी भर जाएगा।
मैं अपनी तलवार खींचते ही
अपने हाथ से उन को नाश कर डालूंगा॥ (निर्गमन १५:९)
शत्रु क्या कह रहा है?
शत्रु ने कहा:
१. मैं पीछा करूंगा,
२. मैं जा पकडूंगा,
३. मैं लूट के माल को बांट लूंगा,
४. उन से मेरा जी भर जाएगा।
५. मैं अपनी तलवार खींचते ही
६. अपने हाथ से उन को नाश कर डालूंगा॥
स्तुति
हे यहोवा, देवताओं में तेरे तुल्य कौन है?
तू तो पवित्रता के कारण महाप्रतापी,
और अपनी स्तुति करने वालों के भय के योग्य, और आश्चर्य कर्म का कर्त्ता है॥ (निर्गमन १५:११)
तब मूसा इस्राएलियों को लाल समुद्र से आगे ले गया, और वे शूर नाम जंगल में आए; और जंगल में जाते हुए तीन दिन तक पानी का सोता न मिला। फिर मारा नाम एक स्थान पर पहुंचे, वहां का पानी खारा था, उसे वे न पी सके; इस कारण उस स्थान का नाम मारा पड़ा। तब वे यह कहकर मूसा के विरुद्ध बकझक करने लगे, कि हम क्या पीएं? (निर्गमन १५:२२-२४)
यहाँ हम लोगों को बड़बड़ाते और शिकायत करते हुए देखते हैं। तीन दिन पहले ही उन्होंने परमेश्वर को उनके लिए लाल समुंदर को खोलते हुए देखा था। वे सूखी भूमि पर लाल समुंदर से चले थे। उनके शत्रु मिस्र के लोग उसी लाल समुंदर में डूब गए थे। उन्होंने समय से पहले यहोवा के सामने नृत्य किये और अब वे बड़बड़ा रहे है। टिम्बल की आवाज़ से बड़बड़ाने की आवाज़ तक - सिर्फ तीन दिनों में क्या कितना बदलाव आया।
यह मनुष्य की चंचल प्रकृति को दर्शाता है। मनुष्य ईश्वर की भलाई को कितनी जल्दी भूल जाता है। कैसे जल्द ही मनुष्य उन सभी चीजों को भूल जाता है जो भगवान ने उसके लिए अतीत में काम किया है। हम में से कुछ हैं, हम जीवित नहीं होते तो यह यहोवा के लिए नहीं होता।
Chapters
- अध्याय १
- अध्याय २
- अध्याय ३
- अध्याय ४
- अध्याय ५
- अध्याय ६
- अध्याय ७
- अध्याय ८
- अध्याय ९
- अध्याय १०
- अध्याय ११
- अध्याय १२
- अध्याय १३
- अध्याय १४
- अध्याय १५
- अध्याय १६
- अध्याय १७
- अधाय १८
- अध्याय १९
- अध्याय २०
- अध्याय २१
- अध्याय २२
- अध्याय २३
- अध्याय २४
- अध्याय २५
- अध्याय २६
- अध्याय २७
- अध्याय २८
- अध्याय २९
- अध्याय ३०
- अध्याय ३१
- अध्याय ३२
- अध्याय ३३
- अध्याय ३४
- अध्याय ३५
- अध्याय ३६
- अध्याय ३७
- अध्याय ३८
- अध्याय ३९
- अध्याय ४०