तब यहोवा ने मूसा के कहा, 2 “मैंने यहूदा के कबीले से ऊरो के पुत्र बसलेल को चुना है। ऊरो हूर का पुत्र था। 3 मैंने बसलेल को परमेश्वर की आत्मा से भर दिया है, अर्थात् मैंने उसे सभी प्रकार की चीज़ों को करने का ज्ञान और निपुर्णता दे दी है।, (निर्गमन 31:1-3)
परमेश्वर की पवित्र आत्मा को कार्य को पूरा करने के लिए हमें सुसज्जित और सहायता करनी चाहिए, चाहे वह पुराने नियम में तम्बू का निर्माण करना हो, नए नियम में कलीसिया का निर्माण करना हो, या आज हमारे जीवन और सेवकायों का निर्माण करना हो।
मैंने ओहोलीआब को भी उसके साथ काम करने को चुना है। आहोलीआब दान कबीले के अहीसामाक का पुत्र है और मैंने दूसरे सब श्रमिकों को भी ऐसी निपुर्णता दी है कि वे उन सभी चीज़ों को बना सकते हैं जिसे मैंने तुमको बनाने का आदेश दिया है: (निर्गमन 31:6)
परमेश्वर ने न केवल बसलेल और ओहोलीआब को उनके लिए आवश्यक विशेषज्ञता और बुद्धि प्रदान की, बल्कि उन्होंने उन कारीगरों को भी सुसज्जित किया जो उनके अधीन काम करते थे, और उन्होंने पवित्र तम्बू और उसके साज-सामान का निर्माण किया, जो आत्मा के अगुवाई में और परमेश्वर के वचन की आज्ञाकारिता में था।
“इस्राएल के लोगों से यह कहो: ‘तुम लोग मेरे विशेष विश्राम के दिन वाले नियमों का पालन करोगे। तुम्हें यह अवश्य करना चाहिए, क्योंकि ये मेरे और तुम्हारे बीच सभी पीढ़ियों के लिए प्रतीक स्वरूप रहेंगे। इससे तुम्हें पता चलेगा कि मैं अर्थात् यहोवा ने तुम्हें अपना विशेष जनसमूह बनाया है।. (निर्गमन 31:13)
इस्राएलियों के लिए, परमेश्वर ने खुद को पवित्र करने वाले यहोवा के रूप में प्रकट किया। पवित्र करने का अर्थ है शुद्ध करना और प्रतिष्ठित करना। क्योंकि परमेश्वर उन्हें तम्बू के निर्माण के निर्देश देने के बीच में था, इस्राएली शीघ्र ही पवित्रीकरण की अवधारणा से काफी परिचित हो गए थे।
परमेश्वर ने इन निर्देशों को उपयोग किए जाने से पहले याजकों, मिलाप वाले तम्बू, और तम्बू के भीतर के बर्तनों को शुद्ध करने के लिए कई संस्कारों की रूपरेखा तैयार की। ये आज्ञाएँ परमेश्वर के द्वारा यह प्रदर्शित करने के लिए दी गई थीं कि वह पवित्र परमेश्वर है, भलाई और धार्मिकता में सिद्ध है, और उनका निवास स्थान पवित्र था।
परिणाम स्वरूप, इससे पहले कि कोई भी पापी मनुष्य उनके पवित्र निवास स्थान में परमेश्वर की पवित्र उपस्थिति के पास पहुँच सके, उसे पहले पवित्र बनाया जाना था।
आज हम पवित्र हैं...
- परमेश्वर के वचन के अध्ययन के द्वारा। (यूहन्ना १७:१७; १ पतरस २:२-३)
- हम मसीह में बने रहने और इस प्रकार फल उत्पन करने के द्वारा। (यूहन्ना १५:३-४)
- हमारे मन के नवीनीकरण के द्वारा। (इफिसियों ४:२२-२४)
- परीक्षणों द्वारा। (याकूब १:२-४)
जब परमेश्वर मूसा से सीनै पर्वत पर ऐसी बातें कर चुका, तब उसने उसको अपनी उंगली से लिखी हुई साक्षी देनेवाली पत्थर की दोनों तख्तियां दी॥ (निर्गमन ३१:१८)
देखिये, कैसे मूसा को दस आज्ञाएँ मिलीं॥
Chapters
- अध्याय १
- अध्याय २
- अध्याय ३
- अध्याय ४
- अध्याय ५
- अध्याय ६
- अध्याय ७
- अध्याय ८
- अध्याय ९
- अध्याय १०
- अध्याय ११
- अध्याय १२
- अध्याय १३
- अध्याय १४
- अध्याय १५
- अध्याय १६
- अध्याय १७
- अधाय १८
- अध्याय १९
- अध्याय २०
- अध्याय २१
- अध्याय २२
- अध्याय २३
- अध्याय २४
- अध्याय २५
- अध्याय २६
- अध्याय २७
- अध्याय २८
- अध्याय २९
- अध्याय ३०
- अध्याय ३१
- अध्याय ३२
- अध्याय ३३
- अध्याय ३४
- अध्याय ३५
- अध्याय ३६
- अध्याय ३७
- अध्याय ३८
- अध्याय ३९
- अध्याय ४०