तब राजा ने परमेश्वर के जन से कहा, अपने परमेश्वर यहोवा को मना और मेरे लिये प्रार्थना कर, कि मेरा हाथ ज्यों का त्यो हो जाए। (१ राजा १३:६)
यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि यारोबाम को परमेश्वर के डर से पश्चाताप नहीं हुआ। क्या आपने देखा कि कैसे यारोबाम ने परमेश्वर के जन से प्रार्थना करने के लिए कहा? उन्होंने कहा "अपके परमेश्वर (अपके शब्द को ध्यान से देखे) यहोवा को मना।"
मुझे यह दिलचस्प लगता है कि उन्होंने यह नहीं कहा कि "हमारे (अपने) परमेश्वर यहोवा को मना।" यह दिखाता है कि यारोबाम परमेश्वर से कितनी दूर भटक चुका था।
उसने कहा, जैसा तू नबी है वैसा ही मैं भी नबी हूँ; और मुझ से एक दूत ने यहोवा से वचन पाकर कहा, कि उस पुरुष को अपने संग अपने घर लौटा ले आ, कि वह रोटी खाए, और पानी पीए। यह उसने उस से झूठ कहा। (१ राजा १३:१८)
वही परमेश्वर जिसने आपको बताया था कि वह एक विशेष कार्य न कर और किसी और को यह बताने के लिए नहीं कहेगा कि आप इसे करें। परमेश्वर आपसे सीधे बात करेगा।
जब परमेश्वर बोलता है, तो मामला सुलझ जाता है। परमेश्वर के वचन की आज्ञा का उल्लंघन करने का बहाना कभी नहीं है। यहाँ तक कि एक विश्वासी - यहाँ तक कि स्वर्ग से उतरने वाला एक स्वर्गदूत भी परमेश्वर के वचन को गलत नहीं कह सकता। (गलातियों १:८-९ देखें)
प्रलोभन आश्चर्यजनक दिशा से आता हैं। राजा ने परमेश्वर के आदेश को तोड़ने के लिए परमेश्वर के जन को लुभाया, लेकिन परमेश्वर के जन ने मना कर दिया। उनका रक्षक ऊपर था, और कोई रास्ता नहीं था कि वह एक दुष्ट राजा के साथ भोजन करने के लिए परमेश्वर की आज्ञा का उल्लंघन करे। हालाँकि, जब एक साथी नबी ने परमेश्वर के जन को पाप करने के लिए प्रलोभन किया, तो उसने अंदर जाने दिया। उनके रक्षक को नीचा उतार दिया गया, और उसने एक सच्चा नबी (मालूम होता है) के साथ भोजन करने की खातिर परमेश्वर की आज्ञा का उल्लंघन की।
विश्वासी या खुद को मसीह कहने वाले लोगों से आने वाले प्रलोभन से सावधान रहे।
सबसे पहले, हमें हर आत्मा या भविष्यवाणी को यह देखने के लिए परखना चाहिए कि क्या वह परमेश्वर से है (१ यूहन्ना ४:१-२)। हर एक व्यक्ति जो परमेश्वर के मन की बात कहने का दावा करता है, जरूरी नहीं है कि परमेश्वर से है। कुछ शैतान से हैं, जो अपने विश्वास को नष्ट करने के इरादे से है।
प्रभु यीशु ने पतरस को खुलेआम फटकार लगाई जब उसने क्रूस के रास्ते में खड़े होने की कोशिश की ती (मत्ती १६:२३)। अपने आत्मिक यात्रा के लिए परमेश्वर के वचन को रडार और मस्तूल रहना चाहिए।
जब वह मार्ग में चल रहा था, तो एक सिंह उसे मिला, और उसको मार डाला, और उसकी लोथ मार्ग पर पड़ी रही, और गदहा उसके पास खड़ा रहा और सिंह भी लोथ के पास खड़ा रहा। (१ राजा १३:२४)
दुष्ट राजा को अपनी मूर्ति पूजा के कारण न्याय का सामना करना पड़ा। और परमेश्वर के जन को अपनी आज्ञा का उल्लंघन के कारण न्याय का सामना करना पड़ा। कोई भी नियमों से ऊपर नहीं है। महान सामर्थ के साथ महान जिम्मेदारी उठाती है।
जो व्यक्ति परमेश्वर के वचन को पूर्ण नहीं है करके सामने लता है लकिन वह अभी भी परमेश्वर का वचन है, इसका पालन करने में सावधान रहें।
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