फिर जब मूसा ने निवास को खड़ा किया, और सारे सामान समेत उसका अभिषेक करके उसको पवित्र किया, और सारे सामान समेत वेदी का भी अभिषेक करके उसे पवित्र किया। (गिनती ७:१)
घर का अभिषेक करना शास्त्र के अनुसार है
सो मूसा ने वे सब गाडिय़ां और बैल ले कर लेवियों को दे दिये। गेर्शोनियों को उनकी सेवकाई के अनुसार उसने दो गाडिय़ां और चार बैल दिए; और मरारियों को उनकी सेवकाई के अनुसार उसने चार गाडिय़ां और आठ बैल दिए; ये सब हारून याजक के पुत्र ईतामार के अधिकार में किए गए। और कहातियों को उसने कुछ न दिया, क्योंकि उनके लिये पवित्र वस्तुओं की यह सेवकाई थी कि वह उसे अपने कन्धों पर उठा लिया करें॥ (गिनती ७:६-९)
गेर्शोनियों के पुत्रों दो गाडिय़ां चार बैल (व.७)
मरारियों के पुत्रों चार गाडिय़ां आठ बैल (व.८)
कहातियों के पुत्रों कोई गाडिय़ां नहीं कोई बैल नहीं (अपने कंधों पर सामान ले जा रहे थे) (व.९)
कहातियों के परिवार को न तो गाड़ी मिली, और न बैल; वे मिलापवाले तम्बू के पवित्र वस्तुओं (गिनती ४:४) ले जाने के लिए थे, और सभी चीजों को अपने कंधों पर ले जाने के लिए थे - इसलिए, अज्ञा का उल्लंघन करने के प्रलोभन को दूर करने के लिए, मूसा ने उन्हें कोई गाड़ी नहीं दी!
दाऊद ने यहां गलती की और वाचा के संदूक को कंधों के बजाय गाड़ियों पर रखा।
प्रभु की उपस्थिति हमारे लिए कभी बोझ नहीं होनी चाहिए।
क्रूस प्रभु के लिए कभी बोझ नहीं था।
अगर हम कहातियों होते तो हम शायद चोट और अपमानित होते।
लेकिन वे विशेषाधिकार प्राप्त लोगों थे जो उनके कंधों पर ले जाते थे।
इससे पता चलता है कि परमेश्वर के राज्य में हर एक व्यक्ति अनोखा है।
गिनती ७:१२-८३
भेंट के बारे में विस्तृत वचन हमें बताता है कि प्रभु हमारे भेंट को कितना महत्व देते हैं।
वह हमारे भेंट का विस्तृत रिकॉर्ड रखता है।
वेदी के समर्पण के लिए हर एक दिन एक ही भेंट दिया जाता था।
और जब मूसा यहोवा से बातें करने को मिलापवाले तम्बू में गया, तब उसने प्रायश्चित्त के ढकने पर से, जो साक्षीपत्र के सन्दूक के ऊपर था, दोनों करूबों के मध्य में से उसकी आवाज सुनी जो उससे बातें कर रहा था; और उसने (यहोवा) उससे बातें की॥ (गिनती ७:८९)
१२ दिनों के भेंट के बाद मूसा ने परमेश्वर की वाणी सुनी।
Chapters
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- अध्याय ८
- अध्याय ९
- अध्याय १०
- अध्याय ११
- अध्याय १२
- अध्याय १३
- अध्याय १४
- अध्याय १५
- अध्याय १६
- अध्याय १७
- अध्याय - १८
- अध्याय - १९
- अध्याय - २०
- अध्याय - २१
- अध्याय - २२
- अध्याय २३
- अध्याय २४
- अध्याय २५
- अध्याय २६
- अध्याय २७
- अध्याय २८
- अध्याय २९
- अध्याय ३३