सेनाओं का यहोवा यों कहता है, 'ये लोग कहते हैं कि', "यहोवा का भवन बनाने का समय नहीं आया है।" (हाग्गै १:२)
लोग कह रहे थे, "यहोवा का भवन बनाने का समय नहीं आया है।" यह केवल मंदिर के पुनर्निर्माण का एक बहाना था।
ध्यान दें, यहोवा उन्हें 'ये लोग कहते हैं' न कि 'मेरे लोग' करके कह रहे है,
परमेश्वर ने इस तरीके से बात की क्योंकि उन्होंने उनके टूटा बहाने देखा और भिन्न प्राथमिकताएं देखीं और देखा कि वे उनके लोगों की तरह नहीं रह रहे हैं।
मेरा मानना है कि जब आप एक मैला जीवन जीते हैं; किसी भी समय आप उठना चाहते हैं, किसी भी समय सो रहे हैं, अपना समय बर्बाद कर रहे हैं निरंतर गेम खेल रहे हैं और टीवी शो देख रहे हैं; परमेश्वर ऐसे लोगों को 'ये लोग' से संदर्भित करता है न कि 'मेरे लोगों'
फिर यहोवा का यह वचन हाग्गै भविष्यद्वक्ता के द्वारा पहुंचा, "क्या तुम्हारे लिये अपने छत वाले घरों में रहने का समय है, जब कि यह भवन उजाड़ पड़ा है?" (हाग्गै १:३-४)
उनका पाप यह नहीं था कि वे खुद का भवन बना रहे थे। उनका पाप भिन्न प्राथमिकताओं का था। उन्होंने खुद का भवन बनाने में पहला स्थान दिया जो यहोवा के भवन के निर्माण के विपरीत था।
इसलिये पहिले तुम उसे राज्य और धर्म की खोज करो तो ये सब वस्तुएं भी तुम्हें मिल जाएंगी। (मत्ती ६:३३)
सुलैमान ने खुद का भवन बनाने से पहले सबसे पहले यहोवा का खुद का भवन बनाया।
परमेश्वर का वचन हमेशा आपके बहाने को प्रकट करेगा।
नबी हाग्गै एक अलार्म घड़ी की तरह था - अवांछित लेकिन आवश्यक।
सच्ची आत्मिक उन्नति हमेशा मंदिर के साथ जुड़ी हुई है। प्रेरित पौलुस ने पवित्र आत्मा के मंदिर के प्रकटीकरण को हासिल लिया। जैसे कि आप सब बातों में उन्नति करें। ३ यूहन्ना २
क्या अपने ऐसा स्वपन देखा था जहाँ आपने अपने आप को नंगे पैर चलते हुए या कपड़े पहने हुए या जूते पहने हुए देखा था? तो इस तरह के स्वप्न आपको गरीबी की आत्मा से आत्मिक हमले के संकेत दे रहा हैं। उन स्वप्नों के बारे में क्या जहां आपने खुद को या दूसरों को भीख मांगते हुए देखा है, तो ऐसा स्वपन इंगित करता है कि गरीबी की आत्मा व्यक्ति को गरीबी से बाहर निकलने और बेरोजगार स्थिति में रखने से रोक रही है।
छेद के एक थैली का स्वप्न देखना,
इसका मतलब है कि गरीबी और कमी की आत्मा आपके खिलाफ काम कर रही है।
अपने घर में चूहों को दौड़ते हुए देखना,
आपकी संपत्ति गायब होना।
आपके बैग या पर्स में रखे हुए पैसे चुराया जाना।
गलत प्राथमिकताओं के परिणाम (हाग्गै १:६)
१. तुम ने बहुत बोया परन्तु थोड़ा काटा - आर्थिक कठिनाइया क्योंकि प्रभु का आशीष उनके आर्थिक पर नहीं था।
२. तुम खाते हो, परन्तु पेट नहीं भरता; तुम पीते हो, परन्तु प्यास नहीं बुझती; तुम कपड़े पहिनते हो, परन्तु गरमाते नहीं - हमारे पास जो भी चीजे है उस में संतुष्टि न होना।
३. और जो मजदूरी कमाता है, वह अपनी मजदूरी की कमाई को छेदवाली थैली में रखता है - गरीबी का एक कालचक्र
कई बार, हम परमेश्वर की दया पर विचार करते हैं। यही कारण है कि, कभी-कभी, परमेश्वर एक संकट को (ध्यान दें ये मैं नहीं कह रहा हूं परमेश्वर ने संकट भेजा) हमारे रास्ते में आने देता है ताकि वह हमारा ध्यान आकर्षित कर सके।
और मेरी आज्ञा से पृथ्वी और पहाड़ों पर, और अन्न और नये दाखमधु पर और ताजे तेल पर, और जो कुछ भूमि से उपजता है उस पर, और मनुष्यों और घरैलू पशुओं पर, और उनके परिश्रम की सारी कमाई पर भी अकाल पड़ा है॥ (हाग्गै १:११)
गौर करें कि सूखा उनके हाथों के श्रम पर भी था।