क्योंकि तू अपने परमेश्वर यहोवा के लिये एक पवित्र समाज है, और यहोवा ने तुझ को पृथ्वी भर के समस्त देशों के लोगों में से अपनी निज सम्पति होने के लिये चुन लिया है।
(व्यवस्थाविवरण १४:२)
पवित्र के पीछे का विचार है "अलग" या 'असामान्य'
मसीह में, पर तुम एक चुना हुआ वंश, और राज-पदधारी याजकों का समाज, और पवित्र लोग, और (परमेश्वर की ) निज प्रजा हो, इसलिये कि जिस ने तुम्हें अन्धकार में से अपनी अद्भुत ज्योति में बुलाया है, उसके गुण प्रगट करो। (१ पतरस २:९)
व्यवस्थाविवरण १४:३-२१ में आहार नियमों की बात की गई है।
इस्राएल के आहार से इन को खत्म करने में कोई शक नहीं कि स्वस्थ प्रभाव था, और इस्राएल के आहार नियमों के कारणों में से एक इस्राएल (परमेश्वर के लोगों) को स्वस्थ रखना था!
बकरी का बच्चा उसकी माता के दूध में न पकाना॥
(व्यवस्थाविवरण १४:२१)
कुछ रूढ़िवादी यहूदी आज भी मांस के साथ दूध उत्पादों का दूध नहीं लेते है।
दशमांश का उद्देश्य
दशमांश का उद्देश्य आपको हमेशा परमेश्वर को अपने जीवन में सबसे पहले स्थान रखना सिखाता है। (व्यवस्थाविवरण १४:२३ (बी))
जिस से तेरा परमेश्वर यहोवा तेरे सब कामों में तुझे आशीष दे॥ (व्यवस्थाविवरण १४:२९)
प्रभु आपको एक ह्रदय से देना जैसा आशीष करेगा। जो कोई देने वाला रहा हो, उनसे पूछिए। उनकी गवाही हमेशा यही रही है - मैं धन्य हूं।
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