यदि तू अपने परमेश्वर यहोवा की सब आज्ञाएं, जो मैं आज तुझे सुनाता हूं, चौकसी से पूरी करने का चित्त लगाकर उसकी सुने, तो वह तुझे पृथ्वी की सब जातियों में श्रेष्ट करेगा। (व्यवस्थाविवरण २८:१)
आशीष मुख्य रूप से परमेश्वर की वाणी के आज्ञाकारिता के कारण आती हैं - परमेश्वर का वचन।
कबूल करना: यहोवा मेरे लिये अपने आकाशरूपी उत्तम भण्डार को खोल कर मेरी भूमि पर समय पर मेंह बरसाया करेगा, और मेरे सारे कामों पर आशीष देगा; और मैं बहुतेरी जातियों को उधार बनूँगा, परन्तु किसी से मझे उधार लेना न पड़ेगा। (व्यवस्थाविवरण २८:१२)
और यहोवा मुझ को पूंछ नहीं, किन्तु सिर ही ठहराएगा, और मैं नीचे नहीं, परन्तु ऊपर ही रखेगा; यदि परमेश्वर यहोवा की आज्ञाएं जो आज मुझ को सुनाता हूं, मैं उनके मानने में मन लगाकर चौकसी करूंगा। (व्यवस्थाविवरण २८:१३)
और जिन वचनों की वह आज मुझे आज्ञा देता है उन में से किसी से दाहिने वा बाएं मुड़के पराये देवताओं के पीछे न हो लूंगा, और न उनकी सेवा करूंगा। (व्यवस्थाविवरण २८:१४)
तुम बहुत बीज बाहर खेत में ले जाओगे और बहुत कम इकट्ठा करोगे, क्योंकि टिड्डी इसका उपभोग करेगी। (व्यवस्थाविवरण २८:३८)
यह वचन हाग्गै १:६ में पूरा हुआ था।
बहुत बीज बोया जाता है लेकिन टिड्डियों के कारण बहुत कम फसल इकट्ठी होती है।
प्रार्थना: मेरे बीज को चबाये हुए हर बुरी टिड्डे यीशु के नाम में मर जाए।
मेरे मन में जो भय बना रहेगा, उसके कारण मैं भोर को आह मार के कहूंगा, कि सांझ कब होगी! और सांझ को आह मार के कहूंगा, कि भोर कब होगा। (व्यवस्थाविवरण २८:६७)
भय की भी आज्ञा का उल्लंघन में अपनी जड़ें हो सकती हैं।
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