फिर फल के मौसम में उस ने किसानों के पास एक दास को भेजा कि किसान से दाख की बारी के फलों का भाग ले। पर उन्होंने उसे पकड़कर पीटा और छूछे हाथ लौटा दिया। फिर उस ने एक और दास को उन के पास भेजा और उन्होंने उसका सिर फोड़ डाला और उसका अपमान किया। फिर उस ने एक और को भेजा, और उन्होंने उसे मार डाला: तब उस ने और बहुतों को भेजा: उन में से उन्होंने कितनों को पीटा, और कितनों को मार डाला। अब एक ही रह गया था, जो उसका प्रिय पुत्र था; अन्त में उस ने उसे भी उन के पास यह सोचकर भेजा कि वे मेरे पुत्र का आदर करेंगे। (मरकुस १२:२-६)
मरकुस १२:२-५ तीन वर्ष शामिल हैं जब फल का उपयोग नहीं किया गया था, तो यह चौथे वर्ष में था कि प्रिय पुत्र को भेजा गया था। (पद ६)
फिर जब तुम कनान देश में पंहुचकर किसी प्रकार के फल के वृक्ष लगाओ, तो उनके फल तीन वर्ष तक तुम्हारे लिये मानों खतनारहित ठहरें रहें; इसलिये उन में से कुछ न खाया जाए। और चौथे वर्ष में उनके सब फल यहोवा की स्तुति करने के लिये पवित्र ठहरें। (लैव्यवस्था १९:२३-२४)
फिर सदूकियों ने भी, जो कहते हैं कि मरे हुओं का जी उठना है ही नहीं, उसके पास आकर उस से पूछा। (मरकुस १२:१८)
यह मरकुस में एकमात्र स्थान है जहाँ सदूकियों का उल्लेख किया गया है। इस समूह ने केवल मूसा के कानून को उनके धार्मिक अधिकार के रूप में स्वीकार किया; इसलिए, यदि पुराने नियम की पहली पाँच पुस्तकों में से एक सिद्धांत का बचाव नहीं किया होता, तो वे इसे स्वीकार नहीं करते थे।
यीशु ने उन से कहा; क्या तुम इस कारण से भूल में नहीं पड़े हो, कि तुम न तो पवित्र शास्त्र ही को जानते हो, और न परमेश्वर की सामर्थ को। (मरकुस १२:२४)
उनकी गलती का कारण दो गुना था
१. वे पवित्र शास्त्र नहीं जानते थे।
२. वे परमेश्वर की सामर्थ को नहीं जानते थे।
हमें निश्चित करना चाहिए, हमारे पास दोनों होना है - वचन और सामर्थ ताकि हम खुद को गलती में न पाएं।
फिर यीशु ने मन्दिर में उपदेश करते हुए यह कहा, कि शास्त्री क्योंकर कहते हैं, कि मसीह दाऊद का पुत्र है? दाऊद ने आप ही पवित्र आत्मा में होकर कहा है, कि
प्रभु ने मेरे प्रभु से कहा;
मेरे दाहिने बैठ,
जब तक कि मैं तेरे बैरियों को तेरे पांवों की पीढ़ी न कर दूं।
दाऊद तो आप ही उसे प्रभु कहता है, फिर वह उसका पुत्र कहां से ठहरा? (मरकुस १२:३५-३७)
यीशु ने भजन संहिता ११०:१ का उद्धरण दिया और उन्हें यह बताने के लिए कहा कि दाऊद का पुत्र भी दाऊद का प्रभु कैसे हो सकता है। यहूदियों का मानना था कि मसीहा दाऊद का पुत्र होगा (यूहन्ना ७:४१-४२), लेकिन दाऊद का पुत्र भी दाऊद का प्रभु हो सकता है, अगर मसीहा परमेश्वर होते तो वह मानव देह में आते हैं। जवाब, निश्चित रूप से, हमारे प्रभु का चमत्कारिक गर्भाधान और कुंवारी जन्म है (यशायाह ७:१४; मत्ती १:१८-२५; लूका १:२६-२८)।
और वह मन्दिर के भण्डार के साम्हने बैठकर देख रहा था, कि लोग मन्दिर के भण्डार में किस प्रकार पैसे डालते हैं, और बहुत धनवानों ने बहुत कुछ डाला। इतने में एक कंगाल विधवा ने आकर दो दमडिय़ां, जो एक अधेले के बराबर होती है, डालीं।
तब उस ने अपने चेलों को पास बुलाकर उन से कहा; मैं तुम से सच कहता हूं, कि मन्दिर के भण्डार में डालने वालों में से इस कंगाल विधवा ने सब से बढ़कर डाला है। क्योंकि सब ने अपने धन की बढ़ती में से डाला है, परन्तु इस ने अपनी घटी में से जो कुछ उसका था, अर्थात अपनी सारी जीविका डाल दी है। (मरकुस १२:४१-४४)
कंगाल विधवा की कहानी मरकुस १२:४१-४४ और लूका २१:१-४ दोनों में पाई जा सकती है।
हम उस स्त्री का नाम नहीं जानते हैं।
अब यीशु मन्दिर के भण्डार के साम्हने बैठा था। (मरकुस १२:४१)
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि यीशु कहाँ बैठे थे - मन्दिर के भण्डार के साम्हने
देख रहा था, कि लोग मन्दिर के भण्डार में किस प्रकार पैसे डालते हैं। (मरकुस १२:४१)
यीशु ने क्या देखा। देते समय आपका मनोभाव (रवैया) बहुत महत्वपूर्ण है।
समान देना नहीं बल्कि समान बलिदान देना। दूसरों ने जो दिया, उनके तुलना में वह बहुत अधिक नहीं लग सकता है, लेकिन उसका (स्त्री) बलिदान उनकी तुलना में बहुत अधिक था।
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