यदि तुम अपने पूर्ण मन से यहोवा की ओर फिरे हो, तो पराए देवताओं दूर करो। (१ शमूएल ७:३)
भविष्यवक्ता शमूएल ने पश्चाताप के लिए इस्राएल के देश को बुलाया। पश्चाताप बाहर की ओर देखा फल (पराए देवताओं को दूर करना) के साथ अंदर (अपने पूर्ण मन के साथ) होना था।
कोई भी वास्तव में दूसरे के मन को "देख" नहीं सकता है। फिर भी भीतर परिवर्तन बाहरी द्वारा सिद्ध होता है।
सच्चे और जीवित परमेश्वर में छोटा विश्वास एक झूठ में मजबूत विश्वास की तुलना में अधिक शक्तिशाली है।
तब शमूएल ने एक पत्थर ले कर मिस्पा और शेन के बीच में खड़ा किया, और यह कहकर उसका नाम एबेनेज़ेर रखा, कि यहां तक यहोवा ने हमारी सहायता की है। (१ शमूएल ७:१२)
शमूएल जानता था कि देश को इस अद्भुत जीत को याद करने की जरूरत है, जो एक विनम्र और पश्चाताप करने वाले इस्राएल के लिए आया था। यहोवा ने इस लड़ाई को जीता, न कि इस्राएल ने - इसलिए उन्होंने पत्थर का नाम एबेनेज़र रखा, जिसका अर्थ है "सहायता का पत्थर"।
दाऊद ने सहायता के पत्थर के माध्यम से गोलियत को हराया।
और इस्राएलियों और एमोरियों के बीच भी सन्धि हो गई। (१ शमूएल ७:१४)
शमूएल न केवल युद्ध के पुरुष के रूप में, बल्कि शांति के पुरुष के रूप में भी सफल था।
इसके अलावा इस्राएलियों और एमोरियों के बीच शांति थी.
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