तब अम्मोनी नाहाश ने चढ़ाई करके गिलाद के याबेश के विरुद्ध छावनी डाली; और याबेश के सब पुरूषों ने नाहाश से कहा, हम से वाचा बान्ध, और हम तेरी आधीनता मान लेंगे। (१ शमूएल ११:१)
नाहाश नाम का अर्थ है साँप या सर्प। हम इस कारन में शैतान, हमारे आत्मिक शत्रु और इस्राएल के दुश्मन नाहश के बीच समानता देख सकते हैं।
शत्रु का लक्ष्य हमारी आत्मिक दृष्टि (हमारी आत्मिक आँखें) को कमजोर करना है।
याबेश के लोगों की दाहिनी आंख छीन लेने से वे युद्ध में कमजोर हो जाते। इसी तरह, जब हमारी आत्मिक आंखें कमजोर हो जाती हैं, तो यह हमें आत्मिक युद्ध में अप्रभावी बना देती है।
5 शाऊल अपने बैलों के साथ खेतों में गया हुआ था। शाऊल खेत से लौटा और उसने लोगों का रोना सुना। शाऊल ने पूछा, “लोगों को क्या कष्ट है? वे रो क्यों रहे हैं?” तब लोगों ने याबेश के दूतों ने जो कहा था शाऊल को बातया। 6 शाऊल ने उनकी बातें सुनीं। तब परमेश्वर की आत्मा शाऊल पर जल्दी से उतरी। शाऊल अत्यन क्रोधित हुआ।(1 शमूएल 11:5-6)
आप जो सुनते हैं वह महत्वपूर्ण है क्योंकि यह या तो आप पर प्रभु की आत्मा या भय की आत्मा ला सकता है। विश्वास सुनने से आता है और भय भी। (रोमियो १०:१७)। इस संदर्भ में, जब शाऊल ने याबेस के लोगों की बातें सुनीं, तो परमेश्वर का आत्मा उस पर उतरा और उसे कार्य करने के लिए प्रेरित किया।
दूसरे दिन शाऊल ने लोगों के तीन दल किए; और उन्होंने रात के पिछले पहर में छावनी के बीच में आकर अम्मोनियों को मारा; और घाम के कड़े होने के समय तक ऐसे मारते रहे कि जो बच निकले वह यहां तक तितर बितर हुए कि दो जन भी एक संग कहीं न रहे। (1 शमूएल 11:11)
प्रातःकालीन घड़ी का समय प्रातः ३:०० बजे से प्रात: ६:०० बजे तक है।
परन्तु शाऊल ने कहा, “नहीं ! आज किसी को मत मारो! आज यहोवा ने इस्राएल की रक्षा की!” (1 शमूएल 11:13)
शाऊल समझदारी से जानता था कि यह अपने विरोधियों से बदला लेने का समय नहीं है। शैतान, नाहश के माध्यम से हमले में असफल होने पर अब जीत में भी इस्राएल पर हमला करने की कोशिश की - देश को एक दूसरे के खिलाफ विभाजित करके। शैतान हम पर कैसे भी हमला कर सकता है, और वह अक्सर हमला करने के लिए जीत के समय का उपयोग करता है।
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