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Daily Manna

२१ दिन का उपवास: दिन ०१

Sunday, 12th of December 2021
117 21 6241
Categories : उपवास और प्रार्थना
उपवास का प्राथमिक उद्देश्य परमेश्वर के सामने खुद को नम्र करना है।

"मैं उपवास के साथ अपने आपको को दीन बना लिया..." (भजन संहिता ३५:१३)।

वहां...अर्थात उपावस का प्रचार इस आशय से किया, कि हम परमेश्वर के साम्हने दीन हों जाए" (एज्रा ८:२१)।

इसलिए, यह अनिवार्य है कि हम अपने उपवास को हमें पश्चाताप की ओर जाने की अनुमति दें।

पश्चाताप

नये नियम में, पश्चाताप का मुख्य शब्द 'मेटानिया' है जिसका अर्थ है, "किसी के मन को बदलना।" बाइबल हमें यह भी बताती है कि सच्चा पश्चाताप कार्यों में परिवर्तन का प्रतिफल होना।

सो मन फिराव के योग्य फल लाओ: और अपने अपने मन में यह न सोचो, कि हमारा पिता इब्राहीम है; क्योंकि मैं तुम से कहता हूं, कि परमेश्वर इन पत्थरों से इब्राहीम के लिये सन्तान उत्पन्न कर सकता है। और अब ही कुल्हाड़ा पेड़ों की जड़ पर धरा है, इसलिये जो जो पेड़ अच्छा फल नहीं लाता, वह काटा और आग में झोंका जाता है। (लूका ३:८-९)

पश्चाताप के लिए सच्ची निराश की जरुरत होती है। पश्चाताप का मतलब फिर से पाप करने के इरादे से प्रभु से क्षमा मांगने नहीं है।

पश्चाताप पाप की एक ईमानदार, पछ्तावा स्वीकृति है जिसमें परिवर्तन की प्रतिबद्धता है। पश्चाताप हमें पापों का नेतृत्व करने वाली आदतों का उन्मूलन करते हुए आत्मिक बढ़ोत्रि के लिए प्रेरित करता है।

 इसलिये, मन फिराओ और लौट आओ कि तुम्हारे पाप मिटाए जाएं, जिस से प्रभु के सम्मुख से विश्रान्ति के दिन आएं। (प्रेरितों के काम ३:१९)

आपको जो पहला कदम उठाने की ज़रूरत है कि, वह यह स्वीकार करना है कि आपने गलतियाँ की हैं और परमेश्वर के खिलाफ पाप किया है और परमेश्वर के साथ सही होने की जरुरत है।

पवित्र आत्मा आपको उन क्षेत्रों को प्रकट करेगा जिन्हें आप गिरने के लिए अतिसंवेदनशील हैं,यदि आप उनसे पूछते है, क्योंकि वह प्रभु यीशु मसीह का वचन 'मददतगार' है।

कभी मत भूलये, यीशु मसीह में अपने विश्वास को बचाने के रूप में अपने पाप के बारे में पहले अपना मन को बदलना जरुरी है कि, यीशु कौन है और उसने क्या किया है, इसके बारे में विश्वास करना असंभव है।

मनन करने के लिए वचन
१ यूहन्ना १:८-१०
भजन संहिता ५१:१-४
प्रेरितों के काम १७:३०

४० दिन बाइबल पढ़ने की योजना
रोमियो १४-१६; १ कुरिन्थियों  १-४
Prayer
प्रार्थना अस्त्र 
हर प्रार्थना अस्त्र को तब तक दोहराएं जब तक वह आपके मन से नहीं आती है। इसके बाद ही अगली प्रार्थना अस्त्र की ओर बढ़ें। (इसे दोहराएं, इसे अमल करें, हर प्रार्थना मुद्दे पर कम से कम १ मिनट तक ऐसा करें)

१. पिता, मैं अपने प्रभु और उद्धारकर्ता यीशु मसीह के नाम से आपके पास आता हूं और मैं अपनी आत्मा, प्राण और शरीर आपके हाथों में समर्पित करता हूं, यीशु के नाम से।

हे यहोवा, मुझ पर दृष्टि कर और मेरा मन जान ले।  मुझ को परख ले और मेरा इरादा जान ले। मुझ पर दृष्टि कर और देख कि मेरे विचार बुरे नहीं है।  तू मुझको उस पथ पर ले चल जो सदा बना रहता है।  (भजन संहिता    १३९:२३-२४)

२. मैं यीशु के नाम से हर एक पाप, अधर्म, अपराध, दोष, अधार्मिकता और अभक्ति का पश्चाताप करता हूं।

३. मैं यीशु के नाम से अपने मन, मुँह और बुद्धि के पापों को अंगीकार करता हूँ।

४. यीशु के लहू से मेरे - आत्मा, प्राण और शरीर को शुद्ध कर यीशु के नाम से। 

५. पिता, यीशु मसीह के नाम से, मैं अपने प्रियजनों, मेरे परिवार और रिश्तेदारों की ओर से आपके सामने आता हूं।

६. मैं अपने प्रियजनों, मेरे परिवार और रिश्तेदारों को यीशु के लहू में बंदता और ढग देता हूं। 

७. मैं अपने पापों और अपने पूर्वजों के पापों को अंगीकार करता हूं। हमने आपके खिलाफ पाप किये  है। हमने दुष्टतापूर्वक जीवन व्यतीत किये है, और आपकी आवाज और आपकी इच्छा की अवज्ञा करते हुए विद्रोह किये है। हमें क्षमा कर दे।

८. आप एक दयालु परमेश्वर हैं, जो अनुग्रह और प्रेम से भरे हुए हैं और मैं मांगता हूं कि आप हमें हमारे पापों को क्षमा कर और सभी अधर्म की कार्यों को शुद्ध करदे। यीशु के नाम से। अमीन।

९. कुछ समय के लिए प्रभु की आराधना करें।

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