हिंदी मराठी తెలుగు മലയാളം தமிழ் ಕನ್ನಡ Contact us Contact us Listen on Spotify Listen on Spotify Download on the App StoreDownload iOS App Get it on Google Play Download Android App
 
Login
Online Giving
Login
  • Home
  • Events
  • Live
  • TV
  • NoahTube
  • Praises
  • News
  • Manna
  • Prayers
  • Confessions
  • Dreams
  • E-Books
  • Commentary
  • Obituaries
  • Oasis
  1. Home
  2. Daily Manna
  3. यीशु की प्रभुता को कबूल करना
Daily Manna

यीशु की प्रभुता को कबूल करना

Thursday, 21st of March 2024
45 27 1619
Categories : भय
जो कोई मनुष्यों के साम्हने मुझे मान लेगा, उसे मैं भी अपने स्वर्गीय पिता के साम्हने मान लूंगा। पर जो कोई मनुष्यों के साम्हने मेरा इन्कार करेगा उस से मैं भी अपने स्वर्गीय पिता के साम्हने इन्कार करूंगा। (मत्ती १०:३२-३३)

मनुष्यों के साम्हने यीशु की प्रभुता को कबूल करना शर्म और भय की बात नहीं है। फिर भी, कई मसीही सार्वजनिक रूप से यीशु मसीह को अपने परमेश्वर और उद्धारकर्ता के रूप में मनुष्य के भय से कबूल नहीं करते हैं।

यीशु के समय में भी, कई लोग उन्हें मसीहा मानते थे, लेकिन इस भय से खुले तौर पर उन्हें स्वीकार करने से डरते थे कि वे एक पद खो देंगे या यहूदी समुदाय से बाहर हो जाएंगे।

मुद्दे में मामला: अपने जन्म से अंधे एक व्यक्ति ने यीशु के हाथों से दृष्टि प्राप्त की। जब माता-पिता से पूछा गया कि क्या वह उनका बेटा है, तो उन्होंने जवाब दिया, "उसके माता-पिता ने उत्तर दिया; हम तो जानते हैं कि यह हमारा पुत्र है, और अन्धा जन्मा था। परन्तु हम यह नहीं जानते हैं कि अब क्योंकर देखता है; और न यह जानते हैं, कि किस ने उस की आंखे खोलीं; वह सयाना है; उसी से पूछ लो; वह अपने विषय में आप कह देगा।" (यूहन्ना ९:२०-२१)

बाइबल हमें और बताती है, "बहुतों ने उस पर विश्वास किया, परन्तु फरीसियों के कारण प्रगट में नहीं मानते थे, ऐसा न हो कि आराधनालय में से निकाले जाएं।" (यूहन्ना १२:४२)

क्यों लोग सार्वजनिक रूप से यीशु मसीह को अपने प्रभु और उद्धारकर्ता के रूप में स्वीकार (कबूल) नहीं करते हैं?
बाइबल कहती है, "क्योंकि मनुष्यों की प्रशंसा उन को परमेश्वर की प्रशंसा से अधिक प्रिय लगती थी॥" (यूहन्ना १२:४३) कई बार, जब मानव पसंद परमेश्वर की पसंद से अधिक महत्वपूर्ण लगता है, तो लोग यीशु मसीह को सार्वजनिक रूप से अपने परमेश्वर और उद्धारकर्ता के रूप में स्वीकार करने में विफल होते हैं।

हम दूसरों की नापसंदगी से इतना क्यों डरते हैं?
बाइबल इसे "मनुष्य का भय" कहती है। जब हम कार्य करते है, तो मनुष्य का भय हमें डगमगा सकता है, और हमें चुप कराती है जब हमें बोलना चाहिए।

"मनुष्य का भय खाना फन्दा हो जाता है, परन्तु जो यहोवा पर भरोसा रखता है वह ऊंचे स्थान पर चढ़ाया जाता है" (नीतिवचन २९:२५)। "फन्दा" के लिए यहाँ हिब्रू शब्द जानवरों या पक्षियों को पकड़ने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले जाल शिकारी को संदर्भित करता है। फन्दा खतरनाक हैं और हमें वह सब करना होगा जो हम खुद को आज़ाद करने के लिए कर सकते हैं।

अच्छी खबर यह है कि, परमेश्वर के पास हमें मनुष्य के भय से मुक्त करने की सामर्थ है ताकि हम उस स्वतंत्रता में सकुशल और सुरक्षित रह सकें जो उन्होंने अपने पुत्र प्रभु यीशु मसीह के संपूर्ण बलिदान के माध्यम से हमारे लिए प्रदान की है।

#१: जैसे ही आप अपने जीवन में मनुष्य के भय को पहचानते हैं, इसे परमेश्वर के प्रति पाप और पश्चाताप के रूप में कबूल करें।

#२: "हमें मनुष्यों की आज्ञा से बढ़कर परमेश्वर की आज्ञा का पालन करना है" (प्रेरितों के काम ५:२९)। आज्ञा का पालन करना साहस (हिम्मत) कहलाती है। साहस भय की भावना का अभाव नहीं है, लेकिन जो हम मानते हैं उसके बावजूद पालन करने का संकल्प है।

#३: उन से अनुग्रह और सामर्थ के लिए साहसपूर्वक और निडर होकर हर समय सभी स्थानों पर यीशु मसीह की घोषणा करने के लिए मांगे।
Confession
मैं मनुष्यों का नहीं बल्कि परमेश्वर का भय मानूंगा। प्रभु यीशु मसीह मेरे लिए मारा गया और जब वह फिर से जी उठा तो उन्होंने मुझे विजय दिलाई। इसलिए मैं हर समय सभी स्थानों पर यीशु को ऊंचा उठाऊंगा।

Join our WhatsApp Channel


Most Read
● प्रतीक्षा जिसने एक देश को बचाया
● सर्प (साँप) को रोकना
● यीशु ने दाखरस (सिरका) पिया
● दिन ०१: ४० दिन का उपवास और प्रार्थना
● अपने असली मूल्य को खोजना
● समर्पण में स्वतंत्रता
● नरक एक वास्तविक स्थान है
Comments
CONTACT US
Phone: +91 8356956746
+91 9137395828
WhatsApp: +91 8356956746
Email: [email protected]
Address :
10/15, First Floor, Behind St. Roque Grotto, Kolivery Village, Kalina, Santacruz East, Mumbai, Maharashtra, 400098
GET APP
Download on the App Store
Get it on Google Play
JOIN MAILING LIST
EXPLORE
Events
Live
NoahTube
TV
Donation
Manna
Praises
Confessions
Dreams
Contact
© 2025 Karuna Sadan, India.
➤
Login
Please login to your NOAH account to Comment and Like content on this site.
Login