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Daily Manna

आत्मिक अनुशासन का स्वाभाव – १

Wednesday, 30th of October 2024
30 15 593
Categories : अनुशासन  शिष्यत्व
ओलंपिक एथलीट ग्रह पृथ्वी के समुख पर सबसे अनुशासित, दृढ़ और समर्पित लोगों में से हैं। एक ओलंपिक एथलीट को प्रतिदिन स्वानुशासन का अभ्यास करने की जरुरत होती है या फिर जीतने की सभी आशाएं खो जाती हैं।

यह पवित्रशास्त्र में प्रेरित पौलुस द्वारा लिखी गई कुछ बात है, जिसने लिखा, "क्या तुम नहीं जानते, कि दौड़ में तो दौड़ते सब ही हैं, परन्तु इनाम एक ही ले जाता है तुम वैसे ही दौड़ो, कि जीतो।" (१ कुरिन्थियों ९:२४)

मसीह जीवन की तुलना ओलंपिक एथलीट से भी की जा सकती है। यह बहुत सच है कि हम सभी अनुग्रह से बचते हैं और अनुग्रह से जीते हैं। हालाँकि, प्रेरित पौलुस ने जो लिखा है उसे देखिए: "परन्तु मैं जो कुछ भी हूं, परमेश्वर के अनुग्रह से हूं: और उसका अनुग्रह जो मुझ पर हुआ, वह व्यर्थ नहीं हुआ परन्तु मैं ने उन सब से बढ़कर परिश्रम भी किया: तौभी यह मेरी ओर से नहीं हुआ परन्तु परमेश्वर के अनुग्रह से जो मुझ पर था।" (१ कुरिन्थियों १५:१०)

आज हम जो कुछ भी हैं वह केवल परमेश्वर की कृपा के कारण है। प्रेरित पौलुस ने स्वीकृत किया। हालांकि, वह यह भी कहते हैं, "कि मैं बाकी सभी की तुलना में अधिक प्रचुर मात्रा में काम कर रहा हूं"। दूसरे शब्दों में, परमेश्वर ने अपना भाग किया और अब पौलुस भी अपना भाग कर रहा था।

एक मसीह पहले कीमत की गिनती किए बिना प्रभु के साथ नहीं चल सकता। सीधे शब्दों में, तो यीशु के पीछे एक कीमत शामिल है। यीशु ने कुछ भी नहीं छिपाया। यीशु के साथ कोई ठीक-ठाक छाप नहीं है: यह सब भारी और स्पष्ट है।

 तुम में से कौन है कि गढ़ बनाना चाहता हो, और पहिले बैठकर खर्च न जोड़े, कि पूरा करने की बिसात मेरे पास है कि नहीं? (लूक १४:२८)

प्रभु हमें अपने क्रूस को उठाने और शरीर की इच्छाओं को अस्वीकार करने के लिए कहते हैं, अन्यथा हम दौड़ को पूरा नहीं कर सकते। इसलिए, हमें अपने सभी आचरणों में कीमत की गणना करनी चाहिए और स्वानुशासन रहना चाहिए।

प्रेरित पौलुस की महानता और प्रभावशीलता का रहस्य इन वचनों में निहित है: और हर एक पहलवान सब प्रकार का संयम करता है, वे तो एक मुरझाने वाले मुकुट को पाने के लिये यह सब करते हैं, परन्तु हम तो उस मुकुट के लिये करते हैं, जो मुरझाने का नहीं। इसलिये मैं तो इसी रीति से दौड़ता हूं, परन्तु बेठिकाने नहीं, मैं भी इसी रीति से मुक्कों से लड़ता हूं, परन्तु उस की नाईं नहीं जो हवा पीटता हुआ लड़ता है। परन्तु मैं अपनी देह को मारता कूटता, और वश में लाता हूं; ऐसा न हो कि औरों को प्रचार करके, मैं आप ही किसी रीति से निकम्मा ठहरूं॥ (१ कुरिन्थियों ९:२५-२७)
Prayer
मैं विश्वास से विश्वास, महिमा से महिमा में बढ़ रहा हूं। प्रभु मेरी ओर है तो मेरे खिलाफ कौन खड़ा हो सकता है। यीशु के पीछे मैं चलने का निर्णय लिया हूं, न लौटुंगा, न लौटुंगा।

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