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Daily Manna

दिन ३२: ४० दिन का उपवास और प्रार्थना

Monday, 23rd of December 2024
29 23 476
Categories : उपवास और प्रार्थना
देश, अधिकारी और कलीसिया के लिए प्रार्थना

"अब मैं सब से पहिले यह उपदेश देता हूं, कि बिनती, और प्रार्थना, और निवेदन, और धन्यवाद, सब मनुष्यों के लिये किए जाएं। राजाओं और सब ऊंचे पद वालों के निमित्त इसलिये कि हम विश्राम और चैन के साथ सारी भक्ति और गम्भीरता से जीवन बिताएं। यह हमारे उद्धारकर्ता परमेश्वर को अच्छा लगता, और भाता भी है।" (१ तीमुथियुस २:१-३)

प्रार्थना एक मसीह के हाथ में सबसे शक्तिशाली सामार्थियों में से एक है। इसके माध्यम से, परमेश्वर की इच्छा को सांसारिक क्षेत्र में कार्य किया जा सकता है। परमेश्वर चाहता है कि हम निरंतर प्रार्थना करें, और वह यह भी चाहता है कि हम बिना रुके प्रार्थना करें। हमारी प्रार्थनाओं के बिना, कई चीजें जो परमेश्वर करना चाहते हैं, वे सांसारिक क्षेत्र में बाधित होंगी क्योंकि प्रार्थना वह मार्ग है जो परमेश्वर को मनुष्यों के मामलों में काम करने के लिए कानूनी पहुंच प्रदान करती है। परमेश्वर सेनाओं का यहोवा है और किसी भी समय और हर समय चल सकता है, लेकिन उन्होंने खुद को प्रार्थना के प्रति समर्पित कर दिया है। यदि हम प्रार्थना करते हैं, तो वह सुनेगा, उत्तर देगा, और हमारी सभी इच्छाओं को पूरा करेगा।

हमें अपने अधिकारीयों के लिए प्रार्थना करने की जरुरत क्यों है?

१. हमारी प्रार्थनाएँ हमारे अधिकारीयों को वह कार्य करने में मदद करेंगी जो परमेश्वर के हृदय में हैं।
प्रार्थना हमारे अधिकारीयों के हृदय को छूती है ताकि वे परमेश्वर की इच्छा का पालन करें और परमेश्वर से डरें। जब हमारे अधिकारी, देश और कलीसिया के लिए प्रार्थना नहीं की जाती है, तो कई चीजें परमेश्वर की इच्छा के विपरीत हो जाएंगी। हमें परमेश्वर से डरने वाले अधिकारीयों को परमेश्वर की इच्छा के अनुसार लोगों का अगुवाई करने के लिए नियमित रूप से परमेश्वर से उनके ह्रदय को छूने के लिए प्रार्थना करनी चाहिए।

२. हमें अपने अधिकारीयों के लिए प्रार्थना करनी चाहिए ताकि वे ज्ञान के साथ अगुवाई करें।
ज्ञान प्रमुख चीज़ है, और हर एक अधिकारी को सफलतापूर्वक अगुवाई करने के लिए ज्ञान की जरुरत होती है।

जब सुलैमान ने अगुवाई का कार्यभार संभाला, तो उसने तुरंत ज्ञान की जरुरत को पहचान लिया। वह जानता था कि उसकी प्रमुख जरुरत ज्ञान थी।

जब परमेश्वर ने उसे कुछ भी माँगने के लिए एक खाली चेक दिया, तो उसने कहा:
"और अब हे मेरे परमेश्वर यहोवा! तूने अपने दास को मेरे पिता दाऊद के स्थान पर राजा किया है, परन्तु मैं छोटा लड़का सा हूँ जो भीतर बाहर आना जाना नहीं जानता। फिर तेरा दास तेरी चुनी हुई प्रजा के बहुत से लोगों के मध्य में है, जिनकी गिनती बहुतायत के मारे नहीं हो सकती। तू अपने दास को अपनी प्रजा का न्याय करने के लिये समझने की ऐसी शक्ति दे, कि मैं भले बुरे को परख सकूं; क्योंकि कौन ऐसा है कि तेरी इतनी बड़ी प्रजा का न्याय कर सके?" (१ राजा ३:७-९)

परमेश्वर उसके बिनती से प्रसन्न हुआ क्योंकि उसने लम्बी आयु या धन की मांग नहीं की थी। परमेश्वर ने उसे ज्ञान, धन और वह सब कुछ दिया जो उसने नहीं मांग था। हमारे अधकारियों को ज्ञान की जरुरत है क्योंकि वे समाज में कई लोगों और समस्याओं से निपटते हैं। ज्ञान के बिना, वे जल्दबाज़ी और अधर्मी निर्णय ले सकते हैं जो कई पीढ़ियों के भविष्य को प्रभावित कर सकते हैं।

हमें कलीसिया के लिए प्रार्थना करने की जरुरत क्यों है?

कलीसिया पृथ्वी पर परमेश्वर का प्रतिनिधि है, और कलीसिया के लिए भी परमेश्वर से प्रार्थना की जानी चाहिए।
  1. कलीसिया को ईश्वर की प्रार्थना की जरुरत है ताकि वह पृथ्वी पर परमेश्वर के कार्य में आगे बढ़ सके।
  2. कलीसिया को प्रार्थना की जरुरत है ताकि समुदायों, लोगों के जीवन और देशों में दुश्मन के गढ़ों को तोड़ा जा सके।
  3. कलीसिया को हमारी प्रार्थनाओं की जरुरत है ताकि वह शुभ समाचार फैला सके।
  4. कलीसिया को हमारी प्रार्थनाओं की जरुरत है ताकि वह विचलित हुए बिना और सांसारिक चीजों से आकर्षित हुए बिना अपने मार्ग पर चल सके।
भाइयों, मैं चाहता हूं कि हम अपने ह्रदय से कलीसिया के लिए प्रार्थना करें क्योंकि कलीसिया के लिए प्रार्थना करना अपने लिए प्रार्थना करना भी है। मैं यह भी चाहता हूं कि हम अपने अधिकारीयों और अपने देश के लिए प्रार्थना करें। पवित्रशास्त्र कहता है, "यरूशलेम की शान्ति का वरदान मांगो, तेरे प्रेमी कुशल से रहें!तेरी शहरपनाह के भीतर शान्ति, और तेरे महलों में कुशल होवे! (भजन संहिता १२२:६-८)।

उदाहरण के लिए, यूक्रेन में, जहां रूस के साथ युद्ध चल रहा है, चीजें सामान्य तरीके से नहीं चल रही हैं। कारोबार और कई अन्य चीजें प्रभावित हुई हैं. इसलिए, यदि आप अपने देश की शांति के लिए प्रार्थना नहीं कर रहे हैं, यदि आप अपने अधिकारीयों के लिए प्रार्थना नहीं कर रहे हैं, यदि आप कलीसिया के लिए प्रार्थना नहीं कर रहे हैं, तो कलीसिया, देश या अधिकारीयों के खिलाफ जो कुछ भी होगा वह आपको प्रभावित करेगा। इसका असर लंबे समय में आपके परिवार और कारोबार पर पड़ेगा। इसलिए, हमें आज इस प्रार्थना के प्रति भावुक होने और अपना सब कुछ देने की जरूरत है ताकि परमेश्वर हमारे देश में कदम रख सकें और कलीसिया को अग्नि और अनुग्रह के साथ वह सब करने के लिए सशक्त बना सकें जो परमेश्वर ने उसे हमारे देश में करने के लिए नियुक्त किया है।

Bible Reading Plan : 1 Thessalonians 3 - 1 Timothy 5

Prayer
हर एक प्रार्थना अस्त्र को तब तक दोहराएं जब तक कि यह आपके हृदय से गूंज न जाए। उसके बाद ही आपको अगले अस्त्र पर आगे बढ़ना चाहिए। प्रार्थना मुद्दे को व्यक्तिगत रूप से करें, और आगे बढ़ने से पहले सुनिश्चित करें कि यह वास्तव में पूर्णहृदय से है, हर एक प्रार्थन मुद्दे के लिए कम से कम एक मिनट समर्पित करें।

१. यीशु मसीह के नाम में, पिता, यीशु के नाम में हमारे देश पर आपकी इच्छा पूरी हो। (मत्ती ६:१०)

२. हमारे देश पर किसी भी शैतानी कार्य को यीशु के नाम में ख़त्म कर दिया जाए। हम ऐलान करते हैं और घोषणा करते हैं कि यह यीशु के नाम में प्रकट नहीं होगा। (२ कुरिन्थियों १०:४-५)

३. हे प्रभु, हमारे कलीसिया को सशक्त बना ताकि वह यीशु के नाम में सामर्थ और अनुग्रह के साथ आगे बढ़े। (प्रेरितों के काम १:८)

४. पिता, मजदूरों को फसल काटने के लिए भेज, उस काम के लिए जो आपने यीशु के नाम में एक कलीसिया के रूप में हमारे हाथों में सौंपा है। (मत्ती ९:३८)

५. पिता, हम अपने अधिकरियों के लिए प्रार्थना करते हैं कि आप उन्हें यीशु मसीह के नाम में देश के संकट और समस्याओं को सुलझाने और हल करने की बुद्धि देंगे। (याकूब १:५)

६. पिता, हम अपने अधिकरियों के लिए प्रार्थना करते हैं कि वे आपकी आज्ञा का पालन करेंगे और यीशु के नाम में आपका भय उनके ह्रदय में रहेगा। (नीतिवचन ९:१०)

७. पिता, हम प्रार्थना करते हैं कि आप हमारे अधिकरियों को सुरक्षित रखेंगे ताकि इस देश में धार्मिकता कायम रखने वाले लोग यीशु के नाम में लंबे समय तक जीवित रहें। (नीतिवचन ३;१-२)

८. पिता, दानिय्येल जैसे धर्मी अगुवों, नहेमायाह जैसे धर्मनिष्ठ अगुवों, शक्तिशाली अगुवों, मूसा और यहोशू की तरह आपकी इच्छा पूरी करनेवाले अगुवों को खड़ा कर। उन्हें यीशु मसीह के नाम में हमारी पीढ़ी में खड़ा कर। आमेन। (दानिय्येल १:१७, नहेमायाह १:४, इब्रानियों ११:२३-२९)

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