Daily Manna
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परमेश्वर अलग ढंग (रूप) से देखता हैं
Tuesday, 3rd of June 2025
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मानव हृदय
परमेश्वर ह्रदय (मन) को देखता है: -
प्रभु ने शाऊल को उनके आज्ञाओ की लगातार आज्ञा का उल्लंघन के कारण राजा होने से अस्वीकार (त्याग) कर दिया था। फिर प्रभु ने यिशै के घर जाने के लिए भविष्यवक्ता शमूएल को और इस्राएल के भावी राजा के रूप में अपने एक बेटे का अभिषेक करने की आज्ञा दी।
जैसा कि भविष्यवक्ता शमूएल को सौंपा गया काम था, एलीआब (यिशै के बेटे और दाऊद के भाई में से एक) भविष्यवक्ता शमूएल के सामने खड़ा था। वह दिखने में काफी सुन्दर था और भविष्यवक्ता शमूएल ने सोचा, "निश्चित रूप से यह प्रभु द्वारा चुना गया है"
परन्तु यहोवा ने (भविष्यवक्ता) शमूएल से कहा, न तो उसके रूप पर दृष्टि कर, और न उसके डील की ऊंचाई पर, क्योंकि मैं ने उसे अयोग्य जाना है; क्योंकि यहोवा का देखना मनुष्य का सा नहीं है; मनुष्य तो बाहर का रूप देखता है, परन्तु यहोवा की दृष्टि मन पर रहती है। (१ शमूएल १६:७)
परमेश्वर ने एलीआब को मना (तिरस्कार) क्यों किया?
शारीरिक या रूप से बुद्धिमान, वह शांत था लेकिन उसका मन (भीतर मनुष्य) परमेश्वर से प्रार्थना (निवेदन) नहीं की और वह परमेश्वर द्वारा तिरस्कार किया गया था। जिस तरह से परमेश्वर हमें देखता हैं, वह मनुष्य के देखने के तरीके से अलग है।
मनुष्य तो बाहर का रूप देखता है, लेकिन परमेश्वर भीतर की ओर गहराई से देखता है - वह मन (आत्मा मनुष्य) को देखता है। अब कृपया समझें, अच्छी तरह से तैयार होना और अच्छा दिखना गलत नहीं है, लेकिन हमें अपने मानों (आत्मा मनुष्य या भीतर मनुष्य) की स्थिति के बारे में भी समान रूप से चिंतित होने की जरुरत है।
मनुष्य के साथ परमेश्वर के सभी व्यवहार उसके मन की स्थिति (भीतर मनुष्य) पर आधारित हैं। राजा शाऊल की तुलना में दाऊद इतना सुन्दर नहीं था। लेकिन तब वह परमेश्वर के मन के अनुसार का व्यक्ति था। (१ शमूएल १३:१४, प्रेरितों के काम १३:२२)। तो इससे आप मन के महत्व को देख सकते हैं और हमारे मन की रक्षा करने की अति-आवश्यक (बहुत जरुरत) है।
Bible Reading: 2 Chronicles 33-35
Prayer
पिता, मेरे भीतर मनुष्य को स्थिरता के साथ मज़बूत कर, ताकि मैं जोश (उत्साह) और परिश्रम के साथ आपकी इच्छा पूरा कर सकूं और आपके मन की गहरी बातों का पीछा न छोड़ूँ।
पिता परमेश्वर, आप शांति के प्रभु यहोवा शालोम हैं। कृपया मुझे मेरे जीवन के सभी क्षेत्रों में आपकी शांति दें।
पिता, आप मुझे जब मुश्किल हो तो मेरे प्रतिबद्धताओं और मेरे सेवकाई के बुलाहट के माध्यम से पालन करने की सामर्थ दें। यीशु के नाम में। अमीन।
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