आइए हम अदन की वाटिका पर जाएं - जहां यह सब शुरू हुआ,
आदम ने कहा, "जिस स्त्री को तू ने मेरे संग रहने को दिया है उसी ने उस वृक्ष का फल मुझे दिया, और मैं ने खाया।"
तब यहोवा परमेश्वर ने स्त्री से कहा, "तू ने यह क्या किया है? स्त्री ने कहा, सर्प ने मुझे बहका दिया तब मैं ने खाया।" (उत्पति ३:१२-१३)
पुरुष ने स्त्री को दोषी ठहराया और स्त्री ने सर्प को दोषी ठहराया।
जैसे ही पुरुष ने पाप किया, पुरुष ने दूसरों पर आरोप लगाना शुरू कर दिया। (जब मैं कहता हूं पुरुष, कृपया समझें कि इसमें स्त्री भी शामिल है)।
पाप के प्रभावों में से एक है कि हमारे कामों (चालचलन) की जिम्मेदारी लेने से इनकार करना। ये वो रवैया है, जो आज शिशु से लेकर बड़े तक का प्रचलित है।
लोग अपने कामों के लिए दूसरों को दोष क्यों देते हैं?
१. वे उस अपराध बोध के साथ नहीं जीना चाहते जो उनके कामों से आता है।
२. वे अपने कामों के परिणाम भुगतना नहीं चाहते हैं। दूसरों को दोष देना एक भागने की व्यवस्था की तरह है।
दूसरों को दोष देने का प्रभाव
• जो लोग अपनी असफलताओं के लिए दूसरों को दोष देते हैं, वे कभी उन पर कभी काबू न पाते है।
• वे बस समस्या से समस्या की ओर बढ़ते हैं और वे लोगों को उनकी समस्या के लिए दोषी मानते हैं।
उनकी तरह मत बनो। अपनी क्षमता तक पहुँचने के लिए, आपको लगातार अपने आप को सुधारना होगा, और यदि आप अपने कामों की जिम्मेदारी नहीं लेते हैं और अपनी गलतियों से नहीं सीखते हैं, तो आप ऐसा नहीं कर सकते।
एक कमजोर अगुवे के चिन्हो में से एक,
शाऊल ने कहा, वे तो अमालेकियों के यहां से आए हैं; अर्थात प्रजा के लोगों ने अच्छी से अच्छी भेड़-बकरियों और गाय-बैलों को तेरे परमेश्वर यहोवा के लिये बलि करने को छोड़ दिया है; और बाकी सब को तो हम ने सत्यानाश कर दिया है। (१ शमूएल १५:१५)
अगुआ अपने लोगों के लिए जिम्मेदार होता है। वह लोगों पर दोष नहीं लगा सकता।
शाऊल एक कमजोर अगुआ था और उसने अपने लोगों को प्रभु की आज्ञा का पालन करने में अपनी विफलता के लिए दोषी ठहराया। एक कमजोर अगुआ अक्सर अपनी असफलताओं/अक्षमताओं के लिए दूसरों, परिस्थितियों, भाग्य या अवसरों को दोष देता है। वचन कहता है, "परन्तु जो लोग अपने परमेश्वर का ज्ञान रखेंगे, वे हियाव बान्धकर बड़े काम करेंगे।" (दानिय्येल ११:३२)
एक दिलचस्प बात यह है कि इसके बावजूद आदम ने अपनी पत्नी पर दोष लगाया और हव्वा ने सर्प को दोषी ठहराया, परमेश्वर ने उन्हें उनके कामों के लिए जिम्मेदार ठहराया और उन्हें उनकी आज्ञा का उल्लंघन का प्रतिफल भुगतना पड़ा।
और आदम से उसने कहा, "तू ने जो अपनी पत्नी की बात सुनी, और जिस वृक्ष के फल के विषय मैं ने तुझे आज्ञा दी थी कि तू उसे न खाना उसको तू ने खाया है।" (उत्पति ३:१७)
न्याय के दिन, दोष देने के लिए कोई अवसर नहीं होगा।
सो हम में से हर एक परमेश्वर को अपना अपना लेखा-जोखा (हिसाब किताब) देगा॥
सो आगे को हम एक दूसरे पर दोष न लगाएं पर तुम यही ठान लो कि कोई अपने भाई के सामने ठेस या ठोकर खाने का कारण न रखे। (रोमियो १४:१२-१३)
Bible Reading: Ecclesiastes 7-10
प्रार्थना
पिता, यीशु के नाम में, मैं स्वीकार करता हूं कि मैंने अक्सर लोगों को खुद को सही ठहराने के लिए दोषी ठहराया है। कृपया इस ठोकर खानेवाली रूकावट पर विजय पाने में मेरी मदद कर। अमीन।
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