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डेली मन्ना

आत्मा का फल कैसे विकसित किया जाए -१

Sunday, 14th of September 2025
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Categories : आत्मा का फल
पवित्र आत्मा के उपहार "प्राप्त" किए जाते हैं जबकि उसके फलों की "खेती" की जाती है। यह आत्मा के फल से है कि हम अपने पापी स्वभाव की इच्छाओं को दूर करते हैं।

आत्मा का फल विकसित करना प्रभु के साथ एक रिश्ते से जुड़ने जैसा है। अपने जीवन में आत्मा के फल पर जोर देना केवल शरीर का काम है जो एक निराशा का अनुभव होगा।

आत्मा का फल केवल आत्मा के द्वारा उत्पन्न होती है जब हम मसीह में रहेंगे। निम्नलिखित वचनो का ध्यानपूर्वक अध्यान करें (उन्हें जितनी बार चाहें उतनी बार पढ़ें)

तुम मुझ में बने रहो, और मैं तुम में: जैसे डाली यदि दाखलता में बनी न रहे, तो अपने आप से नहीं फल सकती, वैसे ही तुम भी यदि मुझ में बने न रहो तो नहीं फल सकते। मैं दाखलता हूं: तुम डालियां हो; जो मुझ में बना रहता है, और मैं उस में, वह बहुत फल फलता है, क्योंकि मुझ से अलग होकर तुम कुछ भी नहीं कर सकते। यदि कोई मुझ में बना न रहे, तो वह डाली की नाईं फेंक दिया जाता, और सूख जाता है; और लोग उन्हें बटोरकर आग में झोंक देते हैं, और वे जल जाती हैं। (यूहन्ना १५: ४-६)

जब हम प्रभु के अधीन हो जाते हैं तो आत्मा का फल विकसित होना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है। समय बिताने और उनके साथ एक संबंध विकसित करने से, यह दर्शाता है कि वह हमसे कितना प्यार करता है, और यह समझना है कि वह कौन है और वह अपने में बसना चाहता है, यह हम यीशु के लिए अधीन होना शुरुवात करेंगे। यह प्रक्रिया हमें उनके साथ एक एकता विकसित करने की अनुमति देती है जिसके परिणाम हम आत्मा के फल को विकसित करेंगे।

जो वचन को तुच्छ जानता, वह नाश हो जाता है, परन्तु आज्ञा के डरवैये को अच्छा फल मिलता है। (नीतिवचन १३:२० NKJV)

बुद्धिमान के साथ चलो और बुद्धिमान बनो; परन्तु मूर्खों की संगति करने से नाश हो जाता है। (नीतिवचन 13:20 NLT)

जिस बिंदु को मैं बनाने की कोशिश कर रहा हूं, वह है, हम उन लोगों की तरह हो जाते हैं जिनके साथ हम बाहर रहते हैं।

पवित्र आत्मा के फल को उत्पन करने के लिए पवित्र आत्मा के साथ हर दिन समय बिताना बहुत जरुरी है। फल उत्पन होने से पहले कुछ करना चाहिए। यशायाह ३७:३१ कहता है कि, "जड़ को नीचे की ओर से पकड़ों और फूलों - फलों।"

Bible Reading: Ezekiel 36-37
अंगीकार
मैं अपना मन ऊपर की चीज़ों पर लगाऊंगा जहाँ मसीह है; पृथ्वी की चीजों पर नहीं। पवित्र आत्मा मेरे जीवन में उनका फल उत्पन कर रहा है। मेरा जीवन हजारों के लिए एक आशीष का कारण होगा।



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