डेली मन्ना
वचन में बुद्धि (ज्ञान) है
Saturday, 12th of November 2022
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परमेश्वर का शब्द
सो तुम उन को धारण करना और मानना; क्योंकि और देशों के लोगों के साम्हने तुम्हारी बुद्धि और समझ इसी से प्रगट होगी, अर्थात वे इन सब विधियों को सुनकर कहेंगे, कि निश्चय यह बड़ी जाति बुद्धिमान और समझदार है। (व्यवस्थाविवरण ४:६)
उपरोक्तवचन में, हम देखते हैं कि:
• वचन का अभ्यास करने से हमारी बुद्धि और समझ बढ़ेगी।
• वचन का अभ्यास करने से हमें अपने आस-पास के लोगों पर प्रभाव पड़ेगा।
जब लोग सुनते हैं और देखते हैं कि क्या चल रहा है, तो वे कहेंगे, "कितना महान देश है! इतना बुद्धिमान और समझदार है। (व्यवस्थाविवरण ४:६)
भजन संहिता ११९:९८ में भजनहार ने लिखा है,
तू अपनी आज्ञाओं के द्वारा मुझे अपने शत्रुओं से अधिक बुद्धिमान करता है, क्योंकि वे सदा मेरे मन में रहती हैं।
सबसे बड़ा शत्रु हमारी आत्माओं का शत्रु है - शैतान। परमेश्वर के वचन से मिली बुद्धि आपको शैतान से दूर रखेगी। शत्रु वचन को जान सकता है और वचन को याद कर सकता है, लेकिन उसके पास वचन के ज्ञान तक कोई पहुंच (प्रवेश) नहीं है - यह उससे छिपा हुआ है। उदाहरण के लिए: यदि शैतान जानता है, तो तेजोमय प्रभु को क्रूस पर नहीं चढ़ाते थे। (१ कुरिन्थियों २:८)
मैं अपने सब शिक्षकों से भी अधिक समझ रखता हूं,
क्योंकि मेरा ध्यान तेरी चितौनियों पर लगा है। (भजन संहिता ११९:९८-९९)
परमेश्वर के वचन की बुद्धि भी हमें इस दुनिया के शिक्षकों की तुलना में समझदार बनाती है जिनके पीछे उनकी सारी शिक्षा है। यहां तक कि उम्र भी उस बुद्धि से प्रतिस्पर्धा नहीं करती है जो वचन से आता है।
सच्चा ज्ञान सिर्फ ज्ञान के संचय से परे जाता है। ज्ञान का मूल्य है, लेकिन जीवन को बदलने के तरीके मंा हमारे जीवन पर ज्ञान को कैसे लागू किया जाए - यही सच्चा ज्ञान है।
अपने चारों ओर एक नज़र डालें, बुद्धिमान और शिक्षित लोग आवश्यक रूप से बुद्धिमान नहीं हैं, और एक को अपने जीवन के प्रतिफल को देखने के लिए यह महसूस करना होगा कि ज्ञान जरूरी नहीं कि जीवन के लिए बुद्धिमान निर्णय की गारंटी हो।
प्रेरित पौलुस ने लिखा, मसीह यीशु ने हमें ज्ञान दिया है (१ कुरिन्थियों १:३०)
पौलुस अनिवार्य रूप से कह रहा था कि वचन हमारी बुद्धि है।
बुद्धि श्रेष्ट है
इसलिये उसकी प्राप्ति के लिये यत्न कर; जो कुछ तू प्राप्त करे उसे प्राप्त तो कर परन्तु समझ की प्राप्ति का यत्न घटने न पाए।
उसकी बड़ाई कर, वह तुझ को बढ़ाएगी;
जब तू उस से लिपट जाए, तब वह तेरी महिमा करेगी।
वह तेरे सिर पर शोभायमान भूषण बान्धेगी;
और तुझे सुन्दर मुकुट देगी॥ (नीतिवचन ४:७-९)
यदि आप यह ज्ञान चाहते हैं तो आपको इसके पीछे जाना होगा। परमेश्वर कुछ उपहार के रूप में ज्ञान देता हैं, लेकिन यदि आप अधिक ज्ञान चाहते हैं, तो आपको इसे प्राप्त करने का संकल्प करना होगा, चाहे वह कुछ भी हो। यह एक बार की प्रक्रिया नहीं है; यह परमेश्वर के वचन में ज्ञान पाने की दिन-प्रतिदिन की प्रक्रिया है।
प्रार्थना
(इसे दिन भर कहते रहें)
मसीह यीशु ने मुझे परमेश्वर की ओर से ज्ञान ठहराया है।
मसीह यीशु ने मुझे परमेश्वर की ओर से ज्ञान ठहराया है।
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