english मराठी తెలుగు മലയാളം தமிழ் ಕನ್ನಡ Contact us हमसे संपर्क करें Spotify पर सुनो Spotify पर सुनो Download on the App StoreIOS ऐप डाउनलोड करें Get it on Google Play एंड्रॉइड ऐप डाउनलोड करें
 
लॉग इन
ऑनलाइन दान
लॉग इन
  • होम
  • इवेंट्स
  • सीधा प्रसारण
  • टी.वी.
  • नोहाट्यूब
  • स्तुती
  • समाचार
  • डेली मन्ना
  • प्रार्थना
  • अंगीकार
  • सपने
  • ई बुक्स
  • कमेंटरी
  • श्रद्धांजलियां
  • ओएसिस
  1. होम
  2. डेली मन्ना
  3. आभारी (कृतज्ञता) में एक सीख (है)
डेली मन्ना

आभारी (कृतज्ञता) में एक सीख (है)

Sunday, 5th of March 2023
43 29 1352
और ऐसा हुआ कि यीशु यरूशलेम को जाते हुए सामरिया और गलील के बीच से होकर जा रहा था। और किसी गांव में प्रवेश करते समय उसे दस कोढ़ी मिले। (लूका १७:११-१२)

उन दस व्यक्तियों में से एक होने की कल्पना कीजिये। कोढ़ी रोग के साथ आने वाले दर्द, अलग होना, अस्वीकार और भय की कल्पना करें। यह जानने की कल्पना करें कि, मूसा की व्यवस्था के अनुसार, उन्हें खुद को दूसरों से दूर करना था, अपने कपड़े फाड़ने थे, और "अशुद्ध, अशुद्ध" चिल्लाना था। उस निराशा और आशाहीन्ता की कल्पना करें जो उनके ह्रदय में भर गई होगी।

और फिर भी, इन कोढ़ियों को कुछ ऐसा पता था जिसे हम में से बहुत से लोग भूल जाते हैं: वे जानते थे कि दया के लिए कैसे पुकारा जाता है। "हे यीशु, हे स्वामी, हम पर दया कर!" उन्होंने अपनी आवाज उठाई (लूका १७:१३)।
अपनी आवाज उठाना प्रार्थना का प्रतीक है। यदि आप चाहते हैं कि परमेश्वर आपकी स्थिति में मध्यस्थी करे, तो यह अनिवार्य है कि आप प्रार्थना में अपनी आवाज उठाएं।

उन्होंने यीशु को अपनी एकमात्र आशा के रूप में पहचाना, और उन्होंने उससे दया की याचना की। और यीशु ने क्या किया? उसने "उन्हें देखकर कहा, ' जाओ; और अपने तई याजकों को दिखाओ; और जाते ही जाते वे शुद्ध हो गए" (लूका १७:१४)। परन्तु उन में से एक ने यह देखकर, कि मैं चंगा हो गया हूं, लौटकर ऊंचे शब्द से परमेश्वर की स्तुति की। वह यीशु के चरणों में मुंह के बल गिरा और उनका धन्यवाद किया। वह एक सामरी था। (लूका १७:१५-१६)
बहुत से लोग चंगाई और छुटकारा प्राप्त करते हैं, परन्तु बहुत कम लोग आते हैं और गवाही देकर प्रभु की महिमा करते हैं।

यह कहानी हमें आभारी के बारे में कई सीख देती है। सबसे पहले, आभार एक विकल्प है। हम उस पर ध्यान केंद्रित करना चुन सकते हैं जो हमारे पास नहीं है, या जो हमारे पास है उसके लिए हम आभारी होना चुन सकते हैं। यीशु के पास लौटने वाले कोढ़ी ने अपनी कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए सचेत चुनाव किया, और वह इसके कारण आशीषित हुआ।

दूसरा, आभारी आराधना का एक रूप है। जब हम परमेश्वर को उनकी आशीषों के लिए धन्यवाद देते हैं, तो हम उनकी भलाई, उनके प्रेम और उनकी दया को स्वीकार करते हैं। हम उनकी महिमा करते हैं और उन्हें वह सम्मान देते हैं जिसके वह हकदार हैं।

अंत में, आभारी संक्रामक है। जब हम अपना आभार व्यक्त करते हैं, तो हम दूसरों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करते हैं। हम आनंद और आशा फैलाते हैं, और हम अपने आसपास के लोगों के लिए एक आशीष बन जाते हैं।
जैसा कि हम अपने दैनिक जीवन में जीते हैं, आइए हम कोढ़ियों और दया के लिए उनकी पुकार को याद करें। आइए हम उसे भी याद करें जो यीशु को धन्यवाद देने के लिए लौटा, और उसके उदाहरण का अनुसरण करें। आइए हम आभारी होना चुनते हैं, परमेश्वर की आराधना करते हैं, और हम जहां भी जाते हैं वहां परमेश्वर और उनकी आशा का आनंद फैलाते हैं।

प्रार्थना
पिता, मैं आज आपके सामने आभारी हृदय से आता हूं। मेरे और मेरे परिवार के प्रति आपकी दया के लिए धन्यवाद; वे हर दिन नए हैं। मैं जहां भी जाऊं मुझे अपनी आशीष का कारण बना। यीशु के नाम में। आमेन!



Join our WhatsApp Channel


Most Read
● २१ दिन का उपवास: दिन ०८
● परमेश्वर के ७ आत्मा: बुद्धि की आत्मा
● परमेश्वर की सिद्ध (पूर्ण) इच्छा के लिए प्रार्थना करें
● आपका उद्देश्य क्या है?
● परमेश्वर के वचन को पढ़ने का ५ लाभ
● हमारे पीछे जलता हुआ संबंध
● आत्मिक घमंड का जाल
टिप्पणियाँ
संपर्क
फ़ोन: +91 8356956746
+91 9137395828
व्हाट्स एप: +91 8356956746
ईमेल: [email protected]
पता :
10/15, First Floor, Behind St. Roque Grotto, Kolivery Village, Kalina, Santacruz East, Mumbai, Maharashtra, 400098
सामाजिक नेटवर्क पर हमारे साथ जुड़े रहें!
Download on the App Store
Get it on Google Play
मेलिंग सूची में शामिल हों
समन्वेष
इवेंट्स
सीधा प्रसारण
नोहाट्यूब
टी.वी.
दान
डेली मन्ना
स्तुती
अंगीकार
सपने
संपर्क
© 2025 Karuna Sadan, India.
➤
लॉग इन
कृपया इस साइट पर टिप्पणी और लाइक सामग्री के लिए अपने NOAH खाते में प्रवेश करें।
लॉग इन