"निरंतर निराशा आपको दुखी कर देती है, लेकिन अचानक मिला एक अच्छा अश्चार्यक्रम जीवन बदल सकता है।" (नीतिवचन १३:१२)
जब निराशा की हवाएँ हमारे चारों ओर विलाप करती हैं, तो यह महसूस करना आसान होता है कि हमारे मनों में ठंडक घुल गई है। निराशा, एक बिन बुलाए मेहमान की तरह, किसी भी समय हमारे दरवाजे पर दस्तक दे सकती है, जिससे हमारा ह्रदय बीमार हो जाता है और हमारा उत्साह कम हो जाता है। शायद यह एक स्वप्न है जो हमेशा पहुंच से बाहर लगता है या अवसर का एक दरवाजा है जो बंद हो गया है। यह अनुत्तरित प्रार्थनाओं की प्रतिध्वनि है या अधूरी अपेक्षाओं का दंश है। यह वह सन्नाटा है जो अधूरी आशाओं के शून्य में छाया रहता है।
इस तरह की ह्रदय की बीमारी से रास्ता रातें लंबी और अंधेरा घना लगने लगता है। लेकिन याद रखें, हमारी यात्रा छाया की घाटी में समाप्त नहीं होती है। आशा का प्रभु हमें हमारे कष्टों से ऊपर उठने के लिए प्रेरित करता है, हमें उसकी आशा के सोते से पीने के लिए आमंत्रित करता है, एक ऐसा झरना जो कभी नहीं सूखता। "सो परमेश्वर जो आशा का दाता है तुम्हें विश्वास करने में सब प्रकार के आनन्द और शान्ति से परिपूर्ण करे, कि पवित्र आत्मा की सामर्थ से तुम्हारी आशा बढ़ती जाए।" (रोमियो १५:१३)
आशा के बिना जीवन घेरा मोड में जीवन है - उदासीन, अंधकारमय और थका हुआ। लेकिन परमेश्वर ने हमें लगातार निराशा से भरा जीवन जीने के लिए नहीं बनाया है। उन्होंने अपने दैवी पटिया के पूर्ण वर्णक्रम का अनुभव करने के लिए हममें जीवन दिया है- आनंद के रंग, शांति के रंग और प्रेम के रंग। वह हमें अटूट आशा में डूबा हुआ जीवन जीने के लिए कहते हैं, ऐसा जीवन जीने के लिए जो उनके शाश्वत वादों पर आधारित है।
जब हमारे मनों में आशा का नवीनीकरण होता है, तो यह लंबी रात के बाद अंधकार को भेदने वाली सूरज की पहली किरणों की तरह होती है। यह एक दैवी सरसराहट है, जो हमें याद दिलाती है कि हमारे दुःख एक रात के लिए सहन हो सकते हैं, लेकिन आनंद सुबह आती है (भजन संहिता ३०:५)।
तो फिर, जब निराशाएँ हमारे ह्रदय को बीमार कर देती हैं तो हम क्या करते हैं? हम फिर से आशा करने की बल कैसे पाएं?
सबसे पहले, अपनी निराशाओं को परमेश्वर को सौंप दें। प्रभु हमें अपनी सभी चिंताओं को उस पर डालने के लिए आमंत्रित करता है क्योंकि वह हमारी चिंता करता है (१ पतरस ५:७)। हर टूटी हुई आशा, हर टूटा हुआ स्वप्न उनके प्रेमी हाथों में सुरक्षित है। जैसे ही आप अपनी निराशाएँ उसे सौंप देंगे, आपका हृदय दैवी शांति से भर जाएगा, यह जानकर कि आपका स्वर्गीय पिता अब आपके जीवन के हर विवरण में शामिल है। मैं ऐसा इसलिए कह रहा हूं क्योंकि मैं भी ऐसी अनुभव कर चुका हूं।
दूसरी बात , अपने प्राण को परमेश्वर के वचन में डुबो दें। पवित्रशास्त्र अनंतकाल आशा के स्रोत हैं, जो परमेश्वर के अपरिवर्तनीय वादों और उनके दृढ़ प्रेम से भरे हुए हैं। "जितनी बातें पहिले से लिखी गईं, वे हमारी ही शिक्षा के लिये लिखी गईं हैं कि हम धीरज और पवित्र शास्त्र की शान्ति के द्वारा आशा रखें।" (रोमियो १५:४) जैसे ही आप प्रतिदिन उसके वचन पर मनन करते हैं, आपका प्राण उन शाश्वत सत्यों से तरोताजा हो जाएगा जिन्होंने युगों-युगों से अनगिनत लोगों को सहारा दिया है।
आखिरी बात, स्तुति और कृतज्ञता का रवैया को विकसित करें। छाया के बावजूद, आभारी होने का हमेशा एक कारण होता है। प्रेरित पौलुस ने, अपने कई परीक्षणों के बीच, विश्वासियों को हमेशा आनन्दित रहने, बिना रुके प्रार्थना करने और सभी परिस्थितियों में धन्यवाद देने के लिए प्रोत्साहित किया (१ थिस्सलुनीकियों ५:१६-१८)। कृतज्ञता हमारा ध्यान हमारी कमी से हटाकर परमेश्वर की बहुतायत की ओर ले जाती है, और स्तुति हमारी आत्माओं को निराशा की लहरों से ऊपर उठा देती है।
भले ही आपकी आत्मा निरंतर निराशा के बोझ से दबी हुई हो, याद रखें, एक अचानक अश्चार्यक्रम, एक दैवी मध्यस्था, आशा की एक वाणी आपके जीवन को बदल सकती है। और इसकी शुरुआत प्रभु की ओर मुड़ने से होती है, जिससे वह आपकी थकी हुई आत्मा में नई आशा का संचार करता है।
प्रार्थना
स्वर्गीय पिता, निराशा के समय में आप हमारे आश्रय हैं; हममें अपनी आशा का संचार कर जो कभी विफल नहीं होती। हमें अपना बोझ आप पर डालने और आपके वादों पर भरोसा करने में मदद कर। हमारे बल को नया कर और हमारे मनों को आपके आनंद, शांति और स्थिर आशा से भरें। यीशु के नाम में , आमीन।
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