डेली मन्ना
दिन ०१: ४० दिन का उपवास और प्रार्थना
Monday, 11th of December 2023
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उपवास और प्रार्थना
"हे परमेश्वर, तू मेरा परमेश्वर है, मैं तुझे यत्न से ढूंढूंगा; सूखी और निर्जल ऊसर भूमि पर, मेरा मन तेरा प्यासा है, मेरा शरीर तेरा अति अभिलाषी है। इस प्रकार से मैं ने पवित्रास्थान में तुझ पर दृष्टि की, कि तेरी सामर्थ्य और महिमा को देखूं। क्योंकि तेरी करूणा जीवन से भी उत्तम है मैं तेरी प्रशंसा करूंगा।" (भजन संहिता ६३:१-३)
क्या आप यीशु के पीछे चलने के प्रति गंभीर हैं?
वह "परन्तु वह जंगलों में .... प्रार्थना किया करता था" (लूका ५:१६) और "प्रार्थना करने को अलग पहाड़ पर चढ़ गया" (मत्ती १४:२३)। धोखेबाज़ याकूब, “इस्राएल, परमेश्वर के हाकिम” कैसे बन गया? (उत्पत्ति ३२:२८ पढ़ें)। बाइबल कहती है, "वह अकेला रह गया; तब कोई पुरूष (प्रभु का दूत) आकर पह फटने तक उससे मल्लयुद्ध करता रहा" (उत्पत्ति ३२:२४)।
ठीक वैसे ही जैसे पति-पत्नी एक साथ अकेले न हों तो विवाह ख़राब हो जाती है, उसी प्रकार मसीह के साथ हमारा रिश्ता भी कमज़ोर हो जाएगा यदि हमारे आत्मिक जीवन में उसके साथ अकेले समय बिताने की कमी है। ध्यान भटकाने वाले इस युग में, परमेश्वर के साथ अकेले समय बिताना प्राथमिकता बनाना जरुरी है।
परमेश्वर के साथ अकेले (समय) कैसे बिताए:
१. प्रार्थना के लिए विशिष्ट समय निर्धारित करें।
दानिय्येल को प्रतिदिन तीन बार प्रार्थना करने की आदत थी: "जब दानिय्येल को मालूम हुआ कि उस पत्र पर हस्ताक्षर किया गया है, तब वह अपने घर में गया जिसकी उपरौठी कोठरी की खिड़कियां यरूशलेम के सामने खुली रहती थीं, और अपनी रीति के अनुसार जैसा वह दिन में तीन बार अपने परमेश्वर के साम्हने घुटने टेक कर प्रार्थना और धन्यवाद करता था, वैसा ही तब भी करता रहा" (दानिय्येल ६:१०)।
इस उपवास अवधि के दौरान, सुनिश्चित करें कि आप प्रार्थना और संगति में परमेश्वर के साथ अकेले विशिष्ट समय बिताएं। यिर्मयाह ने लिखा, "तेरे हाथ के दबाव से मैं अकेला बैठा" (यिर्मयाह १५:१७)।
२. स्तुति और आराधना
हमें धन्यवाद और स्तुति के साथ परमेश्वर की उपस्थिति में प्रवेश करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। "उसके फाटकों से धन्यवाद, और उसके आंगनों में स्तुति करते हुए प्रवेश करो, उसका धन्यवाद करो, और उसके नाम को धन्य कहो।" (भजन संहिता १००:४)
आराधना में, हम अपने हृदयों को अपनी परिस्थितियों से ऊपर उठाकर, परमेश्वर की संप्रभुता और भलाई को स्वीकार करते हैं। स्तुति हमारा ध्यान हमारी ज़रूरतों से हटाकर परमेश्वर की महानता की ओर ले जाती है, जिससे हमारे उपवास और प्रार्थना के दौरान भी विश्वास और कृतज्ञता की आत्मा को बढ़ावा मिलता है।
३. आत्मिक प्रार्थना
प्रार्थना दो प्रकार की होती है:
१. मानसिक प्रार्थना और
२. आत्मिक प्रार्थना.
मानसिक प्रार्थना तब होती है जब आप अपनी समझ और मन से प्रार्थना कर रहे होते हैं, जबकि आत्मिक प्रार्थना तब होती है जब आप अन्य भाषाओं में प्रार्थना कर रहे होते हैं। "इसलिये यदि मैं अन्य भाषा में प्रार्थना करूं, तो मेरी आत्मा प्रार्थना करती है, परन्तु मेरी बुद्धि काम नहीं देती। सो क्या करना चाहिए मैं आत्मा से भी प्रार्थना करूंगा, और बुद्धि से भी प्रार्थना करूंगा; मैं आत्मा से गाऊंगा, और बुद्धि से भी गाऊंगा" (१ कुरिन्थियों १४:१४-१५)।
आत्मिक प्रार्थना हमें अपनी ज्ञान के सीमाओं से परे परमेश्वर से जुड़ने की अनुमति देती है, जिससे उपवास के दौरान गहरी आत्मिक अंतरंगता को बढ़ावा मिलता है।
४. पवित्रशास्त्र का अध्ययन एवं खोज करें
जब आप वचन पढ़ते हैं, तो आप सीधे परमेश्वर के साथ संगति में होते हैं। वचन परमेश्वर है, और परमेश्वर के वचन को पढ़ने का अनुभव व्यक्तिगत रूप से परमेश्वर के साथ आमने-सामने बातचीत करने के समान है।
पवित्रशास्त्र में खुद को डुबो देना न केवल हमारे विचारों को परमेश्वर के साथ संरेखित करता है बल्कि हमें आत्मिक रूप से भी सक्षम और मजबूत बनाता है। उपवास और प्रार्थना के समय में, वचन को अपना पालन-पोषण और मार्गदर्शक बनने दें, अपने मार्ग को प्रकाशन करने दें और अपनी आत्मिक यात्रा को समृद्ध करें।
परमेश्वर के साथ अकेले समय बिताने के लाभ
१. रहस्य खुलेंगे या प्रकट होंगे
परमेश्वर सर्वज्ञ और सर्वयापी है। आप उनके साथ अकेले समय नहीं बिता सकते और अनजान नहीं बने रह सकते हैं। "वही गूढ़ और गुप्त बातों को प्रगट करता है; वह जानता है कि अन्धियारे में क्या है, और उसके संग सदा प्रकाश बना रहता है" (दानिय्येल २:२२)।
२. आप सशक्त होंगे
जब आप परमेश्वर के साथ अकेले समय बिताते हैं, तो आप न केवल शारीरिक सामर्थ का नयापन प्राप्त करते हैं, बल्कि आत्मिक ऊर्जा और ताज़गी का भी आनंद लेते हैं। यशायाह ४०:३१ कहता है, "परन्तु जो यहोवा की बाट जोहते हैं, वे नया बल प्राप्त करते जाएंगे, वे उकाबों की नाईं उड़ेंगे, वे दौड़ेंगे और श्रमित न होंगे, चलेंगे और थकित न होंगे।"
भजन संहिता ६८:३५ के अनुसार, इस्राएल का परमेश्वर "वह अपनी प्रजा को सामर्थ्य और शक्ति का देने वाला है।।" परमेश्वर के साथ अकेले समय बिताएं, और वह आपको सामर्थ प्रदान करेगा।
३. आप पवित्र आत्मा से भर जायेंगे
"और दाखरस से मतवाले न बनो, क्योंकि इस से लुचपन होता है, पर आत्मा से परिपूर्ण होते जाओ" (इफिसियों ५:१८)। जब आप परमेश्वर की आत्मा से भर जाएंगे, तो आपका जीवन पवित्र आत्मा से गहराई से प्रभावित होगा।
४. परमेश्वर के साथ आपकी संगति के समय के दौरान का अभिषेक दुष्टात्मा के जुए को तोड़ देगा
"उस समय ऐसा होगा कि उसका बोझ तेरे कंधे पर से और उसका जूआ तेरी गर्दन पर से उठा लिया जाएगा, और अभिषेक के कारण वह जूआ तोड़ डाला जाएगा" (यशायाह १०:२७)।
५. आप परमेश्वर की प्रतिरूप में परिवर्तित हो जायेंगे
"परन्तु जब हम सब के उघाड़े चेहरे से प्रभु का प्रताप इस प्रकार प्रगट होता है, जिस प्रकार दर्पण में, तो प्रभु के द्वारा जो आत्मा है, हम उसी तेजस्वी रूप में अंश अंश कर के बदलते जाते हैं" (२ कुरिन्थियों ३:१८)।
परमेश्वर को अपना पूरा ह्रदय और साथ ही कुछ विशिष्ट समय भी दें। परमेश्वर के साथ गहराई तक जाने के लिए ये दो प्रमुख शर्तें हैं।
प्रार्थना
प्रत्येक प्रार्थना अस्त्र को तब तक दोहराएँ जब तक वह आपके हृदय से न आ जाए। उसके बाद ही अगली प्रार्थना अस्त्र की ओर बढ़ें। (इसे दोहराएं, इसे व्यक्तिगत रूप से करें, प्रत्येक प्रार्थना मुद्दे के साथ कम से कम 1 मिनट तक ऐसा करें)
१. हे प्रभु, मुझ पर हर तरह से दया कर कि पाप ने मुझे आपसे दूर कर दिया है। (भजन संहिता ५१:१०)
२. परमेश्वर के साथ अपने रिश्ते को प्रभावित करने वाले पाप के हर बोझ को यीशु के नाम मैं नीचे गिरता हूं। (इब्रानियों १२:१)
३. मैं गलतियां, झूठ, संदेह और भय को दूर करता हूं जो मेरे मन में चल रहे हैं, यीशु के नाम में। (२ कुरिन्थियों १०:३-४)
४. पिता! मेरी आंखें खोल ताकि मैं आपके व्यवस्था से अद्भुत चीजें देख सकूं, यीशु के नाम में। (भजन संहिता ११९:१८)
५. मुझे अपने स्वर्गीय पिता के साथ संगति में पुनःस्थापित होने का अनुग्रह ग्रहण हुआ है, यीशु के नाम में। (याकूब ४:६)
६. हे प्रभु! मेरी आत्मा को सशक्त कर। (प्रेरितों के काम १:८)
७. मेरी आत्मिक सामर्थ को ख़त्म करने वाली कोई भी चीज़ यीशु के नाम में नष्ट कर दिया जाए। (यूहन्ना १०:१०)
८. मैं धन के हर धोखे को ख़त्म करता हूं जो मुझे परमेश्वर की चीज़ों से दूर करने के लिए बनाया गया था। (१ तीमुथियुस ६:१०)
९. पिता, मुझे आपके प्रेम और आपके ज्ञान में बढ़ने दे, यीशु के नाम में। (२ पतरस ३:१८)
१०. हे प्रभु, मुझे आपके साथ और मनुष्यों के साथ बुद्धि, कद और अनुग्रह में बढ़ने दे, यीशु के नाम में। (लूका २:५२)
११. प्रभु, सभी चुनौतियों पर विजय पाने और आपके वादों पर दृढ़ रहने के लिए मेरे विश्वास को मजबूत कर। (२ तीमुथियुस ४:७)
१२. हे पिता, आपकी शांति, जो सारी समझ से परे है, मसीह यीशु में मेरे हृदय और मन की सुरक्षित कर। (फिलिप्पियों ४:७)
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