डेली मन्ना
दीन १९ : ४० उपवास और प्रार्थना
Friday, 29th of December 2023
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उपवास और प्रार्थना
विनाशकारी आदतों पर विजय पाना
"वे उन्हें स्वतंत्र होने की प्रतिज्ञा तो देते हैं, पर आप ही सड़ाहट के दास हैं, क्योंकि जो व्यक्ति जिस से हार गया है, वह उसका दास बन जाता है।" (२ पतरस २:१९)
आदतें निष्पक्ष हैं; वे अच्छे या बुरे हो सकते हैं। अच्छी आदतें हमें भविष्यवचनीय और सुसंगत परिणाम प्राप्त करने में मदद कर सकती हैं। दूसरी ओर, बुरी आदतें हमारी महानता को सीमित कर सकती हैं और विनाश की ओर ले जा सकती हैं।
"मैं बुरी आदतों को कैसे तोड़ सकता हूं?" "मुझे इसे रोकना मुश्किल लगता है।" "मैं इसे दोबारा नहीं करना चाहता, लेकिन मैं फंस गया हूं, इसलिए मैं इसे करता रहता हूं।" ये कुछ ऐसी कठिनाइयाँ हैं जिनका सामना विनाशकारी आदतों वाले लोग करते हैं। आज, परमेश्वर आपको यीशु के नाम में उन विनाशकारी आदतों पर विजय प्रदान करेगा।
विनाशकारी आदतों के कारण इस तरह है
- टुटा हुआ घर और शादियां
- अकाल मृत्यु
- शराबीपन और नशीले पदार्थों
- डकैती
- असफलता
- स्वास्थ्य चुनौतियां
- बंदीगृह
- दुख और पीड़ा
- यौन विकृति या लैगिंक गलत सोच विचार
शैतान वह सब कर रहा है जो वह यह सुनिश्चित करने के लिए कर रहा है कि लोग अपनी विधान को पूरा न करें, और वह जिस हथियार का उपयोग कर रहा है वह विनाशकारी आदतें हैं।
आप विनाशकारी आदतों को तोड़ सकते हैं, परन्तु आपको पवित्र आत्मा की सहायता की जरुरत है। वे विनाशकारी आदतें कभी शरीर के कार्य थे, लेकिन जब आप लंबे समय तक शरीर में बने रहते हैं, तो एक दुष्ट तत्व के लिए द्वार खुल जाएगा। दुष्टात्माएं आसानी से शरीर के कामों पर हावी हो सकती हैं, इसलिए आपको सावधान से रहने की जरुरत है।
विनाशकारी आदतों के कुछ उदाहरण
१. अत्यधिक क्रोध (गुस्सा)
कुछ लोग जब गुस्से में होते हैं तो चीजों को तोड़ देते हैं। ठंडा होने के बाद, वे या तो नया खरीद लेंगे या खराब यंत्र को ठीक कर देंगे। कभी-कभी, वे टीवी और कुछ भी तोड़ देते हैं जिस पर वे अपना हाथ रखते हैं। यह दुष्ट और विनाशकारी है, और परमेश्वर की सहायता के बिना, वे रुक नहीं सकते।
२. अत्यधिक यौन (लैगिंक) विचार
कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो दिन भर यौन, अनैतिक विचारों से त्रस्त रहते हैं। रात में भी उन पर अनैतिक स्वप्नों का आक्रमण होता है। यदि ऐसा है, तो यह स्पष्ट है कि इस व्यक्ति पर किसी दुष्टात्मा ने आक्रमण किया है। इस तरह के दुष्टात्मा व्यक्ति की भावनाओं और शरीर पर कब्जा कर लेते हैं, जिससे वह तब तक जारी रहता है जब तक कि वह बंदीगृह या मुर्दाघर में ख़तम नहीं हो जाता।
इनमें से कुछ लोग रुकने की इच्छा रखते हैं, लेकिन वे अपनी भावनाओं के गुलाम बन गए हैं। उन्हें अपने मन और भावनाओं में उन शैतानी जंजीरों को तोड़ने के लिए परमेश्वर की सामर्थ की जरुरत है।
३. धूम्रपान
यदि आप टीवी पर ऐड देखते हैं, तो चेतावनी दी जाती है कि धूम्रपान करने वाले जवानी मर सकते हैं और धूम्रपान स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है, लेकिन लोग अभी भी इसे खरीद रहे हैं। वे इसके इतने लीन हो जाते हैं कि रुक ही नहीं पाते। हमें वस्तुओं से नहीं, परमेश्वर से आसक्ति रखनी चाहिए। चीजों की लत हमारे तर्क को बंद कर सकती है।
शराब और नशीली दवाएं तर्कसंगत दिमाग को जल्दी से बंद कर सकती हैं और व्यक्ति को बिना सोचे समझे कार्य करने के लिए मजबूर कर सकती हैं। जिस क्षण मन बंद हो जाता है, दुष्ट जल्दी से हावी हो जाते हैं और अत्याचार करने के लिए मानव शरीर और मन का उपयोग करता हैं। जब वह व्यक्ति शराब के प्रभाव में नहीं रहता है और उसे दोषी ठहराया जाता है, तो वह दया की भीख माँगता है और कहता है कि, "यह शैतान था जिसने मुझे प्रेरित किया।"
अपने जीवन की जांच करें और किसी भी प्रकार के व्यसन से दूर रहें जो आपके विधान को प्रभावित कर सकता है, अभी या बाद में।
आदतें दोहराव के माध्यम से बनती हैं, और जो चीजें आप हर रोज करते हैं, उन पर ध्यान दिए बिना, आप अनजाने में एक नकारात्मक आदत विकसित कर सकते हैं।
विनाशकारी आदतों को कैसे तोड़ सकते है
१. आपको पवित्र आत्मा की सहायता की जरुरत है।
परन्तु सहायक अर्थात पवित्र आत्मा जिसे पिता मेरे नाम से भेजेगा, वह तुम्हें सब बातें सिखाएगा, और जो कुछ मैं ने तुम से कहा है, वह सब तुम्हें स्मरण कराएगा। (यूहन्ना १४:२६)
पवित्र आत्मा हमारा सहायक है, और वह उन विनाशकारी आदतों पर विजय पाने में आपकी सहायता कर सकता है। एक चीज जो आप कर सकते हैं वह है आत्मा में प्रार्थना करना। अन्य भाषाओं में प्रार्थना करने से पवित्र आत्मा को परिस्थिति तक पहुंच प्राप्त होती है।
२. प्रार्थना के स्थान पर उन आदतों को तोड़ दें
७ मांगो, तो तुम्हें दिया जाएगा; ढूंढ़ो, तो तुम पाओगे; खटखटाओ, तो तुम्हारे लिये खोला जाएगा। ८ क्योंकि जो कोई मांगता है, उसे मिलता है; और जो ढूंढ़ता है, वह पाता है और जो खटखटाता है, उसके लिये खोला जाएगा। (मत्ती ७:७-८)
३. आदत के पीछे की आत्मा को संबोधित करें।
परन्तु पौलुस दु:खित हुआ, और मुंह फेर कर उस आत्मा से कहा, मैं तुझे यीशु मसीह के नाम से आज्ञा देता हूं, कि उस में से निकल जा और वह उसी घड़ी निकल गई॥ (प्रेरितों के काम १६:१८)
कई विश्वासी गुप्त रूप से इन विनाशकारी आदतों को छिपा रहे हैं, लेकिन कई लोग स्वीकार करेंगे कि कम से कम एक विनाशकारी आदत है जिससे वे संघर्ष कर रहे हैं।
४. अपनी नई स्थिति को अंगीकार करें
अंगीकार अधिकार लाती है। जब आप अपना अंगीकार बदलते हैं, तो यह आपके जीवन में नए परिणाम लाएगा। अपनी जीभ से आप मार सकते हैं या जीवित कर सकते हैं।
जो बात तू ठाने वह तुझ से बन भी पड़ेगी,
और तेरे मार्गों पर प्रकाश रहेगा। (अय्यूब २२:२८),
जीभ के वश में मृत्यु और जीवन दोनों होते हैं,
और जो उसे काम में लाना जानता है वह उसका फल भोगेगा। (नीतिवचन १८:२१)
गलत स्वीकारोक्ति हमेशा गलत आदतों को सशक्त बनाएगी।
५. अपनी सोच बदलिए
और इस संसार के सदृश न बनो; परन्तु तुम्हारी बुद्धि के नये हो जाने से तुम्हारा चाल-चलन भी बदलता जाए, जिस से तुम परमेश्वर की भली, और भावती, और सिद्ध इच्छा अनुभव से मालूम करते रहो॥ (रोमियो १२:२)
परिवर्तन को आरंभ करने का पहला स्थान आपका मन में है। यदि आपका मन सही ज्ञान से सशक्त नहीं है, तो यह आपके अंगीकार और रवैया को प्रभावित करेगा। अपने मन को वचन से नया करें ताकि आपके मन पर जय पाने के लिए सशक्त किया जा सके।
६. एक नई आदत चुनें, और उसमें बढ़ते रहें
कभी-कभी परिवर्तन रातोंरात हो सकता है, और दूसरी बार यह समय के साथ हो सकता है। विनाशकारी आदतों को तोड़ने के लिए मैं ने जो सुझाव दिए हैं उनके अनुरूप बने रहें; समय के साथ आप बदलाव देखेंगे।
१७ इसी प्रकार हर एक अच्छा पेड़ अच्छा फल लाता है और निकम्मा पेड़ बुरा फल लाता है। १८ अच्छा पेड़ बुरा फल नहीं ला सकता, और न निकम्मा पेड़ अच्छा फल ला सकता है। (मत्ती ७:१७-१८)
प्रार्थना
हर एक प्रार्थना अस्त्र को तब तक दोहराएं जब तक कि यह आपके हृदय से गूंज न जाए। उसके बाद ही आपको अगले अस्त्र पर आगे बढ़ना चाहिए। प्रार्थना मुद्दे को व्यक्तिगत रूप से करें, और आगे बढ़ने से पहले सुनिश्चित करें कि यह वास्तव में पूर्णहृदय से है, हर एक प्रार्थन मुद्दे के लिए कम से कम एक मिनट समर्पित करें।
१. यीशु के लहू से, यीशु के नाम में, मैं हर उस विनाशकारी आदत से दूर हो जाता हूं जो मेरे विधान को नष्ट करना चाहती है। (इब्रानियों १२:१-२)
२. कोई भी विनाशकारी आदतें जो मुझे समय से पहले मारना चाहती हैं, यीशु के नाम में नष्ट हो जाएँगी। (भजन संहिता ११८:१७)
३. परमेश्वर की सामर्थ, यीशु के नाम में मुझे विनाशकारी आदतों से अलग कर दे। (रोमियो ६:१४)
४. पवित्रात्मा की अग्नि, मेरा प्राण, आत्मा और शरीर से गुजर, और यीशु के नाम में मेरे जीवन में शैतानी निक्षेप को दूर कर दें। (१ कुरिन्थियों ६:१९-२०)
५. मेरे मन पर अंधकार का कोई भी गढ़, यीशु के नाम में टूट जाए। (२ कुरिन्थियों १०:४-५)
६. मैंने अपने जीवन से अंधकार के किसी भी वृक्षारोपण को यीशु के नाम में उखाड़ के फेंकता हूं। (मत्ती १५:१३)
७. पिता, यीशु के नाम में मेरे जीवन की नींव की मरम्मत कर। (भजन संहिता ११:३)
८. मेरे लहू में कोई भी प्रदूषण, यीशु के नाम में, यीशु के लहू से बहाया जाए। (१ यूहन्ना १:७)
९. यीशु के नाम में अपने जीवन में किसी भी नकारात्मक व्यवहार और भावनाओं को ठीक करने का अनुग्रह मैं ग्रहण करता हूं। (तीतुस २:११-१२)
१०. यीशु के नाम में विनाशकारी आदतों से मुझे बांधने वाले अंधकार की किसी भी जंजीर से मैं खुद को रिहा करता हूं। (गलातियों ५:१)
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