डेली मन्ना
प्रभु मन (ह्रदय) को खोजता है
Tuesday, 6th of February 2024
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मानव हृदय
क्योंकि आपका मनआपके और मेरे हर काम का स्रोत है।
मै यहोवा मन की खोजता और हृदय को जांचता हूँ
ताकि प्रत्येक जन को उसकी चाल-चलन के अनुसार
अर्थात उसके कामों का फल दूं। (यिर्मयाह १७:१०)
प्रभु स्वयं मनुष्य के अंत: करण को खोजता है। उन्होंने ऐसा क्यों किया? यह जीवन के बहुत मुद्दों की वजह से है - हमारे कार्य, काम, लक्ष्य, आदि - सभी मन से आगे बढ़ते हैं। हम शब्द और कर्म में जो करते हैं, वह सबसे पहले हमारे अंदर मौजूद चीज़ों का एक फल है।
अपने मन को हर तारीफ के साथ .... हर मुस्कान के साथ ... हर घूरने (ताक) की अनुमति देना बंद करें। यह तब होता है जब आपका मन इन सभी कल्पनाओं में प्रवेश करने लगता है। यह बदले में आपके रिश्तों, आपके प्रगति को गंभीर रूप से प्रभावित करता है - यह सब कुछ प्रभावित करता है क्योंकि आपका मन आपके द्वारा की जाने वाली हर कार्य का स्रोत है।
हम क्यों परिश्रमपूर्वक अपने मन की रक्षा करना चाहिए ?
क्योंकि हमारा मन लगातार हमले के अधीन है। जब सुलैमान अपने मन की रक्षा करने के लिए कहता है, तो उसका मतलब है कि आप एक युद्ध क्षेत्र में रह रहे हैं - जिसमें कोई जानी नुक़सान हो सकता है।
हम में से कई इस युद्ध की वास्तविकता से बेखबर हैं। हमारा एक शत्रु है जो हमारे विनाश पर तुला हुआ है। वह न केवल परमेश्वर का विरोध करता है, बल्कि वह हर उस कार्य का विरोध करता है जो उनके साथ - हमारे साथ भी गठबंधन की गई है।
मेरी सुनने वाले लोग हैं, यह पढ़कर जिनके मन सिर्फ इसलिए टूट गए क्योंकि उन्होंने रक्षा नहीं की थी।
शत्रु हमारे मन पर हमला करने के लिए सभी तरह के हथियारों का इस्तेमाल करता है। ये हमले अक्सर कुछ परिस्थितियों के रूप में सामने आते हैं जो निराशा, उदासी, या आशाभंग का कारण बनते हैं। इन स्थितियों में, किसी को मैदान छोड़ने और हार मानने के लिए छोड़ने का अक्सर प्रलोभन में गिर जाता है।
यही कारण है कि अगर आप और मैं जीवित रहने और दूसरों को पुनर्जीवित करने के लिए तो हमें परिश्रमपूर्वक अपने मन की रक्षा करनी चाहिए। अगर हम मन से हार गए, तो हमने सब कुछ खो दिया है।
प्रार्थना
पिता, पवित्र आत्मा के द्वारा आपके प्रेम को मेरे भीतर मनुष्य के ऊपर उंडेल दें, ताकि मेरा मन आपके और दूसरों के प्रति प्रेम में बह जाए (रोमियो ५:५)।
पिता, मैं यह भी मांगता हूं कि आप प्रभु यीशु के प्रति अपने प्रेम को मेरे मन में धारण कर (यूहन्ना १७:२६)।
पिता, मैं आपसे अपने सारे मन से, प्राण से, बुद्धि से और शक्ति से प्रेम करने की अनुग्रह को मांगता हूं (मरकुस १२:३०)।
पिता, मुझे अपने लिए यीशु के प्रेम को समझने और उसमें निवास करने की - इससे जुड़े रहने की अनुमति दें (यूहन्ना १५:९)।
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