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डेली मन्ना

अनुग्रह का प्रणाली बनना

Sunday, 18th of February 2024
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Categories : अनुग्रह
अनुग्रह की सबसे सरल परिभाषा परमेश्वर हमें वह दे रहा है जिसके लिए हम योग्य नहीं हैं। हम नर्क की सजा के हकदार थे, परन्तु परमेश्वर ने हमें उनके पुत्र के दान के अनुग्रह प्रदान किया।

विश्वास के द्वारा अनुग्रह ही से तुम्हारा उद्धार हुआ है, और यह तुम्हारी ओर से नहीं, वरन परमेश्वर का दान है। (इफिसियों २:८) उद्धार, और परमेश्वर की क्षमा, एक मुफ्त दान है! हम इसके लायक नहीं हैं।

हालाँकि एक बार जब हम कुलुस्सियों १:२१,२२ के मुताबिक, परमेश्वर के दुश्मन थे, तो अब उनके बहाए हुए लहू के ज़रिए हम आज़ाद हुए और उनसे मेल-मिलाप हुए। उन्होंने क्रूस पर उनके लहू के माध्यम से हमारे खिलाफ सजा और मौत का प्रमाण पत्र रद्द कर दिया।

एक दिन, एक युवक मेरे पास आया और उसने कहा, "मुझे प्रभु की सेवा करना बहुत पसंद है लेकिन मैं उस स्थान के आसपास के लोगों को पसंद नहीं करता हूँ, इसलिए मैंने प्रभु की सेवा करना बंद कर दिया।" दुनिया भर में कई जगहों पर यही पंक्तिया दोहराई जा रही हैं। क्या आपने सोचा है, जो लोग परमेश्वर से प्रेम करते हैं, वे इस तरह से आखिर क्यों करते हैं?

मेरा विश्वास है कि यह दूसरों पर उसी अनुग्रह को बढ़ाने में विफलता के कारण है जो हमें पहली बार में स्वतंत्र रूप से प्राप्त हुआ था।

२ पतरस १:२ कहता है, "अनुग्रह और शान्ति तुम में बहुतायत से बढ़ती जाए।।"

जब तक यह वितरित (बाटा) नहीं किया गया था, तब तक परमेश्वर के राज्य में बहुतायत से नहीं बढ़ती; दूसरों में बढ़ाया या उंडेला हुआ। यह वह मछली और रोटियां जो हमारे प्रभु द्वारा बाटी गई थीं या भविष्यवक्ता एलिशा के समय विधवा द्वारा तेल को बर्तनों में उंडेला गया था।

लूका ६:३८ एक बहुत ही सामान्य वचन है जिसे आम तौर पर दान देने के बारें में लागू किया गया है।

"दिया करो, तो तुम्हें भी दिया जाएगा: लोग पूरा नाप दबा दबाकर और हिला हिलाकर और उभरता हुआ तुम्हारी गोद में डालेंगे, क्योंकि जिस नाप से तुम नापते हो, उसी से तुम्हारे लिये भी नापा जाएगा॥" हालाँकि, ध्यान दें कि यह केवल तभी है जब आप देते हैं तो यह बहुतायत से बढ़ती है। यही बात अनुग्रह पर भी लागू होती है।

व्यवस्था कहता है, "जो किसी मनुष्य को चुराए, चाहे उसे ले जा कर बेच डाले, चाहे वह उसके पास पाया जाए, तो वह भी निश्चय मार डाला जाए॥" (निर्गमन २१:१६)

व्यवस्था के अनुसार, यूसुफ के भाइयों मौत के हकदार थे क्योंकि उन्होंने उसका अपहरण किया और उसे मिस्र में बेच दिया लेकिन यूसुफ ने उन्हें जीवन (जिंदगी) दिया।

मैंने आत्मा को यह कहते हुए सुना, "लोगों को वह मत दो जिसके वे हकदार हैं, उन्हें वह दें जो उन्हें जरुरत है।"
यदि आप लोगों को वह देते हैं जिसके वे हकदार हैं तो आप व्यवस्था के तहत कार्य कर रहे हैं। लेकिन अगर आप लोगों को वे देते हैं जिनकी उन्हें जरुरत है, तो आप अनुग्रह से कार्य कर रहे हैं। व्यवस्था के तहत कोई क्षमा नहीं थी। अनुग्रह के तहत क्षमा है।
प्रार्थना
पिता, यीशु के नाम में आपका अनुग्रह को मेरे जीवन में बहुतायत से रिहा कर।

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