डेली मन्ना
                
                    
                        
                
                
                    
                        
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            महान पुरुष और स्त्री क्यों गिरते (पतन हो जाते) हैं - ५
Sunday, 12th of May 2024
                    
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                                जीवन का पाठ
                            
                        
                                                
                    
                            प्रभु ने उत्पत्ति ८:२१ में कहा, यद्यपि मनुष्य के मन में बचपन से जो कुछ उत्पन्न होता है सो बुरा ही होता है मनुष्यों की लगातार बुरी कल्पनाओं ने परमेश्वर के मन को दुखाया और उन्होंने बाढ़ से दुनिया को नष्ट कर दिया। आज हमारे चारों तरफ जो भी बुराई हो रही है, यह निश्चित रूप से मूल को उनका मन दुखता होगा।
सभी पाप हमारे विचारों (सोचों) से शुरू होती हैं। पवित्र शास्त्र हमें स्पष्ट रूप से बताता है कि  दाऊद ने भेज कर उस स्त्री (बतशेबा) को पुछवाया, तब किसी ने कहा, क्या यह एलीआम की बेटी, और हित्ती ऊरिय्याह की पत्नी बतशेबा नहीं है? तब दाऊद ने दूत भेज कर उसे बुलवा लिया; (२ शमूएल ११:३-४)
यह हर व्यक्ति की खदु की अभिलाषा और विचार हैं जो उन्हें बुराई में खींचता हैं और उन्हें अंधकार में ले जाता हैं। बुरी अभिलाषा बुरी क्रियाओं को जन्म देती हैं।(याकूब १:१४-१५ टीपीटी)
जब दाऊद ने बतशेबा के बारे में पूछताछ की, तो लोगों ने उसे स्पष्ट रूप से बताया कि वह एक विवाहित स्त्री थी। मामले को बदतर बनाने के लिए, उन्होंने यह भी बताया कि वह उनके सबसे भरोसेमंद और वफादार सैनिकों में से एक की पत्नी थी - हित्ती ऊरिय्याह। अकस्मिक, तर्क, कारण और आत्मिक धारण सभी एक तरफ बह गए और वह पूरी तरह से अभिलाषा से भस्म हो गया। दुख की बात है कि दाऊद के लिए यह पाप व्यभिचार, हत्या और उसके परिवार में पीढ़ियों तक दिए गए परिणाम था।
यदि आप किसी प्रकार के पाप में गिर गए हैं, तो इसे एक प्रतिरूप (नमूना) नहीं बनने दें। प्रतिरूप से मेरा क्या मतलब है? जब आप इसे बार-बार करते रहते हैं तो यह एक प्रतिरूप बन जाता है। मैं सम्मानपूर्वक से चेतावनी देता हूं कि यह आपको विनाश की ओर ले जाएगा। एक घातक घायल व्यक्ति की तरह, आपको तुरंत ध्यान देने की जरुरत है। आपको अब पश्चाताप में परमेश्वर की ओर मुड़ने की जरुरत है!
सावधान रहें कि आप क्या सोचते हैं, क्योंकि आपके विचार आपके जीवन को चलाता हैं। नीतिवचन ४:२३ (NCV) जो भी हमारे मन पर ध्यान केंद्रित करता है वह हमारे जीवन में खुलता है और आखिरकार हम कौन हैं, को आकार देता है। यह अक्सर हमारे विचारों का होता है, हमारी परिस्थितियों का नहीं, जिसके कारण हम दलदल में डूब जाते हैं।
आपके मन में पवित्रता की लड़ाई जीती या हारी गई है। हमें अपने विचारों को बंदी बनाना सीखना चाहिए। फुलने से पहले उन विचारों को कली में दबा दें।
                प्रार्थना
                पिता, यीशु के नाम में, हर उस विचार और इच्छा को उखाड़ के फेंक जो मुझ में अशुद्ध है। आपकी महिमा के लिए शुद्ध (पवित्र) रहने में मेरी मदद कर। आमेन।
                
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