हम बहाने बनाने की कला में निपुण हैं, है न? जिम्मेदारियों या चुनौतीपूर्ण कार्यों से बचने के लिए उचित कारण बताकर उनसे दूर भागना एक सामान्य मानवीय स्वाभाव है। चाहे वह किसी प्रोजेक्ट में देरी करना या उसे टालना हो, किसी कठिन बातचीत से बचना हो या आत्मिक अनुशासन की लापरवाही करना हो, बहाने हमारी ढाल होते हैं।
आम बहानों में यह शामिल हैं “मेरे पास समय नहीं है,” “मैं बहुत थक गया हूँ,” “यह बहुत मुश्किल है,” या “मैं इसे कल करूँगा।” ये बहाने थोड़े समय तक विश्राम दे सकते हैं, लेकिन ये अक्सर हमें अपनी पूरी क्षमता तक पहुँचने से रोकते हैं। वास्तविकता यह है कि हम इन बहानों का उपयोग खुद को असुविधा, विफलता या अज्ञात से बचाने के लिए करते हैं, हमारे बचने के दीर्घकालिक परिणामों को महसूस नहीं करते।
बहानेबाजी की मूर्खता: भविष्यवक्ता यिर्मयाह से सीख
ऐसा कहा जाता है, "बहाने अक्षम लोगों के हथियार हैं, और जो लोग उनमें माहिर होते हैं, वे शायद ही कभी आगे बढ़ पाते हैं।" बेंजामिन फ्रैंकलिन ने एक बार लिखा था, "जो बहाने बनाने में अच्छा है, वह शायद ही कभी किसी और चीज़ के लिए अच्छा हो।" यह ज्ञान भविष्यवक्ता यिर्मयाह की कहानी से मेल खाता है। जब परमेश्वर ने यिर्मयाह को देशों के लिए भविष्यवक्ता बनने के लिए बुलाया, तो वह बहाने बनाने में तत्पर था।
यिर्मयाह १:४-६ में, हम पढ़ते हैं:
"तब यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुंचा, गर्भ में रचने से पहिले ही मैं ने तुझ पर चित्त लगाया, और उत्पन्न होने से पहिले ही मैं ने तुझे अभिषेक किया; मैं ने तुझे जातियों का भविष्यद्वक्ता ठहराया। तब मैं ने कहा, हाय, प्रभु यहोवा! देख, मैं तो बोलना ही नहीं जानता, क्योंकि मैं लड़का ही हूँ।"
भविष्यवक्ता यिर्मयाह का पहला बहाना उसकी उम्र थी। वह इतना बड़ा कार्य करने के लिए बहुत छोटा और अनुभवहीन महसूस करता था। लेकिन परमेश्वर ने इस बहाने को स्वीकार नहीं किया। इसके बजाय, उसने यिर्मयाह को विश्वास देते हुए कहा:
"परन्तु यहोवा ने मुझ से कहा, मत कह कि मैं लड़का हूँ; क्योंकि जिस किसी के पास मैं तुझे भेजूं वहां तू जाएगा, और जो कुछ मैं तुझे आजा दूं वही तू कहेगा। तू उनके मुख को देखकर मत डर, क्योंकि तुझे छुड़ाने के लिये मैं तेरे साथ हूँ, यहोवा की यही वाणी है।" (यिर्मयाह १:७-८)
भविष्यवक्ता यिर्मयाह के बहाने के प्रति परमेश्वर की प्रतिक्रिया एक महत्वपूर्ण सत्य को उजागर करती है: जब परमेश्वर हमें कुछ करने के लिए बुलाता है, तो वह हमारी कथित सीमाओं की परवाह किए बिना हमें कार्य के लिए तैयार करता है। यिर्मयाह की कहानी हमें याद दिलाती है कि बहाने अक्सर भय और असुरक्षा में निहित होते हैं, लेकिन परमेश्वर का बुलाहट उनकी उपस्थिति और सामर्थ के आश्वासन के साथ आता है।
बहाने आज को आसान बनाते हैं, लेकिन कल को और कठिन बनाते हैं
बहाने थोड़े समय तक राहत प्रदान कर सकते हैं, जिससे आज आसान हो जाता है, लेकिन वे अक्सर कल को और भी कठिन बना देते हैं। जब हम आज कठिन कार्यों से बचते हैं, तो वे केवल बढ़ते ही जाते हैं, जिससे भविष्य के लिए और अधिक तनाव और चिंता पैदा होती है। यह सिद्धांत नीतिवचन ६:९-११ में प्रतिध्वनित होता है:
"हे आलसी, तू कब तक सोता रहेगा? तेरी नींद कब टूटेगी? कुछ और सो लेना, थोड़ी सी नींद, एक और झपकी, थोड़ा और छाती पर हाथ रखे लेटे रहना, तब तेरा कंगालपन बटमार की नाईं और तेरी घटी हथियारबन्द के समान आ पड़ेगी॥"
यह वचन हमें मामलों को टालने और देरी करने तथा बहाने बनाने के खतरों के बारे में चेतावनी देता है। "थोड़ी सी नींद" और "थोड़ी सी झपकी" उन छोटे, प्रतीत होने वाले हानिरहित बहानों का प्रतीक है जो हम जिम्मेदारी से बचने के लिए बनाते हैं। लेकिन समय के साथ, ये छोटे बहाने महत्वपूर्ण परिणाम दे सकते हैं, ठीक वैसे ही जैसे गरीबी चोर की तरह चुपके से आती है।
अनुशासन आज को कठिन बनाता है, लेकिन कल को आसान बनाता है
दूसरी ओर, अनुशासन आज को कठिन बनाता है, लेकिन कल को आसान बनाता है। अनुशासन के लिए प्रयास, व्यक्तिगत-संयम और कभी-कभी असुविधा की जरुरत होती है। लेकिन अनुशासन के पुरस्कार दूरगामी और लंबे समय तक चलने वाले होते हैं। बाइबल कई वषयों में अनुशासन के महत्व पर जोर देती है। ऐसी ही एक वचन है इब्रानियों १२:११:
"और वर्तमान में हर प्रकार की ताड़ना आनन्द की नहीं, पर शोक ही की बात दिखाई पड़ती है, तौभी जो उस को सहते सहते पक्के हो गए हैं, पीछे उन्हें चैन के साथ धर्म का प्रतिफल मिलता है।"
बहाने vs अनुशासन: एक विकल्प जो हमें चुनना होगा
हर दिन, हमारे सामने एक विकल्प होता है: बहाने बनाना या अनुशासन का पालन करना। यह विकल्प हमारे जीवन की दिशा निर्धारित करेगा। बहाने जिम्मेदारी से जल्दी से बचने का मौका दे सकते हैं, लेकिन वे हमें औसत दर्जे और अधूरी क्षमता के चक्र में फंसा देते हैं। इसके विपरीत, अनुशासन के लिए प्रयास और त्याग की जरुरत होती है, लेकिन यह सफलता, आत्मिक विकास और हमारे जीवन में परमेश्वर के उद्देश्य की पूर्ति की ओर ले जाता है।
विश्वासियों के रूप में, हमें याद रखना चाहिए कि परमेश्वर ने हमें भय की आत्मा नहीं दी है, बल्कि सामर्थ्य, प्रेम और संयम की आत्मा दिया है (२ तीमुथियुस १:७)। मसीह के द्वारा हमारे पास किसी भी चुनौती पर विजय पाने की सामर्थ और क्षमता है। हम फिलिप्पियों ४:१३ से प्रेरणा लें, जिसमें कहा गया है, "मसीह जो मुझे सामर्थ देता है उस में मैं सब कुछ कर सकता हूं।" यह वचन हमें याद दिलाता है कि जब हम परमेश्वर की सामर्थ पर भरोसा करते हैं तो कोई बहाना मान्य नहीं होता।
जब आप इस चुनाव पर विचार करते हैं, तो याद रखें कि परमेश्वर की कृपा आपके लिए काफ़ी है। आपकी कमज़ोरी में उनकी सामर्थ सिद्ध होती है (२ कुरिन्थियों १२:९)। इसलिए, बहाने छोड़ दें, अनुशासन अपनाएँ और उस जीवन में आत्मविश्वास से कदम बढ़ाएँ जिसके लिए परमेश्वर ने आपको बुलाया है।
प्रार्थना
स्वर्गीय पिता, मुझे बहाने पर विजय पाने और अनुशासन अपनाने की सामर्थ प्रदान कर। हर दिन आपकी कृपा पर भरोसा करते हुए, मुझे अपने जीवन में आपके उद्देश्य को पूरा करने के लिए आपके साहस और बुद्धि से भर दें। यीशु के नाम में। आमीन।
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