डेली मन्ना
दिन १६: ४० दिन का उपवास और प्रार्थना
Saturday, 7th of December 2024
39
27
378
Categories :
उपवास और प्रार्थना
धन्यवाद के माध्यम से चमत्कारी तक पहुंचना
यहोवा का धन्यवाद करना भला है, हे परमप्रधान, तेरे नाम का भजन गाना; प्रात:काल को तेरी करूणा, और प्रति रात तेरी सच्चाई का प्रचार करना, दस तार वाले बाजे और सारंगी पर, और वीणा पर गम्भीर स्वर से गाना भला है। क्योंकि, हे यहोवा, तू ने मुझ को अपने काम से आनन्दित किया है; और मैं तेरे हाथों के कामों के कारण जयजयकार करूंगा॥ (भजन संहिता ९२:१-४)धन्यवाद प्रशंसा का एक कार्य है। यह परमेश्वर द्वारा हमारे लिए किए गए, कर रहे हैं, या जो कुछ भी करेगा उसके लिए कृतज्ञता की अभिव्यक्ति है। पवित्र शास्त्र के अनुसार, यहोवा का धन्यवाद करना भला है (भजन संहिता ९२:१)। कोई भी मसीही जिसके पास इस ज्ञान की कमी है, यह नुकसान है। मैं आपको धन्यवाद, स्तुति और आराधना से जुड़ी कुछ आशीषों को दिखाने का प्रयास करूंगा।
आप धन्यवाद, स्तुति और आराधना को एक दूसरे से अलग नहीं कर सकते। जब आप धन्यवाद दे रहे होते हैं, तो आत्मा आपको आराधना में भी ले जा सकता है। पवित्र आत्मा आपको एक ही समय में धन्यवाद, स्तुति और आराधना में प्रवाहित कर सकता है। धन्यवाद एक आत्मिक कार्य है, मानसिक कार्य नहीं है, इसलिए धन्यवाद के समय पवित्र आत्मा आसानी से नियंत्रण कर सकता है।
लोग परमेश्वर का धन्यवाद क्यों नहीं करते है
ऐसे कई कारण हैं कि क्यों लोग परमेश्वर को उस तरीके से धन्यवाद नहीं करते है जैसा उन्हें करना चाहिए, और मैं उनमें से कुछ बातों को नीचे साझा करूंगा:
१. वे गहराई से नहीं सोचते (भजन संहिता १०३:२)
जब आप सोचने में विफल होते हैं, तो आप परमेश्वर का उस तरह से धन्यवाद करने में असफल होंगे जैसा आपको करना चाहिए। गहरी सोच गहरी आराधना को गति प्रदान कर सकती है।
सोचने वाली कुछ बातें क्या हैं?
- इस बारे में सोचें कि परमेश्वर ने आपके लिए क्या किया है।
- इस बारे में सोचें कि उन्होंने आपको कहां से चुना।
- उस कठिन समय के बारे में सोचें जब उन्होंने आपकी मदद की थी।
- उस समय के बारे में सोचें जब उन्होंने आपको मृत्यु, दुर्घटना और बुराई से छुड़ाया।
- आपके प्रति उनके प्रेम के बारे में सोचें।
- इस बारे में सोचें कि वह वर्तमान में आपके लिए क्या कर रहा है।
- इस बारे में सोचें कि वह आपके लिए क्या करने वाला है।
जब आप इन सब बातों के बारे में सोचते हैं, तो यह आपको परमेश्वर का धन्यवाद करने, उनकी स्तुति करने और उनकी आराधना करने के लिए प्रेरित करेगा।
ऐसी बहुत सी चीज़ें हैं जिनके लिए आपको प्रार्थना की है, और आपको उनके लिए पहले से ही उनकी स्तुति और धन्यवाद करना चाहिए।
२. सफलता और धारण (अधिकार)
उन्हें लगता है कि उनकी सफलता और धारण उनकी मानवीय शक्ति के माध्यम से थे। जब आप परमेश्वर को अपनी ताकत के स्रोत और अपने जीवन की ताकत के रूप में देखते हैं, तो आप उन्हें धन्यवाद देने के लिए प्रेरित होंगे, लेकिन अगर आपको लगता है कि आपके पास जो कुछ भी है वह आपके कठिन परिश्रम से है, तो एक आभारी आत्मा को बनाए रखना मुश्किल होगा।
ठीक ऐसा ही नबूकदनेस्सर के साथ हुआ
२९ बारह महीने बीतने पर जब वह बाबुल के राजभवन की छत पर टहल रहा था, तब वह कहने लगा, ३० क्या यह बड़ा बाबुल नहीं है, जिसे मैं ही ने अपने बल और सामर्थ से राजनिवास होने को और अपने प्रताप की बड़ाई के लिये बसाया है?
३३ उसी घड़ी यह वचन नबूकदनेस्सर के विषय में पूरा हुआ। वह मनुष्यों में से निकाला गया, और बैलों की नाईं घास चरने लगा, और उसकी देह आकाश की ओस से भीगती थी, यहां तक कि उसके बाल उकाब पक्षियों के परों से और उसके नाखून चिडिय़ोंके चंगुलों के समान बढ़ गए॥ (दानिय्येल ४:२९-३०, ३३)
३. वे इस बात से अनजान हैं, कि जीवन का श्वास उन्ही से है
परमेश्वर आपके नथनों का श्वास का स्रोत है; उनके बिना, आप तुरंत मर जाएंगे। हमें आभारी होना चाहिए और जीवित रहने के लिए परमेश्वर का धन्यवाद करना चाहिए।
जितने प्राणी हैं सब के सब यहोवा की स्तुति करें! यहोवा की स्तुति करो! (भजन संहिता १५०:६)
४. वे नहीं जानते कि उनके जीवन में हर अच्छी चीज का स्रोत परमेश्वर है
आपके जीवन की वे अच्छी बातें सीधे परमेश्वर की ओर से थीं। अगर परमेश्वर ने इसकी अनुमति नहीं दी होती, तो यह आपको कभी नहीं मिलता।
क्योंकि हर एक अच्छा वरदान और हर एक उत्तम दान ऊपर ही से है, और ज्योतियों के पिता की ओर से मिलता है, जिस में न तो कोई परिवर्तन हो सकता है, ओर न अदल बदल के कारण उस पर छाया पड़ती है। (याकूब १:१७)
५. वे और अधिक चाहते हैं
परमेश्वर आपको और अधिक देना चाहता है, लेकिन यदि आप धन्यवाद देने में असफल होते हैं, तो यह प्रवाह को रोक सकता है। बहुत से लोग इसलिए धन्यवाद नहीं देते क्योंकि वे और अधिक चाहते हैं।
६ पर सन्तोष सहित भक्ति बड़ी कमाई है। ७ क्योंकि न हम जगत में कुछ लाए हैं और न कुछ ले जा सकते हैं। ८ और यदि हमारे पास खाने और पहिनने को हो, तो इन्हीं पर सन्तोष करना चाहिए। (१ तीमुथियुस ६:६-८)
६. वे अपनी तुलना दूसरों से करते हैं
और अपने आप को आपस में नाप तौलकर एक दूसरे से मिलान करके मूर्ख ठहरते हैं। (२ कुरिन्थियों १०:१२)
धन्यवाद के साथ जुड़ी चमत्कारी आशीषें क्या हैं?
- धन्यवाद आपकी चंगाई और जो कुछ भी आपने परमेश्वर से प्राप्त किया है उसे पूर्ण कर सकता है। (लूका १७:१७-१९, फिलिप्पियों १:६)
- धन्यवाद आपको अधिक आशीषों के लिए योग्य बना सकता है।
- धन्यवाद प्रदान की जा सकती है जब आप चाहते हैं कि परमेश्वर की सामर्थ असंभव परिस्थितियों में प्रकट हो। (यूहन्ना ११:४१-४४)
- धन्यवाद परमेश्वर की उपस्थिति को आकर्षित कर सकता है और दुष्ट को दूर भगा सकता है।
- धन्यवाद आपको स्वर्ग के आंगनों तक प्रवेश करने में प्रदान करता है (भजन संहिता १००:४)
- धन्यवाद दैवी अनुग्रह के गति को प्रदान कर सकता है। (प्रेरितों के काम २:४७)
- बिना धन्यवाद के आपकी प्रार्थना पूरी नहीं हो सकती। इससे पहले कि असंभव संभव हो जाए, आपकी प्रार्थना धन्यवाद के साथ मिलनी चाहिए। यूहन्ना ११:४१-४४ में, हमने मसीह को अपनी प्रार्थना के साथ धन्यवाद को मिलाते हुए देखा।#
- धन्यवाद आपको परमेश्वर की सिद्ध इच्छा में डालता है। (१ थिस्सलुनीकियों ५:१८)। जब भी हम धन्यवाद देते हैं, हम सीधे परमेश्वर की इच्छा को पूरा कर रहे होते हैं, और केवल वे ही हैं जो परमेश्वर की इच्छा को पूरा करते हैं जो परमेश्वर की इच्छा में सन्निहित आशीषों का आनंद उठा सकते हैं। (इब्रानियों १०:३६)।
कई बार इस्राएलियों को कुड़कुड़ाने और शिकायत करने के लिए दंडित किया गया था। शैतान चाहता है कि आप शिकायत करें ताकि आप परमेश्वर की इच्छा से बाहर हो सकें। मैं प्रार्थना करता हूं कि परमेश्वर, यीशु के नाम में धन्यवाद की चमत्कारी आशीष के प्रति आपकी समझ को खोलेगा।
- धन्यवाद परमेश्वर में अपनी विश्वास व्यक्त करने का एक तरीका है। यह आपके विश्वास को मजबूत करता है और आपकी अपेक्षाओं के शीघ्र प्रकट होने की आश्वासन देता है। (रोमियो ४:२०-२२)
- यह प्रतिकूल परिस्थितियों को उलट सकता है। योना मछली के पेट में था जब उसने परमेश्वर को धन्यवाद दिया, और उसके धन्यवाद के बलिदान के बाद, परमेश्वर ने मछली को उसे उगलने की आज्ञा दी। (योना २:७-१०)
- यह चमत्कारी विजय की आश्वासन देता है। (२ इतिहास २०:२२-२४)
- धन्यवाद बढ़ोत्री की आश्वासन देता है। (यूहन्ना ६:१०-१३)
- इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप किस स्थिति में गुजर रहे हैं, परमेश्वर की सामर्थ के प्रकटीकरण के लिए धन्यवाद, स्तुति और आराधना की शक्तियों से जुड़िये। (प्रेरितों के काम १६:२५-२६)
Bible Reading Plan : John 10 -14
प्रार्थना
१. मैं अपने जीवन और परिवार के सदस्यों से यीशु के नाम में निराशा की हर आत्मा को उखाड़ के फेंकता हूं।
२. धन्यवाद, पिता, आपने मुझे मसीह यीशु में दी गई सभी आशीषों के लिए।
३. पिता, मैं आपको धन्यवाद देता हूं कि मुझे विश्वास है कि मेरी सभी ज़रूरतें आपके द्वारा यीशु के नाम में पूरी होगी।
४. हे प्रभु, यीशु के नाम में स्तुति का वस्त्र मुझ पर पहिना।
५. पिता, यीशु के नाम में आपकी आत्मा को मेरे हृदय में पवित्र आत्मा के आनंद को बहा देने का कारण बना।
६. हे पिता, यीशु के नाम में जो कुछ आप ने किया है, जो कुछ आप कर रहे है, और जो कुछ आप करने वाले है, उसके लिथे मैं आपका धन्यवाद करता हूं।
७. पिता, मैं आपको धन्यवाद देता हूं क्योंकि मैं जानता हूं कि सब कुछ मिलकर यीशु के नाम में मेरी भलाई के लिए काम कर रहे है।
८. मेरे जीवन में दुःख लाने के लिए कार्य की गई कोई भी चीज़ मेरे लिए यीशु के नाम में आशीष और आनंद में बदल जाएगी।
९. हे प्रभु, यीशु के नाम में मुझे एक नया गीत सिखा।
१०. यीशु के नाम में, मेरे घर में और इस ४०-दिवसीय उपवास में शामिल होने वाले सभी लोगों के घरों में आनन्द और उत्सव की आवाज़ें गुण उठे।
११. परमेश्वर को आशीष देने के लिए अन्य भाषा में प्रार्थना करें।
१२. कुछ समय परमेश्वर की योग्य आराधना और स्तुति करते हुए व्यतीत करें।
२. धन्यवाद, पिता, आपने मुझे मसीह यीशु में दी गई सभी आशीषों के लिए।
३. पिता, मैं आपको धन्यवाद देता हूं कि मुझे विश्वास है कि मेरी सभी ज़रूरतें आपके द्वारा यीशु के नाम में पूरी होगी।
४. हे प्रभु, यीशु के नाम में स्तुति का वस्त्र मुझ पर पहिना।
५. पिता, यीशु के नाम में आपकी आत्मा को मेरे हृदय में पवित्र आत्मा के आनंद को बहा देने का कारण बना।
६. हे पिता, यीशु के नाम में जो कुछ आप ने किया है, जो कुछ आप कर रहे है, और जो कुछ आप करने वाले है, उसके लिथे मैं आपका धन्यवाद करता हूं।
७. पिता, मैं आपको धन्यवाद देता हूं क्योंकि मैं जानता हूं कि सब कुछ मिलकर यीशु के नाम में मेरी भलाई के लिए काम कर रहे है।
८. मेरे जीवन में दुःख लाने के लिए कार्य की गई कोई भी चीज़ मेरे लिए यीशु के नाम में आशीष और आनंद में बदल जाएगी।
९. हे प्रभु, यीशु के नाम में मुझे एक नया गीत सिखा।
१०. यीशु के नाम में, मेरे घर में और इस ४०-दिवसीय उपवास में शामिल होने वाले सभी लोगों के घरों में आनन्द और उत्सव की आवाज़ें गुण उठे।
११. परमेश्वर को आशीष देने के लिए अन्य भाषा में प्रार्थना करें।
१२. कुछ समय परमेश्वर की योग्य आराधना और स्तुति करते हुए व्यतीत करें।
Join our WhatsApp Channel
Most Read
● उन झूठों को प्रकट करें● बोले हुए शब्द (वचन) की सामर्थ
● दुष्ट आत्माओं के प्रवेश द्वार को बंद करना - III
● दिन १० : ४० दीन का उपवास ओर प्रार्थना
● आइए हम प्रभु की ओर लौट चलें
● बीज की सामर्थ - १
● शीघ्र आज्ञा पालन की सामर्थ
टिप्पणियाँ