डेली मन्ना
क्या आप अकेलेपन से युद्ध (संघर्ष) कर रहे हैं?
Thursday, 9th of December 2021
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अकेलेपन
यदि आप उत्पत्ति १ को पढ़ते हैं, तो आप देखेंगे कि परमेश्वर पृथ्वी और उसमें मौजूद विभिन्न चीजों का निर्माण कर रहा है। सृष्टि के प्रत्येक चरण में, परमेश्वर ने उनके कार्य का विराम दिया और मूल्यांकन किया। "और परमेश्वर ने देखा कि यह अच्छा था" (उत्पत्ति १:४, १०,१२,१८,२१,२५)
अंत में, परमेश्वर ने अपने सवरूप में मनुष्य को बनाने का फैसला किया। फिर उन्होंने आदम को अपने सवरूप और समानता में बनाया। आदम, पहला पुरुष अदन वाटिका में किसी अन्य प्राणी की तरह नहीं था। लेकिन आदम को वाटिका में रखने के बाद, परमेश्वर ने देखा कि अभी भी कुछ कमी है।
परमेश्वर ने देखा कि यद्यपि आदम इतने अद्भुत जानवरों और पक्षियों से घेरा हुआ था, हालांकि वह बहुत अच्छे वातावरण में था - वह अकेला था। सच तो यह है कि, आप भीड़ में हो सकते हैं और फिर भी अकेलापन महसूस कर रहे हैं। यह आदम का अकेलापन था जिसने परमेश्वर का ध्यान आकर्षित किया और यह पहली चीज थी जिसे परमेश्वर ने कहा - अच्छा नहीं।
फिर यहोवा परमेश्वर ने कहा, आदम का अकेला रहना अच्छा नहीं। (उत्पत्ति २:१८)
यीशु ने अपनी माता और उस चेले को जिस से वह प्रेम रखता था, पास खड़े देखकर अपनी माता से कहा; हे नारी, देख, यह तेरा पुत्र है। तब उस चेले से कहा, यह तेरी माता है, और उसी समय से वह चेला, उसे अपने घर ले गया॥ (यूहन्ना १९:२६-२७)
यीशु इस तरीके से क्यों बोले? मेरा मानना है कि दर्द और कमजोरी को कम करने में अपने परमेश्वर ने रक्तस्राव को पार कर लिया, उन्होंने अपनी माँ को एकमात्र और अकेला देखा। यह उन्हें बुढ़ापे में खुद की देखभाल करने के लिए कैसे छोड़ सकता है? उन्होंने शायद अपने छेदा मन को देखा था जिसके बारे में भविष्यवक्ता शिमोन ने भविष्यवाणी की थी। (लूका २:३५) क्रूस पर रहते हुए भी यीशु ने अपनी माँ की ज़रूरत पूरी की। उन्होंने उनकी अकेलापन क दूर कर दिया।
यदि एक मरने वाला और लहू बहाने वाला उद्धारकर्ता किसी की ज़रूरतों को पूरा कर सकता है, तो स्वर्ग पर महामहिमन के सिंहासन के दाहिने जा बैठने पर वह आज भी कितना अधिक कर सकता है। (इब्रानियों ८:१)
क्या आप अकेलेपन से युद्ध (संघर्ष) कर रहे हैं? क्या आप अकेलेपन और तिरस्कारपन को महसूस कर रहें हैं? तो अब यह यीशु कि ओर देखने का समय है - वह जिसने यह सब अनुभव किया और आपको अपने अकेलेपन से छुटकारा देने के लिए सामर्थी है।
प्रार्थना
पिता, चाहे मैं इस पल को कैसे भी महसूस करूं। आपने कहा हैं, मैं तुम्हें कभी नहीं छोड़ूंगा और न कभी तुम्हे त्यागूंगा। मैं इस वचन को स्वीकार करता हूं। यीशु के नाम से। अमीन।
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