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Daily Manna

आत्मिक आहार जो आपके भाग्य को निर्धारित करता है

Saturday, 9th of August 2025
25 21 225
एक ऐसी दुनिया में जहाँ लोग खाने के नए ट्रेंड्स, इंटरमिटेंट फास्टिंग और क्लीन ईटिंग के पीछे पागल हैं, वहाँ एक और गहरी भूख है जो अक्सर अनदेखी रह जाती है — आत्मा की भूख। मसीहियों के रूप में, बात केवल इतनी नहीं है कि हमारी थाली में क्या है, बल्कि इस बात की है कि हमारी आत्मा को क्या खिला रहे हैं। चाहें हम इसे समझें या नहीं, हम हमेशा किसी न किसी "आहार" पर होते हैं। सवाल यह है: क्या आप अपनी आत्मा को खिला रहे हैं या अपने शरीर को?

1 पतरस 1:14 (NLT) कहता है,
“इसलिए तुम्हें परमेश्वर के आज्ञाकारी बच्चों की तरह जीना  चाहिए। अपनी पुरानी जीवन-शैली की ओर फिर से मत लौटो, जहाँ तुम अपनी खुद की इच्छाओं को संतुष्ट करने के लिए जीते थे। उस समय तुम नहीं जानते थे कि क्या सही है।”
   
इसका मतलब यह है कि इच्छाएं खाली नहीं होती, या वो शरीर से पोषण लेता है या आत्मा से

1.शरीर का घातक आहार
जब आप शरीर को खिला रहे होते हैं, तब आप अपनी आत्मा को भूखा रख रहे होते हैं। यह सिर्फ एक काव्यात्मक बात नहीं है — यह एक आत्मिक सच्चाई है, जिसके अनंत परिणाम हो सकते हैं। शरीर को आराम, भोग-विलास, ध्यान और क्षणिक सुखों की लालसा होती है। और इसे पोषण मिलता है:
  • घमंड: “मुझे पता है क्या सही है।”
  • वासना: “मुझे अभी चाहिए।”
  • क्रोध और कड़वाहट: “उसे तो यही मिलना चाहिए।”
  • झूठ: “मैं सच में मिलावट कर रहा हूं।”
  • निंदा (गॉसिप): “सुनो, मैंने क्या सुना…”
यह सब आत्मा को दुर्बल करते हैं और हमें परमेश्वर से दूर ले जाते हैं।

हर बार जब आप इन इच्छाओं के आगे झुकते हैं, तब आप उस प्रणाली को बल दे रहे होते हैं जो आपको परमेश्वर से दूर खींचने के लिए बनी है। रोमियों 8:13 हमें चेतावनी देता है:

“यदि तुम शरीर के अनुसार जीवन जीयोगे, तो मर जाओगे…”
कठोर शब्द हैं — पर क्यों? क्योंकि शरीर नियंत्रण चाहता है, और वह हर बार आत्मा का विरोध करेगा। (गलातियों 5:17) कहता है:

“शरीर आत्मा के विरुद्ध और आत्मा शरीर के विरुद्ध इच्छा करता है; ये एक-दूसरे के विरोधी हैं, इसलिए तुम वह नहीं कर पाते जो करना चाहते हो।”

यही कारण है कि आत्मिक आहार का चुनाव जीवन और मृत्यु का प्रश्न है।

2.जब आप परमेश्वर से दूर भागते हैं, तो शैतान सवारी भेजता है
एक गंभीर सच्चाई है: हर बार जब आप परमेश्वर से भागने का निर्णय लेते हैं, शत्रु (शैतान) आपकी सहायता करने को तैयार रहता है।
जैसे योना को एक जहाज़ मिल गया जो उसे उलटी दिशा में ले जा रहा था (योना 1:3), वैसे ही आपको भी पाप के मौके मिलते हैं, ऐसी बातें जो दिखने में निर्दोष लगती हैं, और लोग जो आपकी अवज्ञा को बढ़ावा देते हैं। लेकिन यही धोखा है—शैतान आपकी अवज्ञा को सहारा देता है। वह उसे आसान बना देता है, मज़ेदार और यहां तक कि उचित दिखाने लगता है… जब तक कि आप खुद के बनाए तूफ़ान में फँस न जाएँ।

याद रखिए: सुविधा ही परमेश्वर की स्वीकृति का प्रमाण नहीं है। सिर्फ इसलिए कि दरवाज़ा खुला है, इसका मतलब यह नहीं कि परमेश्वर ने ही वह दरवाज़ा खोला है।

3. एक स्वस्थ आत्मिक आहार लें
इलाज सरल है लेकिन शक्तिशाली: परमेश्वर के वचन को प्रतिदिन ग्रहण करें। जैसे आपके शरीर को पोषण की ज़रूरत होती है, वैसे ही आपकी आत्मा को भी प्रभु के वचन की भूख होती है। प्रभु यीशु ने कहा:

"मनुष्य केवल रोटी से नहीं, परन्तु हर एक वचन से जो परमेश्वर के मुख से निकलता है, जीवित रहेगा।” (मत्ती 4:4)

यह सिर्फ "हर दिन एक वचन पढ़ो और शैतान दूर रखो" वाली बात नहीं है। यह सत्य को हजम करने, ज्ञान की बातों पर  मनन करने और परमेश्वर के प्रकाशन से बदले जाने की बात है।

शुरुआत यहाँ से करें:
  • भजन संहिता 1: यह सीखें कि यहोवा की व्यवस्था में आनन्द कैसे लें।
  • नीतिवचन: रोज़मर्रा के निर्णयों के लिए व्यावहारिक बुद्धि पाएँ।
  • सुसमाचार (गॉस्पेल): यीशु मसीह के हृदय को जानें।
  • रोमियों की पत्री: मसीह में अपनी पहचान को समझें।
जैसे-जैसे आपकी आत्मिक भूख बढ़ेगी, वैसे-वैसे शरीर की गलत इच्छाओं की लालसा अपने आप कम होती जाएगी।

4. आपका आहार आपकी मंज़िल तय करता है
हर दिन आपके सामने एक चुनाव होता है: या तो शरीर को खिलाओ और आत्मा को भूखा रखो, या आत्मा को खिलाओ और शरीर की लालसाओं को क्रूस पर चढ़ाओ। इसका परिणाम केवल आत्मिक नहीं होता—यह आपके रिश्तों, भावनाओं, निर्णयों और विरासत पर भी अच्छा प्रभाव डालता है।

आज खुद से पूछिए:
  • आप क्या देख रहे हैं?
  • आप क्या सुन रहे हैं?
  • आप किस पर मनन कर रहे हैं?
  • आप क्या बोल रहे हैं?
जैसा कि प्रभु यीशु ने कहा:
"धन्य हैं वे जो धर्म की भूख और प्यास रखते हैं, क्योंकि वे तृप्त किए जाएँगे।” (मत्ती 5:6)

तो फिर, आपको भूख किस बात की है?

Bible Reading: Isaiah 61-64
Prayer
हे स्वर्गीय पिता, मेरे भीतर आपके वचन के लिए गहरी भूख जगा दीजिए। मुझे शरीर की लालसाओं को ठुकराने में सहायता कीजिए और मुझे आपके सत्य में आनन्दित होना सिखाइए। मुझे प्रतिदिन अपने आत्मा, ज्ञान और समझ से भर दीजिए।
यीशु के नाम में, आमीन।

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