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Daily Manna

आत्मा के फल को कैसे विकसित किया जाए -२

Monday, 15th of September 2025
27 21 427
Categories : आत्मा का फल
हम क्रिसमस ट्री के सितार और रोशिनी नहीं हैं! हमें वास्तविक और पालन करने वाले फल लाने के लिए बुलाये गए है। जड़ का ध्यान रखे बिना यह संभव नहीं है।

अपना मन अनदेखी जड़ हैं जो अदृश्य फल लाता हैं। फल देने वाली चीजों में बाधा डालने वाली चीजें मन में उत्पन्न होती हैं। इसलिए हमें मन पर लगातार जागृत होने के लिए कहा जाता है।

सब से अधिक अपने मन की रक्षा कर; क्योंकि जीवन का मूल स्त्रोत वही है। (नीतिवचन ४:२३) । मैं ने यह बार-बार कहा है, जब बाइबल मन की बात करती है, तो यह भौतिक मनुष्य हृदय की नहीं, बल्कि मनुष्य की आत्मा की बात करती है।

जीवन में हर असफलता के लिए, एक मूल कारण है। चंगाई और नियुक्त तब तक नहीं आएगी जब तक "कुल्हाड़ी जड़ में नहीं रखी जाती है!" प्रक्रिया धीमी और दर्दनाक हो सकती है, लेकिन यह है कि, हमें जीवन के हर क्षेत्र में कैसे फल लाना चाहिए हैं - निजी और सार्वजनिक रूप से।

बहुत कम लोग है इस आशीष को रातोंरात हासिल करते हैं। हमारी आँखों की पुतलियाँ एक-एक करके गिरती हैं और फिर हम असली रूप को देखने लगते हैं।

निम्नलिखित को बहुत ध्यान से पढ़ें:

क्या ही धन्य है वह पुरूष जो दुष्टों की युक्ति पर नहीं चलता, और न पापियों के मार्ग में खड़ा होता; और न ठट्ठा करने वालों की मण्डली में बैठता है! २ परन्तु वह तो यहोवा की व्यवस्था से प्रसन्न रहता; और उसकी व्यवस्था पर रात दिन ध्यान करता रहता है। ३ वह उस वृक्ष के समान है, जो बहती नालियों के किनारे लगाया गया है। और अपनी ऋतु में फलता है, और जिसके पत्ते कभी मुरझाते नहीं। इसलिये जो कुछ वह पुरूष करे वह सफल होता है॥ (भजन संहिता १:१-३)

नीचे दिये गए चीजों पर ध्यान दे, वह धन्य है जो मनुष्य नहीं करता है, जो वह करता है और उसके परिणाम क्यां है।

१.चीजें, जो धन्य पुरुष नहीं करता है
... अधर्मी (दुष्ट) की सलाह लेंता है (सलाह का पालन करता है)
... पापियों के मार्ग में खड़ा होता है
... बठट्ठा (निंदात्मक) करने वालों की मण्डली में बैठता है

२. चीजें, जो धन्य पुरुष करता है
... प्रभु की व्यवस्था से प्रसन्न रहता है
... व्यवस्था पर रात दिन ध्यान करता रहता है (दर्शाता है, सोचता है) 

3. परिणाम
... वृक्ष (दृढ़ता से) जो बहती नालियों के किनारे लगाया गया है
...अपनी ऋतु में फलता है (बिना रूकावट से)
...  जिसके पत्ते कभी मुरझाते नहीं

वह जो कुछ भी करता है (सफल होता है) - सफलता कोई विकल्प या परिवर्तन नहीं है लेकिन एक निश्चित है जब दिव्य सिद्धांतों का पालन किया जाता है। 

इस तरह से आप परमेश्वर की महिमा के लिए फल ला सकते हैं।

Bible Reading: Ezekiel 38-39
Confession
1. मैं अपने जीवन के हर एक क्षेत्र में हर दिन परमेश्वर के वचन का ध्यान करके फलदायी और समृद्ध बनुंगा।

2. मैं धन्य हूं क्योंकि पवित्र आत्मा मुझे परमेश्वर के वचन को पालन करने के लिए सामर्थी बनता है। मेरी आत्मा में परमेश्वर का वचन मेरे शरीर के हर एक भाग को यीशु के नाम से जीवन देता है।



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