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अगापे प्रेम में कैसे (बढ़े) बढ़ना है?
Wednesday, 1st of October 2025
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आत्मा का फल
प्रेम
अगापे प्रेम सबसे ऊंचा प्रेम है। इसे 'परमेश्वर का प्रेम' कहा जाता है। प्रेम के अन्य सभी रूप एक परस्पर देने और लेने पर या निर्धारित शर्तों पर आधारित हैं। अगापे प्रेम बिना शर्त वाला (शर्तरहित) प्रेम है। यह प्रेम का वह प्रकार है जिसे परमेश्वर चाहता है कि उसके सभी मसीही साझा करें। सच्चा अगापे प्रेम हमेशा एक वरदान (भेंट) है।
परन्तु परमेश्वर हम पर अपने (स्वयं) (अगापे) प्रेम की भलाई इस रीति से प्रगट करता है, कि जब हम पापी ही थे तभी मसीह (मसीहा, अभिषिक्त) हमारे लिए मारा गया। (रोमियो ५:८)
जब परमेश्व र ने हमारे लिए अपना अगापे प्रेम दिखाया, जब हम पापी ही थे। ऐसा कुछ भी नहीं था कि हम परमेश्वर को उनके प्रेम के भेंट के बदले कुछ दे सकें।
पर आत्मा का फल प्रेम (अगापे), आनन्द, मेल, धीरज, और कृपा, भलाई, विश्वास, नम्रता, और संयम हैं; ऐसे ऐसे कामों के विरोध में कोई भी व्यवस्था नहीं। (गलातियों ५:२२-२३)
अगापे प्रेम आत्मा के फल की सूची में सबसे पहले उल्लेख किया गया है क्योंकि यह सभी की नींव है। प्रेम केवल आत्मा का फल नहीं है, यह जड़ भी है जो अन्य सभी फलों को उत्पन करता है। प्रेम आनन्द, मेल, धीरज, कृपा, भलाई, विश्वास, नम्रता, और संयम का प्रमुख स्रोत है।
आत्मा के फल स्वयं पवित्र आत्मा से उत्पन होता हैं। जैसा कि हम पवित्र आत्मा के साथ अपनी दैनिक संगति बनाए रखने के लिए सावधान हैं। वह हमारे मन में परमेश्वर का प्रेम को उंडेलेगा (प्रकट करेगा)। (रोमियो ५:५ पढ़िए)
Bible Reading:Jonah 2-4; Micah1-3
Prayer
पिता, मुझे अपने सारे मन और अपने सारे प्राण और अपनी सारी शक्ति और अपनी सारी बुद्धि के साथ प्रेम रखना सिखा। यीशु के नाम में आमीन।
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