परमेश्वर की आवाज सुनना
परमेश्वर (यहोवा) ने मूसा को बुलाकर मिलापवाले तम्बू में से उससे कहा....... (लैव्यव्यवस्था १:१)
मिलाप (मिलने) का तम्बू एक ऐसी जगह थी जहाँ परमेश्वर और मनुष्य एक दूसरे से मिलते थे ।बाइबिल कहती है,“परमेश्वर ने मिलापवाले तम्बू में से मूसा से बात की”। यह महत्वपूर्ण है क्योंकि यह हमें बताता है कि अंतरंग (घनिष्ठ) संगति के स्थान में से, जो परमेश्वर किसी व्यक्ति से बात करेंगे ।
होमबलि (अग्नि-बलि या जली हुई भेंट)
१. सभी नर
२. याजकों के लिए खाल (चमड़ा या त्वचा)
३. वेदी पर सब जला हुआ
होमबलि के रूप में तीन प्रकार के पशुओं को चढ़ाया जाता था।
१. बैल (बछड़ा) (वचन १-५ )
२. भेड़ और बकरियाँ (वचन १०)
३. पंडुक (जंगली कबूतर) और कबूतर (वचन १४)
केवल धनवान ही बैल (बछड़ा) खरीद सकते थे, "मध्यम वर्ग" ने भेड़ या बकरियों की पेशकश की, जैसा कि सबसे अधिक वे दे सकते थे, और गरीबों ने पंडुकों और कबूतरों की बलि दी ।सभी मामलों में, भेंट एक वास्तविक बलिदान था ।
मांस तब एक दुर्लभ विलासिता (सुख-भोग की साम्रगी) थी, इसलिए परमेश्वर के सिवाय किसी को भी इसका कोई हिस्सा दिए बिना वेदी पर एक पूरे जानवर को जलाना यह महंगा था। होमबलि के साथ भी ठीक ऐसा ही हुआ ।
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