तेरी आंखें ऐसी शुद्ध हैं कि तू बुराई को देख ही नहीं सकता। (हबक्कूक १:१३)
यहोवा की आँखें पाप को देखने के लिए बहुत शुद्ध हैं। जब प्रभु यीशु क्रूस पर थे, परमेश्वर पिता ने क्रूस पर यीशु से अपना चेहरा हटा दिया क्योंकि पूरी दुनिया का पाप उस पर था। इस समय पाप ठहराने वाला यीशु, परमेश्वर की संगति को जारी नहीं रख सका। यही आत्मिक मृत्यु का पूरा सार है - परमेश्वर से अलग होना।
तू क्यों मनुष्यों को समुद्र की मछलियों के समान
और उन रेंगने वाले जन्तुओं के समान बनाता है
जिन पर कोई शासन करने वाला नहीं है।
वह उन सब मनुष्यों को बन्सी से पकड़ कर उठा लेता और
जाल में घसीटता और महाजाल में फंसा लेता है;
इस कारण वह आनन्दित और मगन है।
इसीलिये वह अपने जाल के साम्हने बलि चढ़ाता और
अपने महाजाल के आगे धूप जलाता है;
क्योंकि इन्हीं के द्वारा उसका भाग पुष्ट होता,
और उसका भोजन चिकना होता है।
परन्तु क्या वह जाल को खाली करने और
जाति जाति के लोगों को लगातार निर्दयता से
घात करने से हाथ न रोकेगा? (हबक्कूक १:१४-१७)
दुष्ट लोग जाल में मछली की तरह मनुष्यों को पकड़ रहे हैं
पिंजरे को नष्ट कर, वह जाल जिसने आपके प्रियजन को फँसा दिया है और उसे सुसमाचार को गले लगाने के लिए छोड़ दिया है।
इसीलिये वह अपने जाल के साम्हने बलि चढ़ाता और
अपने महाजाल के आगे धूप जलाता है;
क्योंकि इन्हीं के द्वारा उसका भाग पुष्ट होता,
और उसका भोजन चिकना होता है। (हबक्कूक १:१६)
यह झूठी आराधना का उदाहरण है - वस्तुओं की आराधना। यह मूर्तिपूजा का एक श्रेष्ठ उदाहरण है।