इस कारण यहूदी और भी अधिक उसके [उसके साथ दूर होने के लिए] मार डालने का प्रयत्न करने लगे, कि वह न केवल सब्त के दिन की विधि को तोड़ता (कमजोर पड़ना, उल्लंघन करना), परन्तु परमेश्वर को अपना पिता [एक विशेष अर्थ में] कह कर, अपने आप [खुद को एक स्तर पर रखने] को परमेश्वर के तुल्य ठहराता था॥ (यूहन्ना ५:१८)
यीशु ने स्पष्ट रूप से उल्लेख किया कि वह भगवान था और यहूदियों ने इसे स्पष्ट रूप से समझा। यही कारण है कि वे उसे मारने की योजना बना रहे थे।
और आपके मन में उनका वचन (उनका विचार) जीवित (स्थिर) नहीं है। (यूहन्ना ५:३८)
उनका वचन उनके विचार हैं। उनका वचन आपको उनके जैसा विचार करने में, उनकी तरह बात करने में और अंत में उनकी तरह चलना बनाता है।
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