यूसुफ की सन्तान यहोशू से कहने लगी, हम तो गिनती में बहुत हैं, क्योंकि अब तक यहोवा हमें आशीष ही देता आया है, फिर तू ने हमारे भाग के लिये चिट्ठी डालकर क्यों एक ही अंश दिया है? यहोशू ने उन से कहा, यदि तुम गिनती में बहुत हो, और एप्रैम का पहाड़ी देश तुम्हारे लिये छोटा हो, तो परिज्जयों और रपाइयों का देश जो जंगल है उसमें जा कर पेड़ों को काट डालो। (यहोशू १७:१४-१५)
ध्यान दें कि यहोशू उनकी महानता पर सवाल नहीं उठाया, या न कि वे अपने लिए अधिक से अधिक स्थान पाने के योग्य हैं या नहीं। वह बस उनके अहंकार को उन को वापस किया और उन्हें वह दे देता है जो वे चाहते थे।
यदि वे अपनी इच्छा को पूरा करने के लिए कठिन काम करने को तैयार होते । वास्तव में, यहोशू कह रहा था “आपको और भूमि चाहिए? जाओ इसे जीत लो! ” "आप महान लोग हैं?" फिर दानव को आपके लिए कोई समस्या नहीं होनी चाहिए! वहाँ सभी भूमि आप कभी भी और अधिक की जरुरत हो सकती है- इसे ले जाओ!"
दूसरे शब्दों में, यहोशू ने कहा “यदि आप अपने बारे में जो कहते हैं वह सच है, और मुझे विश्वास है, तो यह आपके जीवन में फल होना चाहिए! इसका लाभ उठाएं, और चलो इसे देखते हैं!
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