पौलुस की ओर से, जो परमेश्वर की इच्छा से मसीह यीशु का प्रेरित है, और भाई तीमुथियुस की ओर से। (कुलुस्सियों १:१)
पौलुस के तेरह पत्र के नौ पत्र में, उन्होंने खुद को "प्रेरित" के रूप में नामित किया। पौलुस ने प्रेरित होने का चुनाव नहीं किया और न ही इस सम्मान को अपने आप को प्रदान किया। उन्होंने अपने आयोग (कार्य) को जी उठे प्रभु और उद्धारकर्ता - यीशु मसीह से प्रेरित होने के लिए प्राप्त किया। (प्रेरितों के काम ९:३-६)
हमारे पिता परमेश्वर की ओर से तुम्हें अनुग्रह और शान्ति प्राप्त होती रहे॥ (कुलुस्सियों १:२)
ध्यान दें, सारी अनुग्रह और शांति का स्रोत अपने पिता परमेश्वर और प्रभु यीशु मसीह हैं।
क्योंकि हम ने सुना है, कि मसीह यीशु पर तुम्हारा विश्वास है, और सब पवित्र लोगों से प्रेम रखते हो। (कुलुस्सियों १:४)
पौलुस ने कुलुस्सियों के विश्वास और सभी पवित्र लोगों के प्रति उनके प्रेम के बारें में कैसे सुना? कुलुस्सियों १:७ हमें बताता है कि यह इपफ्रास था जिसने पौलुस को यह सन्देश दी थी।
जो तुम्हारे पास पहुंचा है और जैसा जगत में भी फल लाता, और बढ़ता जाता है; अर्थात जिस दिन से तुम ने उस को सुना, और सच्चाई से परमेश्वर का अनुग्रह पहिचाना है, तुम में भी ऐसा ही करता है। (कुलुस्सियों १:६)
जब प्रचार और प्राप्त होने पर सच्चा सुसमाचार हमेशा फल लाता है। फल जो बदले हुए जीवन में देखा जाता है। (रोमियो १:१३)
उसी ने तुम्हारे प्रेम को जो आत्मा में है हम पर प्रगट किया॥ (कुलुस्सियों १:८)
कुलुस्सियों ने कभी भी पौलुस से नहीं मिले थे और फिर भी वे उससे प्रेम करते थे। यह प्रेम "आत्मा में" था। इससे मेरा मतलब क्या है? प्रभु पौलुस को जानता था और उससे प्रेम करता था, और कुलुस्सियों के भीतर पवित्र आत्मा, पौलुस के प्रति उस प्रेम को जारी कर रहा था।
उदाहरण के लिए: हम में से कई ऐसे हैं जो प्रभु के कई दासों और दासियों से बहुत प्रेम करते हैं और दिलचस्प बात यह है कि हम उनसे कभी व्यक्तिगत रूप से नहीं मिले हैं।
इसी लिये जिस दिन से यह सुना है, हम भी तुम्हारे लिये यह प्रार्थना करने और बिनती करने से नहीं चूकते कि तुम सारे आत्मिक ज्ञान और समझ सहित परमेश्वर की इच्छा की पहिचान में परिपूर्ण हो जाओ। (कुलुस्सियों १:९)
"सोफिया" "बुद्धि," का ग्रीक शब्द है। बुद्धि केवल ज्ञान से अधिक है, यह ज्ञान का सही उपयोग करने की क्षमता है।
ग्रीक शब्द "सुनेसिस" का अनुवाद "समझ" था। हमारी सुविधाओं का पूरी तरह से उपयोग करने के लिए, बुद्धि और समझ को एक साथ काम करना होगा।
ताकि तुम्हारा चाल-चलन प्रभु के योग्य हो, और वह सब प्रकार से प्रसन्न हो, और तुम में हर प्रकार के भले कामों का फल लगे, और परमेश्वर की पहिचान में बढ़ते जाओ। (कुलुस्सियों १:१०)
चलना (चाल-चलन), पवित्र शास्त्रों में आचरण के प्रतिरूप या जीवन शैली को इंगित करने के लिए कई बार आलंकारिक रूप से उपयोग किया गया है।
उसी ने हमें अन्धकार के वश से छुड़ाकर अपने प्रिय पुत्र के राज्य में प्रवेश कराया। (कुलुस्सियों १:१३)
जिस में हमें छुटकारा अर्थात पापों की क्षमा प्राप्त होती है। (कुलुस्सियों १:१४)
क्योंकि हम पहले ही "अन्धकार की शक्ति से" छुटकारा पा चुके हैं, इसलिए शैतान के पास हमारे ऊपर कोई असली शक्ति नहीं है। उसके एकमात्र हथियार झूठ, धोखा और धमकी (डराना) हैं।
प्रभु ने हमें खुद के लिए बनाया है, लेकिन हमने खुद को शैतान के बंधन में बांध दिया है। प्रभु ने हमें यीशु मसीह के बहुमूल्य लहू के द्वारा वापस लाया। प्रभु ने पुराने नियम में भविष्यवक्ता होशे के माध्यम से इसका वर्णन किया। (होशे १:२-३ और ३:२)
यह मसीह के लहू के द्वारा ही वहुतकरा प्राप्त होती है। मानव प्रयास की कोई परिणाम या मानव जाति की खुद की धार्मिकता उस पवित्र अन्यग्रह को नहीं ला सकती है जिसकी हमें जरुरत थी। इसलिए, मसीह का लहू हमारे पाप के कीमत में पवित्र प्रबंध का भेंट था।
वह तो अदृश्य परमेश्वर का प्रतिरूप और सारी सृष्टि में पहिलौठा है। (कुलुस्सियों १:१५)
वह तो अदृश्य परमेश्वर का प्रतिरूप है
यह शारारिक (भौतिक) आयाम में नहीं था कि यीशु परमेश्वर का प्रतिरूप था। यीशु का बाह्य शरीर सादा था। भविष्यवक्ता यशायाह ने स्पष्ट रूप से उल्लेख किया था कि यीशु में कोई सुंदरता नहीं थी ताकि हम उसकी इच्छा करें (यशायाह ५३:२)।
फिलिप्पियों २:७ में प्रेरित पौलुस ने कहा कि यीशु का बाह्य शरीर "मानव की समानता में बना था।" प्रभु यीशु पूरी तरह से कार्यों, स्वाभाव और चरित्र में पिता का प्रतिनिधित्व करते थे।
यीशु ने कहा, "जिसने मुझे देखा है उसने पिता को देखा है" (यूहन्ना १४:९)। यीशु ने हमें पिता के मन की एक सटीक प्रतिरूप (छाप) दी (इब्रानियों १:३)।
सारी सृष्टि में पहिलौठा है
कुछ लोग हैं जो आरोप लगाते हैं कि पहिलौठा का अर्थ है कि यीशु परमेश्वर की पहली रचना था। इसका मतलब यह है कि यीशु मसीह एक निर्मित प्राणी था?
कुलुस्सियों में यीशु के पहले पहिलौठा के रूप में विचार का अर्थ है कि वह सृष्टि से पहले का है और वह निर्मित प्राणी नहीं है। इसे वचन में देखा जा सकता है।
क्योंकि उसी में सारी वस्तुओं की सृष्टि हुई, स्वर्ग की हो अथवा पृथ्वी की, देखी या अनदेखी, क्या सिंहासन, क्या प्रभुतांए, क्या प्रधानताएं, क्या अधिकार, सारी वस्तुएं उसी के द्वारा और उसी के लिये सृजी गई हैं। और वही सब वस्तुओं में प्रथम है, और सब वस्तुएं उसी में स्थिर रहती हैं। (कुलुस्सियों १:१६-१७)
यीशु को स्पष्ट रूप से सभी चीजों का सृष्टिकर्ता कहा जाता है और फिर तार्किक रूप से कहा जाता है कि वह पहली चीज़ नहीं बन सकता था।
यीशु को मृतकों में का पहिलौठा भी कहा जाता है।
लाजर और कई अन्य लोगों को मृतकों में से उठाया गया था, लेकिन वे फिर से मर गए। यीशु उस समय का पहला व्यक्ति था जो मृतकों में से वापस आने के लिए फिर कभी नहीं मरा।
मैं मर गया था, और अब देख; मैं युगानुयुग जीवता हूं; और मृत्यु और अधोलोक की कुंजियां मेरे ही पास हैं। (प्रकाशित वाक्य १:१८)