पूर्व युग में परमेश्वर ने बाप दादों से थोड़ा थोड़ा करके और भांति भांति से भविष्यद्वक्ताओं के द्वारा बातें कर के। इन दिनों के अन्त में हम से पुत्र के द्वारा बातें की, जिसे उस ने सारी वस्तुओं का वारिस ठहराया और उसी के द्वारा उस ने सारी सृष्टि रची है। (इब्रानियों १:१-२)
परमेश्वर का वचन स्पष्ट रूप से सिखाता है कि…
१. परमेश्वर थोड़ा थोड़ा करके बात की
२. परमेश्वर ने भांति भांति तरीकों से बात की
३. परमेश्वर ने पूर्व युग में बात की (कल)
४. परमेश्वर आज कहता है और हमसे कहता रहेगा
जब यीशु मसीह हमारे उद्धारकर्ता के रूप में पृथ्वी पर आए, तो वे दुनिया में परमेश्वर की महिमा के प्रकाशन की अंतिम छाप थे। "वह उस की महिमा का प्रकाश, और उसके तत्व की छाप है, और सब वस्तुओं को अपनी सामर्थ के वचन से संभालता है: वह पापों को धोकर ऊंचे स्थानों पर महामहिमन के दाहिने जा बैठा।" (इब्रानियों १:३)
और स्वर्गदूतों से उतना ही उत्तम ठहरा, जितना उस ने उन से बड़े पद का वारिस होकर उत्तम नाम पाया। (इब्रानियों १:४)
१. यीशु स्वर्गदूतों से बेहतर हैं क्योंकि उनके पास जो वे करते है उससे कहीं अधिक अद्धभुत नाम है
यीशु परमेश्वर का पुत्र है। किसी भी स्वर्गदूत को यह पदवी कभी नहीं मिली। किसी भी स्वर्गदूत को कभी "परमेश्वर का पुत्र" नहीं कहा जाता था। स्वर्गदूत शानदार प्राणी हैं। वे अलौकिक हैं। उनके पास जबरदस्त सामर्थ है। वे परमेश्वर की उपस्थिति में प्रवेश करने में सक्षम हैं। लेकिन यीशु बेहतर है क्योंकि वह पुत्र है।
हालांकि यह सच है कि स्वर्गदूतों को सामान्य रूप से परमेश्वर के पुत्र के रूप में संदर्भित किया जाता था, इस तरह के नाम को व्यक्तिगत रूप से किसी भी स्वर्गदूत को कभी नहीं बताया गया था। इसके अलावा, परमेश्वर ने कभी भी एक स्वर्गदूत से नहीं कहा, "मैं उसके लिए पिता हूंगा।" (इब्रानियों १:५)
परमेश्वर ने यीशु के बपतिस्मा में इस अनोखे रिश्ते की पुष्टि की और उन्हें सीधे और व्यक्तिगत रूप से अपने बेटे के रूप में संबोधित किया; 'फिर स्वर्ग से एक आवाज़ आई, "कि तू मेरा प्रिय पुत्र है, तुझ से मैं प्रसन्न हूं" (मरकुस १:११)।
२. यीशु स्वर्गदूतों से बेहतर है क्योंकि वह स्वर्गदूतों द्वारा आराधना की जाती है।
और जब पहिलौठे को जगत में फिर लाता है, तो कहता है,
"कि परमेश्वर के सब स्वर्गदूत उसे दण्डवत करें।" (इब्रानियों १:६)
३. यीशु स्वर्गदूतों से बेहतर है क्योंकि वे सेवक (दास) हैं
और स्वर्गदूतों के विषय में यह कहता है,
कि वह अपने दूतों को पवन,
और अपने सेवकों को धधकती आग बनाता है।
परन्तु पुत्र से कहता है,
कि हे परमेश्वर तेरा सिंहासन युगानुयुग रहेगा:
तेरे राज्य का राजदण्ड न्याय का राजदण्ड है। (इब्रानियों १:७-८)
इसके विपरीत यहां स्पष्ट है:
यीशु राजा के रूप में बैठे हैं, जबकि स्वर्गदूतों को सेवक के रूप में भेजा जाता है।
केवल एक राजा है, जबकि कई सेवक स्वर्गदूत हैं।
४. यीशु स्वर्गदूतों से बेहतर है क्योंकि वह परमेश्वर है
परन्तु पुत्र से कहता है,
कि हे परमेश्वर तेरा सिंहासन युगानुयुग रहेगा:
तेरे राज्य का राजदण्ड न्याय का राजदण्ड है। (इब्रानियों १:८)
तुझको धार्मिकता ही प्रिय है, तुझको घृणा पापों से रही,
सो परमेश्वर, तेरे परमेश्वर ने तुझको चुना है, और उस आदर का आनन्द दिया।
तुझको तेरे साथियों से कहीं अधिक दिया।” (इब्रानियों १:९)
धार्मिकता से प्रेम करने का क्या मतलब है?
धार्मिकता से प्रेम करने का अर्थ है सत्यनिष्ठा, सद्गुण, और उद्देश्य, विचार और कार्य में सच्चाई।
अधर्म से नफरत करने का क्या मतलब है?
अधर्म से नफरत करने का मतलब है अन्याय और अधर्म से नफरत करना।
आप किन चीजों से प्रेम करते हैं? क्या आपको प्रार्थना और वचन पढ़ना पसंद है? ध्यान दें, मैंने यह नहीं कहा, "क्या आप प्रार्थना करते हैं और वचन पढ़ते हैं?" एक व्यक्ति प्रार्थना कर सकता है और कर्तव्य की भावना से वचन को पढ़ सकता है और दूसरा व्यक्ति प्रार्थना और वचन को प्रेम से पढ़ सकता है। यह आपके जीवन पर अभिषेक को आकर्षित करेगा।
परमेश्वर यह भी कहता है,“हे प्रभु, जब सृष्टि का जन्म हो रहा था,
तूने धरती की नींव धरी।
और ये सारे स्वर्ग तेरे हाथ का कतृत्व हैं। (इब्रानियों १:१०)
यहां तक कि पृथ्वी की भी नींव है। शुरुआत में नींव रखी जाती है।
क्या सभी स्वर्गदूत उद्धार पाने वालों की सेवा के लिये भेजी गयी सहायक आत्माएँ हैं? (इब्रानियों १:१४)
उन्हें सेवकाई आत्माओं के रूप में संदर्भित किया जाता है जिसका अर्थ है सेवक। उन सभी सेवाओं के बावजूद जो स्वर्गदूत मसीह में विश्वासियों को प्रस्तुत करते हैं। प्रभु, वह वही है जो उन्हें भेजता है। स्वर्गदूत उनके हिसाब से काम नहीं करते हैं।