हे मेरे बालकों, मैं ये बातें तुम्हें इसलिये लिखता हूं, कि तुम पाप न करो; और यदि कोई पाप करे, तो पिता के पास हमारा एक सहायक है, अर्थात धार्मिक यीशु मसीह। (१ यूहन्ना २:१)
१. पाप न करो।
२. जब आप पाप करते हो तो निराश न होए। (आशा है)
हमारे पास आशा क्यों है? ऐसा इसलिए है क्योंकि हमारे पास पिता के साथ एक अभिवक्ता है, धार्मिक यीशु मसीह।
लेकिन कोई यह पूछ सकता है, "यदि मसीह की मृत्यु से हमारे पापों को ढ़क लिया गया है, तो हमें परमेश्वर से पहले एक अभिवक्ता की जरुरत क्यों है?
ऐसा इसलिए है क्योंकि मसीह की वकालत और मसीह का बलिदान (शांति) एक उद्धार कार्य का हिस्सा है। वे अलग नहीं हैं।
तीन परीक्षा जो हम वास्तव में उसे जानते हैं
यदि हम उस की आज्ञाओं को मानेंगे, तो इस से हम जान लेंगे कि हम उसे जान गए हैं। जो कोई यह कहता है, कि मैं उसे जान गया हूं, और उस की आज्ञाओं को नहीं मानता, वह झूठा है; और उस में सत्य नहीं। पर जो कोई उसके वचन पर चले, उस में सचमुच परमेश्वर का प्रेम सिद्ध हुआ है: हमें इसी से मालूम होता है, कि हम उस में हैं। सो कोई यह कहता है, कि मैं उस में बना रहता हूं, उसे चाहिए कि आप भी वैसा ही चले जैसा वह चलता था। (१ यूहन्ना २:३-६)
१. उनकी आज्ञाओं को मानना
२. परमेश्वर के प्रेम को सिद्ध करना
३. जैसे यीशु चलते थे वैसे ही हमें भी चलना है
उन्हें जानने का अंतिम लक्ष्य अनंतकाल जीवन है
और अनन्त जीवन यह है, कि वे तुझ अद्वैत सच्चे परमेश्वर को और यीशु मसीह को, जिसे तू ने भेजा है, जाने। (यूहन्ना १७:३)
पर जो कोई उसके वचन पर चले, उस में सचमुच परमेश्वर का प्रेम सिद्ध हुआ है: हमें इसी से मालूम होता है, कि हम उस में हैं। (१ यूहन्ना २:५)
परमेश्वर का प्रेम सिर्फ एक भावना या रोंगटे से कहीं अधिक है। परमेश्वर के प्रेम में बढ़ने का मतलब है परमेश्वर की आज्ञाओं को मानना।
जो कोई यह कहता है, कि मैं ज्योति में हूं; और अपने भाई से बैर रखता है, वह अब तक अन्धकार ही में है। जो कोई अपने भाई से प्रेम रखता है, वह ज्योति में रहता है, और ठोकर नहीं खा सकता। पर जो कोई अपने भाई से बैर रखता है, वह अन्धकार में है, और अन्धकार में चलता है; और नहीं जानता, कि कहां जाता है, क्योंकि अन्धकार ने उस की आंखे अन्धी कर दी हैं॥ (१ यूहन्ना २:९-११)
जब आप प्रेम में चल रहे हो तो आप प्रकाश में चल रहे हो।
जब आप प्रेम में नहीं चल रहे हो तो आप अंधेरे में चल रहे हो।
जब कोई अंधेरे में चल रहा होता है, तो शायद चल रहा होगा लेकिन…
१. वह बिना मार्गदर्शन (अगुवाई) के चल रहा है (लक्ष्यहीन)
२. वह अपने लक्ष्यों तक नहीं पहुंच सकता।
नहीं जानता कि वह कहां जा रहा है
क्या जो लोग जीवन में व्याकुल और लक्ष्यहीन हैं वे प्रेम में नहीं चल सकते हैं तो उनकी स्थिति ऐसी हो सकती है? पडोसी से प्रेम करना और उनके बुराई का कामना नहीं करता इसलिए परमेश्वर के व्यवस्था को पूरा करना है। (रोमियो १३:१०)
हे बालकों, मैं तुम्हें इसलिये लिखता हूं,
कि उसके नाम से तुम्हारे पाप क्षमा हुए।
हे पितरों, मैं तुम्हें इसलिये लिखता हूं,
कि जो आदि से है, तुम उसे जानते हो:
हे जवानों, मैं तुम्हें इसलिये लिखता हूं,
कि तुम ने उस दुष्ट पर जय पाई है। (१ यूहन्ना २:१२-१३)
तीन स्थर
१. बच्चे
२. जवान पुरुष (स्त्री)
३. पितृत्व
हे लड़कों मैं ने तुम्हें इसलिये लिखा है,
कि तुम पिता को जान गए हो।
हे पितरों, मैं ने तुम्हें इसलिये लिखा है,
कि जो आदि से है तुम उसे जान गए हो। (१ यूहन्ना २:१३-१४)
बच्चे अपने पिता को जानते हैं,
उसी तरह, पिता को भी अपने पिता को जानना चाहिए।
यदि तुम जानते हो, कि वह धार्मिक है, तो यह भी जानते हो, कि जो कोई धर्म का काम करता है, वह उस से जन्मा है।। (१ यूहन्ना २:२९)
फिर से जन्म लेना सिर्फ एक अंगीकार से अधिक है, वह एक जीवन शैली है। यह भीतर की धार्मिकता का सिद्ध है जो हमें बाहर से मिला है।