परमेश्वर यहूदा में जाना गया है। (भजन संहिता ७६:१)
यहूदा (या हिब्रू में याहुदा) याकूब का चौथा पुत्र था, जिसके वंशजों में से एक मसीहा होना था (उत्पत्ति २९:३५; ४९:८-१२)
दिलचस्प बात है कि यहूदा का अर्थ 'स्तुति' है। यहूदा (स्तुति) में परमेश्वर को जाना जाता है या प्रकट किया जाता है।
यहूदा में परमेश्वर का आदर हुआ है। (भजन संहिता ७६:१)
जब हम उनकी स्तुति करते हैं तो परमेश्वर का सम्मानित होता हैं।
याकूब की पत्नी, लिआ ने अपने चौथे बेटे का नाम यहूदा रखा। क्या आप जानते हो क्यों?
वह जानती थी कि याकूब उसके पति ने उसे इस बात के बावजूद प्रेम नहीं किया कि उसने उससे ३ बेटे पैदा किए। इस बिंदु पर, उसने आत्मसमर्पण करने का फैसला किया और न कि याकूब को उसके प्रति प्रेम की कमी का हवाला दिया; उसने कहा: "इस बार मैं यहोवा की स्तुति करूंगी" (उत्पति २९:३५)। यह तब था जब यहूदा का जन्म हुआ था।
जैसे यहूदा ने परमेश्वर के ह्रदय में एक विशेष स्थान रखा, स्तुति आज भी परमेश्वर के ह्रदय में एक विशेष स्थान रखती है। स्तुति सामर्थशाली है, एक जरुरत और परमेश्वर के आशीष की कुंजी है।
यहोशू के मरने के बाद इस्राएलियों ने यहोवा से पूछा, "कि कनानियों के विरुद्ध लड़ने को हमारी ओर से पहिले कौन चढ़ाई करेगा?" यहोवा ने उत्तर दिया, "यहूदा चढ़ाई करेगा; सुनो, मैं ने इस देश को उसके हाथ में दे दिया है।" (न्यायियों १:१-२)
हम न्यायियों २०:१८ में यही बात देखते हैं, जब यह युद्ध हुआ तब यहूदा पहले चला गया। यह एक भविष्यवाणी की तस्वीर है कि हम युद्ध में कैसे जा सकते हैं। मैं नहीं जानता कि आप किस लड़ाई का सामना कर रहे हैं। मैं भविष्यवाणी के रूप से कहना चाहता हूं कि आप अकेले युद्ध में न जाए, हमें यहूदा को पहले जाने देना चाहिए; प्रभु की स्तुति सबसे पहले होनी चाहिए।
अपनी समस्या या स्थिति के बारे में प्रभु से शिकायत करना और बड़बड़ाना ने के लिए प्रार्थना में न जाए। यहूदा को पहले जाने दो; पहले उनकी स्तुति करो। आप देखिए कि यहूदा उनके परिवार में चौथे स्थान पर था, फिर भी परमेश्वर के क्रम में वह पहले स्थान पर गया।
हो सकता है कि आप परमेश्वर की स्तुति करने का मन नहीं लग रहा है। हो सकता है कि आपके जीवन में परमेश्वर की स्तुति करने के लिए कुछ न हो। किसी न किसी प्रकार से भी उनकी स्तुति करें। वह सारि स्तुति के योग्य हैं।
२ इतिहास २० में, जब राजा यहोशपात को रेत की तरह भीड़ की सेनाओं का सामना करना पड़ा। वह जानता था कि यह लड़ाई उसकी ताकत से परे है। यह तब है जब उसने परमेश्वर की खोज में लग गया। क्या आप जानते हैं कि कैसे उसने एक ऐसी लड़ाई में प्रवेश किया, जिसे जीतना असंभव लग रहा था।
जिस समय वे गाकर स्तुति करने लगे, उसी समय यहोवा ने अम्मोनियों, मोआबियों और सेईर के पहाड़ी देश के लोगों पर जो यहूदा के विरुद्ध आ रहे थे, घातकों को बैठा दिया और वे मारे गए। (२ इतिहास २०:२२)
मैं नहीं जानता कि आप किस लड़ाई का सामना कर रहे हैं। हो सकता है कि यह कुछ बीमारी है, एक अदालत का मामला है, एक ग्राहक की समस्या है, कुछ समाज का मुद्दा है, या कुछ लंबे समय से चल रहा पारिवारिक विवाद है, परमेश्वर की स्तुति को अपने मुंह से बाहर आने दें। परमेश्वर की स्तुति अपने ह्रदय से बहने वाले जीवित जल की नदियों के रूप में निकलेंगी (यूहन्ना ७:३८)। आप अपने होंठों से एक गीत के साथ २०२४ में प्रवेश करेंगे।
यहाँ तक कि परमेश्वर के पुत्र, हमारे प्रभु यीशु मसीह की स्तुति क्रिसमस की रात को इस पृथ्वी पर की गई थी।
कि आज दाऊद के नगर में तुम्हारे लिये एक उद्धारकर्ता जन्मा है, और यही मसीह प्रभु है। तब एकाएक उस स्वर्गदूत के साथ स्वर्गदूतों का दल परमेश्वर की स्तुति करते हुए ..... (लूका २:११,१३)
४० दिन बाइबल पढ़ने की योजना
मत्ती १-६
प्रार्थना
पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा की स्तुति करने के लिए नोआऐप में स्तुति अनुभाग का उपयोग करें। ऐसा अगले २१ दिनों तक हर दिन करें। (यह एक भविष्यवाणी निर्देश है, इसे अनदेखा न करें)
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