उसी प्रकार तुम्हारा उजियाला मनुष्यों के सामने चमके कि वे तुम्हारे भले कामों को देखकर तुम्हारे पिता की, जो स्वर्ग में हैं, बड़ाई करें। (मत्ती ५:१६)
एक बार जब आपने दैनिक आधार पर प्रभु की उपस्थिति में प्रवेश करना सीख लिया, तो आप फिर पहले तरह कभी नहीं होंगे। परिस्थितियाँ और चीज़ें प्रभु के दृष्टिकोण से बिलकुल अलग दिखती हैं। यह आपके व्यवहार करने के तरीके, आपके बात करने के तरीके से को बदल जाती है। दूसरे शब्दों में, यह आपके द्वारा अब तक जीने के तरीके को बदल देता है। एस्तेर, साधारण किसान लड़की ने राजा के साथ एक रात के लिए एक पूरे साल तैयारी किया।
उसे इस बात की कोई गारंटी नहीं थी कि वह एक मुलकात के बाद उसे फिर से देखेगा। नतीजे के बारे में न सोचते हुए उसने खुद को तैयार किया। जिस पल उसकी तैयारी का समय था, वह राजा की उपस्थिति में शुरू हो गई थी और उसके बाद से वह एक 'किसान लड़की' नहीं बल्कि 'विजयी देश' की रानी थी। उस दिन से वह चलती रही, बातें करती रही और खुद को रानी की तरह आगे बड़ी जो वह बन गई थी। उसकी बहुत तैयारी उसकी जीवन शैली बन गई।
याद रखें, आराधना केवल एक ऐसी चीज नहीं है जो प्रार्थना सभा या एक या दो घंटे के लिए कलीसिया सभा में, या जब हम प्रभु की उपस्थिति में अकेले समय बिताने में होती है। यह हमारी जीवनशैली बन जानी चाहिए। आप जहां भी जाते हैं, जो कुछ भी करते हैं, उसमें आराधना की सुगंध होनी चाहिए - चाहे परिस्थितियां कैसी भी क्यों न हों। क्योंकि राजा उनके पवित्र आत्मा के माध्यम से हमारे बीच रहता है, हम जहाँ भी जाते हैं, हम उनकी उपस्थिति को अपने साथ ले जाते हैं। इसलिए, हर दिन का हर पल एक अवसर और आराधना का एक कारण बन जाता है।
आराधना वह नहीं है जो हम करते हैं; यह वह है कि हम कौन हैं! हम स्वभाव से आराधक हैं। राजा के पसंदीदा के रूप में, हमारे पूरे जीवन को आराधना की निरंतर क्रिया होनी चाहिए! मत्ती ५ में, प्रभु यीशु ने एक आराधक के चरित्र का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि वे मन के दीन हैं। शोकाकुल (संसार के पाप के ऊपर), नम्र (कोमल), धार्मिकता के लिए भूखे और प्यासे, दयालु, मन के पवित्र और मेल करनेवाले हैं। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें धार्मिकता के लिए सताया जाते है। संक्षेप में, वे अपने पिता, राजा के चरित्र का प्रदर्शित वस्तु हैं।
दूसरे शब्दों में, हम जो कुछ भी करते हैं या कहते हैं वह उनके नाम और चरित्र की महिमा को दर्शाता है। अपने आप से यह सवाल पूछें: क्या मेरा दैनिक जीवन आराधना का निरंतर कार्य है? क्या मेरे शब्द और व्यवहार लोगों को प्रभु यीशु की ओर आकर्षित करता हैं या उन्हें दूर भगाता हैं? आपका उजियाला चमकने दे!
४० दिन बाइबल पढ़ने की योजना
लूका ९-१४
प्रार्थना
पिता, मैं आपसे आपको पूरे ह्रदय, मन और सामर्थ के साथ आपकी आराधना करने के वजह को मांगता हूं। मुझे आराधना की जीवन शैली में चलने का वजह बना। मैं जो कुछ भी करता हूं या कहता हूं वह आपकी महिमा और चरित्र को दर्शाए ताकि लोग प्रभु यीशु के प्रति आकर्षित हो सकें। मेरा उजियाला को चमकने दे। यीशु के नाम में। आमीन।
Join our WhatsApp Channel
Most Read
● शांति - परमेश्वर का गुप्त हथियार● उदाहरण (आदर्श) - का जीवन जिए
● क्या आप सच्चे आराधक हैं
● आत्मा के नाम और शीर्षक (पदवी): पवित्र आत्मा
● साधारण पात्र (बरतन) के माध्यम से महान कार्य
● वचन का प्रभाव
● जीवन की पुस्तक
टिप्पणियाँ