प्रभु कहता है कि, मैं ही एप्रैम को पांव-पांव चलाता था, और उन को गोद में लिए फिरता था, परन्तु वे न जानते थे कि उनका चंगा करने वाला मैं हूं। (होशे ११:३)
जीवन को बदलने के लिए सबसे महत्वपूर्ण तत्वों में से एक है कि, पवित्र आत्मा की सामर्थ से चलना (जीना) सीखना है। जिस तरह हमें यह सीखना था कि इस दुनिया में इंसानों के रूप में कैसे रहना है, इसलिए हमें यह सीखना चाहिए कि परमेश्वर की दुनिया में आत्मिक जीव के रूप में कैसे जीना है। हमें यह सीखना चाहिए कि आत्मिक रूप से कैसे चलना है क्योंकि हमने सीखा कि शारीरिक रूप से कैसे चलना है। हमारे माता-पिता ने हमें सिखाया कि शारीरिक रूप से कैसे चलना है, इसलिए परमेश्वर की आत्मा हमें सिखाती है कि आत्मिक रूप से कैसे चलना है।
अगर हम इस तरह से चलने वाले हैं जैसे कि हर चीज में परमेश्वर को प्रसन्न करना है, तो हमें अपने ज्ञान को बढ़ाने में चलना चाहिए। प्रेरित पौलुस ने कलीसिया के सदस्यों के लिए प्रार्थना की। इसी लिये जिस दिन से यह सुना है, हम भी तुम्हारे लिये यह प्रार्थना करने और बिनती करने से नहीं चूकते कि तुम सारे आत्मिक ज्ञान और समझ सहित परमेश्वर की इच्छा की पहिचान में परिपूर्ण हो जाओ। ताकि तुम्हारा चाल-चलन प्रभु के योग्य हो, और वह सब प्रकार से प्रसन्न हो, और तुम में हर प्रकार के भले कामों का फल लगे, और परमेश्वर की पहिचान में बढ़ते जाओ (कुलुस्सियों १:९-१०)।
बाइबल को न केवल आपकी सोच को सूचित करने की अनुमति दें, बल्कि आपके मन को फिर से कार्य करने की अनुमति दें।
प्रभु के साथ चलने के लिए एक और महत्वपूर्ण गुण है कि वह सीखने या सिखाने का मन होना। इससे हमें वही बनाए रखने में मदद मिलेगी जो हमे पहले से ही प्राप्त की है, और सक्रिय रूप से उनके साथ दिन-प्रतिदिन बने रहने में मदद मिलेगी।
फरीसियों का सबसे बड़ा पतन यह था कि वे मानते थे कि वे सभी जानते हैं कि परमेश्वर के बारे में जो जानना था। इसके कारण, वे अपने आत्मिक विकास के संबंध में स्थिरता के स्थान से रहते थे। प्रभु यीशु ने कहा, मैं तुम से सच कहता हूं, कि जो कोई परमेश्वर के राज्य को बालक की नाईं ग्रहण न करे, वह उस में कभी प्रवेश करने न पाएगा। (मरकुस १०:१५) इससे कोई फरक नहीं पड़ता है कि हम किस स्तर तक पहुंच गए हैं, और अधिक ग्रहण करने के लिए हमें सीखने या सिखाने का लायक होने की जरुरत है।
प्रार्थना
पिता, मेरे घमंड और अहंकार (अक्खड़पन) को क्षमा कर। मैं आपसे एक सीखने या सिखाने की आत्मा को मांगता हूं। यीशु के नाम में। आमेन।
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