डेली मन्ना
उन चीजों (कार्यों) को सक्रिय करें
Friday, 28th of June 2024
28
21
675
Categories :
वचन का अंगीकार करना
उत्पत्ति सभी शुरुआत की पुस्तक है। यदि आप विवाह, धन को समझना चाहते हैं, तो आपको उत्पत्ति की पुस्तक में जाने की जरुरत है। यदि आप प्रकाशित वाक्य की पुस्तक को समझना चाहते हैं तो आपको उत्पत्ति की पुस्तक में जाने की जरुरत है।
यदि आप उत्पत्ति को नहीं समझते हैं तो आप स्वयं को जीवन नहीं समझेंगे।
आदि में परमेश्वर ने आकाश और पृथ्वी की सृष्टि की। और पृथ्वी बेडौल और सुनसान पड़ी थी; और गहरे जल के ऊपर अन्धियारा था: तथा परमेश्वर का आत्मा जल के ऊपर मण्डलाता था। तब परमेश्वर ने कहा, उजियाला हो: तो उजियाला हो गया। (उत्पति १:१-३)
हो सकता है कि आपका जीवन, आपका व्यवसाय, आपका प्रगति बिना रूप और शून्य के हो। आपके चरों ओर अंधेरा है और कोई आशा नहीं है। शैतान झूठा है।
वह आपको कहता है कि परमेश्वर ने आपको छोड़ (त्याग) दिया है और आपके साथ कुछ भी अच्छा नहीं होगा। लेकिन ध्यान दें, परमेश्वर की आत्मा किसी ऐसी चीज़ पर मंडरा रही थी जो बिना रूप और शून्य के थी। परमेश्वर सदा का परमेश्वर है। वह आपको नहीं त्यागेगा।
लेकिन वह अंधकार तब तक नहीं छोड़ेगा जब तक आप अपने जीवन में कुछ चीजों को सक्रिय नहीं करते। मुझे समझाने दीजिए।
सिर्फ इसलिए कि परमेश्वर की आत्मा उस चीज से मण्डलाती रही थी जो अंधकार था और बेडौल ने कुछ भी नहीं बदला। वास्तव में कुछ भी नहीं हुआ जब तक कि परमेश्वर वचन नहीं कहा। तब परमेश्वर ने कहा, "उजियाला हो।"
जीवन प्रकट होने से पहले इस शब्द को बोलना पड़ता था। यही सिद्धांत आपके जीवन के हर क्षेत्र पर लागू होता है जहाँ आप चाहते हैं कि भगवान प्रकट हों।
मान लें कि आप नौकरी, आत्मिक विकास आदि के लिए प्रार्थना कर रहे हैं। इन क्षेत्रों से संबंधित वचन को अंगीकार करें। (आप नूहऐप पर प्रति दिन का अंगीकार पर क्लिक कर सकते हैं और अपनी जरुरत के अनुसार परमेश्वर के वचन को स्वीकार कर सकते हैं) अपना मुंह खोलें और अधिकार के साथ अपनी स्थिति पर बात करें, तभी आपके जीवन में एक शैली होगी।
जितना कम हम समझते हैं कि परमेश्वर हमारी मसीही यात्रा के साथ उतने ही निराश होकर कार्य करता है। फिर हम परमेश्वर को दोषी ठहराते हुए समाप्त होते हैं, कलीसिया से परेशान होते हैं और कुछ लोग कलीसिया भी छोड़ देते हैं।
अंगीकार
१. मैं कबूल करता हूं कि मैं लगातार के लिए मार्गदर्शन मार्गदर्शन प्राप्त करूंगा, "प्रभु मुझे लगातार मार्गदर्शन करेगा" (यशायाह ५८:११)।
२. मैं कबूल करता हूं कि मैं परमेश्वर की शांति को प्राप्त करूंगा, "तब परमेश्वर की शान्ति, जो समझ से बिलकुल परे है, मेरे हृदय और मेरे विचारों को मसीह यीशु में सुरिक्षत रखेगी॥" (फिलिप्पियों ४:७)।
३. मैं कबूल करता हूं कि मुझे डर से आजादी को प्राप्त करूंगा, " क्योंकि मैं तेरा परमेश्वर यहोवा, तेरा दहिना हाथ पकड़कर कहूंगा, मत डर, मैं तेरी सहायता करूंगा॥" (यशायाह ४१:१३)
२. मैं कबूल करता हूं कि मैं परमेश्वर की शांति को प्राप्त करूंगा, "तब परमेश्वर की शान्ति, जो समझ से बिलकुल परे है, मेरे हृदय और मेरे विचारों को मसीह यीशु में सुरिक्षत रखेगी॥" (फिलिप्पियों ४:७)।
३. मैं कबूल करता हूं कि मुझे डर से आजादी को प्राप्त करूंगा, " क्योंकि मैं तेरा परमेश्वर यहोवा, तेरा दहिना हाथ पकड़कर कहूंगा, मत डर, मैं तेरी सहायता करूंगा॥" (यशायाह ४१:१३)
Join our WhatsApp Channel
Most Read
● प्रार्थनाओं में आनेवाली रूकावटों पर कैसे जय पाए● एक अख़मीरी की ह्रदय
● प्रेम का सच्चा स्वरूप (स्वाभाव)
● आप किसके साथ चल (संगति कर) रहे हैं?
● आपको एक सलाहकार (उपदेशक) की जरुरत क्यों है
● दबोरा के जीवन से सीक (शिक्षाए)
● दो बार नहीं मरना (है)
टिप्पणियाँ