बहाने सिर्फ़ किसी समस्या से बचने का तरीका नहीं हैं - वे हमारे अंतर्निहित दृष्टिकोण और प्राथमिकताओं को प्रकट करते हैं। भाग १ में, हमने पता लगाया कि लोग मुसीबत से बचने या किसी व्यक्तिगत समस्या को नकारने के लिए कैसे बहाने बनाते हैं।
इस अगली विषय में, हम बहाने बनाने के दो और कारणों पर गौर करेंगे:
१. ज़िम्मेदारी से बचना और
२. जो हम नहीं करना चाहते उसे करने से बचना
ये प्रवृत्तियाँ मानव स्वभाव में गहराई से समाहित हैं, लेकिन बाइबल इन पर विजय पाने के लिए शक्तिशाली सीख देती है।
C. जिम्मेदारी से बचना (बचना)
लोगों द्वारा बहाने बनाने का सबसे आम कारण जिम्मेदारी से बचना है। हम सभी इस भावना को जानते हैं—जिम्मेदारी डराने वाली हो सकती है, और असफलता या अपर्याप्तता का डर अक्सर हमें इसे पूरी तरह से टालने के लिए प्रेरित करता है। मूसा का जीवन इस तरह के टालने का एक सम्मोहक उदाहरण प्रस्तुत करता है।
मूसा: निरुत्साहित अगुवा
मूसा का पालन-पोषण उल्लेखनीय था। वह एक बालक के रूप में मृत्यु से बच गया, फिरौन के महल में पला-बढ़ा, और मिस्र में सबसे बेहतरीन शिक्षा और संसाधन प्राप्त किए। फिर भी, जब परमेश्वर ने मूसा को इस्राएलियों को मिस्र से बाहर निकालने के लिए बुलाया, तो वह बहाने बनाने में तत्पर था।
निर्गमन ३:१० में, परमेश्वर ने मूसा से कहा, "इसलिथे आ, मैं तुझे फिरौन के पास भेजता हूं कि तू मेरी इस्राएली प्रजा को मिस्र से निकाल ले आए।" यह मूसा के विधान का क्षण था, वह समय जब वह उस उद्देश्य को पूरा कर सकता था जिसके लिए परमेश्वर ने उसे तैयार किया था। लेकिन आगे आने के बजाय, मूसा ने बहाने बनाकर जिम्मेदारी से बचने की कोशिश की:
- "मैं सक्षम नहीं हूँ, मुझमें प्रतिभा नहीं है" – "मै कौन हूं जो फिरौन के पास जाऊं, और इस्राएलियोंको मिस्र से निकाल ले आऊं ?" (निर्गमन ३:११)।
- "वे मेरी बात पर विश्वास नहीं करेंगे"– "कि वे मेरी प्रतीति न करेंगे और न मेरी सुनेंगे, वरन कहेंगे, कि यहोवा ने तुझ को दर्शन नहीं दिया।" (निर्गमन ४:१)।
- "मैं अच्छा वक्ता नहीं हूँ"– "हे मेरे प्रभु, मैं बोलने में निपुण नहीं, न तो पहिले था, और न जब से तू अपने दास से बातें करने लगा; मैं तो मुंह और जीभ का भद्दा हूं।" (निर्गमन ४:१०)।
- "कोई और यह कर सकता है (किसी और को भेज)" – "हे मेरे प्रभु, जिस को तू चाहे उसी के हाथ से भेज।" (निर्गमन 4:13)।
मूसा अपने सामने मौजूद कार्य की विशालता से व्याकुल था। उसके बहाने व्यक्तिगत-संदेह और असफलता के डर में निहित थे। हालाँकि, ये बहाने परमेश्वर को अच्छे नहीं लगे। निर्गमन ४:१४ में, हम पढ़ते हैं, "तब यहोवा का कोप मूसा पर भड़का...." परमेश्वर ने मूसा को उसकी ज़रूरत की हर चीज़ मुहैया कराई थी, लेकिन मूसा की ज़िम्मेदारी स्वीकार करने की अनिच्छा ने परमेश्वर को नाराज़ कर दिया।
अगर मूसा बहाने बनाना जारी रखता, तो वह अपने विधान से चूक जाता। इसके बजाय, उसने अंततः अपनी ज़िम्मेदारी स्वीकार की, और इस्राएलियों को मिस्र से बाहर निकालकर आज़ादी दिलाई।
D. वह करने से बचना जो हम नहीं करना चाहते
लोगों द्वारा बहाने बनाने का एक और कारण यह है कि वे बस कुछ ऐसा करने से बचना चाहते हैं जो वे नहीं करना चाहते। यह टालना अक्सर गलत प्राथमिकताओं या प्रतिबद्धता की कमी का चिन्ह होता है। प्रभु यीशु ने बहाने के बारे में एक शक्तिशाली दृष्टांत में इस मुद्दे को संबोधित किया।
बड़ी जेवनार (पर्व) का दृष्टांत
लूका १४:१६-२० में, यीशु एक ऐसे व्यक्ति की कहानी बताता है जिसने एक बड़ी जेवनार तैयार की और कई मेहमानों को आमंत्रित किया। हालाँकि, जब जेवनार का समय आया, तो आमंत्रित मेहमानों ने बहाने बनाने शुरू कर दिए:
- “मैंने ज़मीन का एक टुकड़ा खरीदा है और मुझे इसे देखने जाना है” – “पर वे सब के सब क्षमा मांगने लगे, पहिले ने उस से कहा, मैं ने खेत मोल लिया है; और अवश्य है कि उसे देखूं: मैं तुझ से बिनती करता हूं, मुझे क्षमा करा दे।” (लूका १४:१८)।
- “मैंने पाँच जोड़ी बैल खरीदे हैं, और मैं उन्हें आजमाने जा रहा हूँ” – “मैं ने पांच जोड़े बैल मोल लिए हैं: और उन्हें परखने जाता हूं : मैं तुझ से बिनती करता हूं, मुझे क्षमा करा दे।” (लूका १४:१९)।
- “मैंने विवाह कर ली है, इसलिए मैं नहीं आ सकता” – “एक और ने कहा; मै ने ब्याह किया है, इसलिये मैं नहीं आ सकता।” (लूका १४:२०)।
इन व्यक्तियों को एक बड़ी दावत के लिए व्यक्तिगत निमंत्रण मिला था, फिर भी उन्होंने निमंत्रण पर अपने हितों को प्राथमिकता देना चुना। उनके बहाने से पता चला कि, वे बस भाग नहीं लेना चाहते थे। ज़मीन, बैल और यहाँ तक कि नई विवाह भी निमंत्रण स्वीकार करने की ज़िम्मेदारी से बचने के लिए सुविधाजनक बहाने थे।
यह दृष्टांत एक शक्तिशाली सत्य को दर्शाता है: जब हम कुछ करने से बचने के लिए बहाने बनाते हैं, तो यह अक्सर हमारी इच्छा को परमेश्वर की इच्छा के साथ संरेखित करने की गहरी अनिच्छा को दर्शाता है। आमंत्रित मेहमानों के पास दावत में शामिल होने का हर अवसर था, लेकिन उन्होंने ऐसा न करने का निर्णय किया, जिससे उनकी प्रतिबद्धता और इच्छा की कमी उजागर हुई।
तो, समाधान क्या है? इसकी शुरुआत व्यक्तिगत-प्रतिबिंब से होती है। क्या हम ज़िम्मेदारी से बचने या किसी ऐसी चीज़ से बचने के लिए बहाने बना रहे हैं जिसे हम नहीं करना चाहते? अगर ऐसा है, तो समय आ गया है कि हम रुकें और अपने कार्यों पर पुनर्विचार करें। बहाने बनाने के बजाय, हमें अपनी ज़िम्मेदारियों को स्वीकार करना चाहिए और अपनी इच्छाओं को परमेश्वर की इच्छा के साथ जोड़ना चाहिए।
प्रार्थना
स्वर्गीय पिता, हमें बहानेबाजी छोड़ने और आपने हमें जो ज़िम्मेदारियाँ सौंपी हैं, उन्हें स्वीकार करने में मदद कर। हमारे ह्रदय को अपकी इच्छा के साथ जोड़ें दें, और हमें आपकी बल पर भरोसा करते हुए, जहाँ आप अगुवाई करें, वहाँ चलने का साहस दें। यीशु के नाम में। आमीन।
Join our WhatsApp Channel
Most Read
● परमेश्वर के मंदिर में खंभा● २१ दिन का उपवास: दिन ०६
● अगले स्तर पर जाना
● प्रेम का सच्चा स्वरूप (स्वाभाव)
● २१ दिन का उपवास: दिन १७
● समर्पण में स्वतंत्रता
● आत्मिक आदतें
टिप्पणियाँ