डेली मन्ना
दिन २६: ४० दिन का उपवास और प्रार्थना
Tuesday, 17th of December 2024
35
29
261
Categories :
उपवास और प्रार्थना
मैं शुभ सुसमाचार सुनूंगा
"तब स्वर्गदूत ने उन से कहा, मत डरो; क्योंकि देखो मैं तुम्हें बड़े आनन्द का सुसमाचार सुनाता हूं जो सब लोगों के लिये होगा।" लूका २:१०
यीशु का जन्म मानव जाति के लिए शुभ समाचार (अच्छी खबर) है। यह उद्धार के आगमन, परमेश्वर के राज्य, परमेश्वर की महिमा और परमेश्वर के आशीष का प्रतीक है।
हर एक विश्वासी को सुसमाचार का संदेश सौंपा गया है, जो परमेश्वर के राज्य की शुभ समाचार और मसीह के बारे में शुभ समाचार है। शुभ समाचार हमें मिलने वाली उद्धार का अभिन्न अंग है, क्योंकि उद्धार अपने आप में शुभ समाचार है।
हमारा मुख्य वचन, लूका अध्याय २ में, हम देखते हैं कि स्वर्गदूत चरवाहों के लिए शुभ समाचार लेकर आया। स्वर्गदूत इलीशिबा के लिए भी शुभ समाचार लेकर आया (लूका १:२६-२७)। पूरे पवित्रशास्त्र में, हम स्वर्गदूतों को लोगों के लिए शुभ समाचार लाते हुए भी देखते हैं। शिमशोन के जन्म के संबंध में, स्वर्गदूत ने शिमशोन की मां को शुभ समाचार दिया (न्यायियों १३:३)।
हमारे लिए शुभ समाचार सुनना परमेश्वर की इच्छा है। यशायाह ४३, पद १९ में, परमेश्वर कहते हैं, 'देखो, मैं एक नई बात करता हूं।' परमेश्वर का हर एक कार्य शुभ समाचार बन जाता है। परमेश्वर इस वर्ष और इस समय में आपके जीवन में एक नया कार्य करना चाहता हैं। आपको इसमें विश्वास के साथ ध्यान देना होगा ताकि आप उन आशीषों को प्राप्त कर सकें जो परमेश्वर ने आपके लिए दिए हैं।
नीतिवचन १५:३० कहता है, 'आंखों की चमक से मन को आनन्द होता है, और अच्छे समाचार से हड्डियां पुष्ट होती हैं।'
शुभ समाचार के प्रभाव क्या हैं?
१. यह आपका विश्वास बढ़ा सकता है। शुभ समाचार आपका विश्वास बढ़ाती है। जब भी हम कोई शुभ समाचार सुनते हैं, तो परमेश्वर में हमारा विश्वास मजबूत होता है, सशक्त होता है, परमेश्वर के प्रति हमारे मन में जोश भी जागता है। इसीलिए कलीसिया में लोगों के लिए गवाही साझा करने के अवसर होते हैं। गवाहियाँ आपके विश्वास को बढ़ाने के लिए होती हैं।
२. यह आनंद और उत्सव लाता है। जब आप शुभ समाचार सुनते हैं, तो आनंद मिलती है। बुरी खबर दुख, पीड़ा, रोना और पछतावा लाती है, लेकिन शुभ समाचार आनंद और उत्सव लाती है।
३. यह आपकी आत्मा को पुनर्जीवित करता है। शुभ समाचार आपकी आत्मा को पुनर्जीवित करने का एक तरीका है, जिससे आप खुश और आनंदित होते हैं। जब आप शुभ समाचार सुनते हैं तो आप जीवित हो जाते हैं। टूटी हुई आत्मा बुरी खबर का परिणाम है। बुरी ख़बरें मानवीय मनोबल को तोड़ सकती हैं और आशा को कुचल सकती हैं। लेकिन शुभ समाचार आपकी आत्मा को मजबूत करती है और परमेश्वर में आपकी आशा को नया करती है।
४. यह आपको साहसी और परमेश्वर पर भरोसा दिलाता है। यदि आप हर समय शुभ समाचार सुनते रहेंगे तो आप अधिक साहसी और आत्मविश्वासी बनेंगे। लेकिन जब आप बार-बार बुरी ख़बरें सुनेंगे, इससे पहले कि आपको पता चले कि क्या हो रहा है, आप परमेश्वर की सामर्थ के प्रति संदिग्ध हो जायेंगे। आत्मविश्वास बनाए रखने के लिए आपको इच्छानुरूप शुभ समाचार सुननी चाहिए।
आपको यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आप बुरी ख़बरों को अपने जीवन पर प्रभाव नहीं डालने दें। इसलिए, हमारी जिम्मेदारी है कि हम खुद को शुभ समाचार सुनने और शुभ समाचार की उम्मीद करने के लिए तैयार करें।
५. यह आपके ह्रदय को आशीष देता है। जब हम बुरी खबर सुनते हैं, तो हमारा ह्रदय कमजोर और बोझिल हो जाता है। लेकिन शुभ समाचार आपको आशीष देती है, आपके ह्रदय को आशीष देती है।
६. शुभ समाचार आशीष और लाभ के साथ आता है। यदि आप किसी कार्यालय में हैं और आप यह खुशखबरी सुनते हैं कि आपकी पदोन्नति हो रही है, तो वह पदोन्नति एक वरदान है और लाभ के साथ आती है। क्योंकि अब आपको कुछ विशेषाधिकार प्राप्त होंगे जो आपको अपनी पिछली स्थिति में नहीं प्राप्त थे।"
तो, शुभ समाचार हमें आशीष देती है। जब हम शुभ समाचार सुनते हैं तो यह हमारे लिए आशीष होता है। जब आप कहते हैं, 'मैं शुभ समाचार सुनूंगा,' तो आप प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से अपने जीवन में आशीष के लिए प्रार्थना कर रहे हैं।
७. यह दुनिया पर हमारी विजय को प्रकट करता है। तो इस नए वर्ष में परमेश्वर आपको शुभ समाचार देंगे. आप जहां भी जाएंगे, आपको शुभ समाचार सुनने को मिलेगा।
जब आप बाहर जाएंगे तो आपको शुभ समाचार सुनने को मिलेगा। जब आप अंदर आएंगे तो आपको शुभ समाचार सुनाई देगी। आप यीशु मसीह के नाम में हर जगह शुभ समाचार सुनेंगे।
नीतिवचन २५:२५ कहता है, 'जैसा थके मान्दे के प्राणों के लिये ठण्डा पानी होता है, वैसा ही दूर देश से आया हुआ शुभ समाचार भी होता है।' शुभ समाचार आपके जीवन को तरोताजा कर देती है, आपकी आत्मा को तरोताजा कर देती है। यह आपके लिए आनंद, शक्तिशाली और उत्पादक बने रहने के लिए आवश्यक चीज़ है।
Bible Reading Plan : 1 Corinthians 2-9
प्रार्थना
हर एक प्रार्थना अस्त्र को तब तक दोहराएं जब तक कि यह आपके हृदय से गूंज न जाए। उसके बाद ही आपको अगले अस्त्र पर आगे बढ़ना चाहिए। प्रार्थना मुद्दे को व्यक्तिगत रूप से करें, और आगे बढ़ने से पहले सुनिश्चित करें कि यह वास्तव में पूर्णहृदय से है, हर एक प्रार्थन मुद्दे के लिए कम से कम एक मिनट समर्पित करें।
१. जब मैं बाहर जाऊंगा और जब अंदर आऊंगा तो यीशु मसीह के नाम में शुभ समाचार सुनूंगा। मैं जहां भी जाऊंगा, मुझे यीशु के नाम में शुभ समाचार सुनाई देगा।
२. परमेश्वर के दूतों, जाओ और मेरे लिए शुभ समाचार लाओ। जाओ और यीशु के नाम में मेरे लिए साक्ष्य जुटाओ।
३. मेरे लिए बुरी खबर को बांध रखने वाली कोई भी शक्ति, मैं इसे यीशु मसीह के नाम में रद्द करता हूं। अंधकार का कोई भी जासुस जो मेरी खुशी को खत्म करना चाहता है और मुझे रोने पर मजबूर करता है, मैं यीशु के नाम में उसके कार्यों को विफल कर देता हूं।
४. इस महीने में मुझे पदोन्नति की शुभ सुसमाचार सुनने को मिलेगी। मैं गवाही और आशीष की शुभ सुसमाचार यीशु के नाम में सुनूंगा।
५. मैं पृथ्वी के चारों ओर को आदेश देता हूं कि उन तक परमेश्वर की हवा चले, और यीशु के नाम में मेरे पास अच्छी खबर आये।
६. हे प्रभु, मुझे अपने पवित्रस्थान से सहायता भेज। इस वर्ष, यीशु के नाम में, हर मृत आशा और आकांक्षा जीवित रहेगी।
७. जहाँ मुझे अस्वीकार कर दिया गया है, यीशु के नाम में, मुझसे संपर्क किया जाएगा और स्वीकार किया जाएगा। मैं यीशु के नाम में अपने जीवन से अस्वीकार हर आत्मा को तोड़ता हूँ।
८. पिता, मेरी भलाई के लिए सब कुछ एक साथ मिलकर कार्य कर। समय को, ऋतुओं को, लोगों को, पृथ्वी के तत्वों को, यीशु के नाम में मेरी भलाई के लिए सब कुछ एक साथ कार्य करना शुरू करने दें।
९. पिता, मेरे लिए आवाज़ (वाणी) उठाएं - निर्णय के स्थान पर मदद की आवाज़, सिफ़ारिश की आवाज़, समर्थन की आवाज़, वह आवाज़ जो मेरे जीवन के लिए संसाधन जारी करेगी। पिता, इस वर्ष, यीशु के नाम में, मेरे लिए आवाज़ें उठाएं।
१०. मैं इस वर्ष अपने जीवन में अस्वीकार, निराशा, देरी, कष्ट और परेशानियों को यीशु के नाम में आने से रोकता हूं। आमेन।
Join our WhatsApp Channel
Most Read
● धार्मिकता का वस्त्र● अपनी सफलता (आश्चार्यक्रम) प्राप्त करें
● आपकी आत्मा का पुनःस्थापन
● समृद्धि की भूली हुई कुंजी
● पृथ्वी का नमक
● परमेश्वर के 7 आत्मा: परमेश्वर की आत्मा
● क्या किसी अगुआ के गिराने के कारण हमें हार माननी चाहिए?
टिप्पणियाँ