डेली मन्ना
दिन २७: ४० दिन का उपवास और प्रार्थना
Wednesday, 18th of December 2024
33
28
304
Categories :
उपवास और प्रार्थना
पवित्र आत्मा के साथ सहभागिता
"और मैं पिता से बिनती करूंगा, और वह तुम्हें एक और सहायक (सलहाकार, सहायक, मध्यस्थ, वकील, दृढ़ करनेवाला और समर्थन करनेवाला) देगा, कि वह सर्वदा तुम्हारे साथ रहे।" यूहन्ना १४:१६
पवित्र आत्मा एक व्यक्ति है और दैवीय (त्रीत्व) का एक हिस्सा है। हालाँकि उनके बारे में पवित्रशास्त्र में और परमेश्वर के विभिन्न अभिषिक्त जनों द्वारा बहुत सी बातें लिखी गई हैं, लेकिन परमेश्वर के दासों द्वारा उन अभिषिक्त पुस्तकों में उनके बारे में अभी भी बहुत कम कहा गया है, इसकी तुलना में कि हमें उनके बारे में कितना कहना चाहिए।
संक्षेप में, हमें पवित्र आत्मा के बारे में बहुत कुछ कहने की जरुरत है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में हमने उनके बारे में बहुत कम कहा है। पवित्र आत्मा दैवीय में तीसरा व्यक्ति है, और उनकी भूमिका को कम नहीं किया जा सकता है और न ही उन्हें कम किया जाना चाहिए।
आरंभ में, परमेश्वर की आत्मा मण्डलाता था (उत्पत्ति १:२)। परमेश्वर की आत्मा सृष्टि के समय सक्रिय थी। आज, मेरी इच्छा है कि हम पवित्र आत्मा के साथ सहभागिता करें और उनके साथ संगति में बने रहें।
पवित्र आत्मा कौन है?
१. पवित्र आत्मा परमेश्वर है। वह दैवीय का हिस्सा है - परमेश्वर पिता, परमेश्वर पुत्र, और परमेश्वर पवित्र आत्मा।
वह एक व्यक्ति है, और वह परमेश्वर है. पवित्र आत्मा कोई शक्ति नहीं है, जैसा कि कुछ लोग गलती से मान लेते हैं। वह अग्नि, पक्षी, कबूतर या पानी नहीं है। हालाँकि ये चीज़ें प्रतीक हो सकती हैं जिनका उपयोग वह अपने व्यक्तित्व या सामर्थ को प्रदर्शित करने के लिए करता है, लेकिन वे वह नहीं हैं जो वह है।
वह परमेश्वर है, और वह एक व्यक्ति है। उनकी भावनाएँ हैं; वह महसूस कर सकता है, दुखी हो सकता है और आनंद हो सकता है। वह बोल सकता है—ये सभी जीवन के लक्षण हैं।
२. पवित्र आत्मा हमारे भीतर परमेश्वर की आत्मा है। दुनिया में विभिन्न प्रकार की आत्माएँ हैं, जैसे मानवीय आत्माएँ, स्वर्गदूत आत्माएँ और दुष्ट आत्माएँ। पवित्र आत्मा हमारी आत्माओं में निवास करने वाली परमेश्वर की आत्मा है।
३. वह हमारे जीवन में परमेश्वर के जीवन, प्रेम, स्वभाव और सामर्थ को छोड़ता है। हमारे जीवन में उनकी उपस्थिति हमें परमेश्वर के जीवन से ऊर्जा शक्ति करती है। पवित्र आत्मा की उपस्थिति के माध्यम से, हम परमेश्वर के प्रेम और स्वभाव से भर जाते हैं, और परमेश्वर की सामर्थ हमारे जीवन में निवास करती है।
४. वह अनंतकाल है. पवित्र आत्मा, पिता परमेश्वर और पुत्र परमेश्वर की तरह, मर नहीं सकता। उनका न कोई आरंभ है और न कोई अंत। बाकी सब कुछ बनाया गया - मनुष्य, देवदूत, दुष्ट, सृष्टि, स्वर्ग और पृथ्वी।
परमेश्वर ने शैतान या दुष्टों को नहीं बनाया जैसा कि वे अब हैं; उन्होंने उन्हें स्वर्गदूतों के रूप में बनाया। समय के साथ, वे पलायन कर गए और शैतान और दुष्ट बन गए। हालाँकि, पवित्र आत्मा अनंतकाल है; वह जीवन की आत्मा है (ज़ो)। वह मर नहीं सकता और परमेश्वर की तरह उनका कोई आरंभ या अंत नहीं है। तो, वह अनंतकाल है.
५. पवित्र आत्मा परमेश्वर को प्रसन्न करने में हमारी सहायता करता है। यही उनकी भूमिका है; वह एक सहायक है.
६. वह हमारे प्रार्थना जीवन में हमारी सहायता करता है (रोमियो ८:२६)। ये वो चीज़ें हैं जो पवित्र आत्मा एक विश्वासी के जीवन में सक्रिय रूप से कर रहा है।
७. वह असंभव को संभव करने में हमारी मदद करता है, असंभव को संभावनाओं में बदलने में माहिर है।
८. पवित्र आत्मा शत्रु पर विजय पाने में हमारी सहायता करता है। यशायाह ५९:१९ में कहा गया है कि जब शत्रु बाढ़ की तरह आता है, तो परमेश्वर की आत्मा उनके विरुद्ध एक मानक खड़ा करता है। परमेश्वर की आत्मा शत्रु पर विजय पाने में हमारी सहायता करता है।
९. वह हमारे जीवन के लिए परमेश्वर की उत्तम योजना में हमारी अगुवाई करता है।
हमारे वर्तमान समय में पवित्र आत्मा के सात प्रमुख सेवकाई क्या हैं?
एम्प्लीफाइड ट्रांसलेशन में यूहन्ना 14:16 के अनुसार, यह पवित्र आत्मा के सात महत्वपूर्ण पहलुओं को प्रकट करता है।
- वह दिलासा देनेवाला है
- सलाहकार
- सहायक
- मध्यस्थ
- वकील
- दृढ़ करनेवाला
- समर्थन करनेवाला
ये पवित्र आत्मा के सात सेवकाई हैं। उन्हें समझने से आप इन विभिन्न क्षेत्रों में उनके साथ सहभागिता कर सकते हैं।
तो, आइए पहले उन पर नजर डालें:
१. वह दिलासा देनेवाला है। जब आप पवित्र आत्मा के साथ सहभागिता करते हैं, तो आप विश्राम सवकाई का आनंद ले सकते हैं। कई बार लोग आपको समझ नहीं पाते। लेकिन जब आप पवित्र आत्मा के साथ सहभागिता करते हैं, तो वह आपको सांत्वना देता है, क्योंकि उस समय, मनुष्य मदद नहीं कर सकता था। मनुष्य का बात आपको दुःख पहुँचा सकता है परन्तु पवित्र आत्मा का वचन आपको शान्ति देता है।
२. वह एक सलहाकार है। हमेशा ऐसा समय आएगा जब आप नहीं जानते होंगे कि क्या करना है। पवित्र आत्मा के साथ सच्चे सहभागिता के माध्यम से, आप आगे बढ़ने की दिशा और क्या करना है, इस बारे में सलाह प्राप्त कर सकते हैं।
३. वह आपका सहायक है। जब आप पवित्र आत्मा के साथ सहभागिता करते हैं, तो आप समय पर सहायता का आनंद लेंगे। जरूरत के समय आपकी मदद होगी।
४. वह आप के लिए मध्यस्थी करनेवाला है। पवित्र आत्मा आपके जीवन के लिए परमेश्वर की सिद्ध इच्छा के अनुसार आपके लिए प्रार्थना कर रहा है (रोमियो ८:२६)। मैं अन्य भाषाओं में प्रार्थना करने में विश्वास करता हूं। जब हम अन्य भाषा में प्रार्थना करते हैं, तो पवित्र आत्मा हमें मध्यस्थी करने में मदद करता है। वह कराहते हुए प्रार्थना करता है और हमारे लिए वकालत करता है। वह हमारे लिये मध्यस्थी करता है। ये पवित्र आत्मा के सर्वकाइ हैं, और जब हम उनके साथ सहभागिता कर रहे हैं, तो हम उनके व्यक्तित्व और उनके सेवकाई का आनंद लेने की स्थिति में हैं। पवित्र आत्मा के साथ सहभागिता पवित्र आत्मा के साथ संगती है।
यह वह समय है जब आप उनके साथ संगति करते हैं, और जैसे ही आप उनके साथ संगति करते हैं, वे सात सेवकाई सक्रिय हो जाते हैं जिन्हें उसे आपके जीवन में पूरा करना है।
आप किन तरीकों से पवित्र आत्मा के साथ सहभागिता कर सकते हैं?
१. उन्हें स्मरण करें।
नीतिवचन ३ पद ६ में कहा गया है, "उसी को स्मरण करके सब काम करना।" वह एक विश्वासी के रूप में आपके अंदर है, लेकिन यदि आप उन्हें स्मरण नहीं करते हैं, तो आप उनकी संगति, साहचर्य और सेवकाई का आनंद नहीं ले पाएंगे।
२. उनकी आज्ञा मानो।
आज्ञा का उल्लंघन और पाप पवित्र आत्मा को दुःखी करते हैं (इफिसियों ४:३०)। जब आप पापपूर्ण कार्य में संलग्न होते हैं या उसके निर्देशों की लापरवाही करते हैं, तो आप परोक्ष और प्रत्यक्ष रूप से पवित्र आत्मा को दुःखी कर रहे हैं।
३. उनसे प्रश्न पूछें.
यिर्मयाह ३३ पद ३ कहता है, मुझ से प्रार्थना कर और मैं तेरी सुन कर तुझे बढ़ी-बड़ी और कठिन बातें बताऊंगा जिन्हें तू अभी नहीं समझता।" वह आपकी मदद करने के लिए वहां मौजूद है। जब आप कठिनाई का सामना कर रहे हों तो प्रार्थना करना अच्छी बात है, लेकिन प्रश्न पूछना प्रार्थना से अलग है। पूछताछ की प्रार्थना का मतलब है कि आप पवित्र आत्मा से पूछ रहे हैं, "पवित्र आत्मा, मुझे इस चीज़ के बारे में क्या करना चाहिए? यह व्यक्ति कौन है? मुझे कहां जाना चाहिए?" जब आप ये प्रश्न पूछते हैं, तो आप उनके साथ सहभागिता कर रहे होते हैं, और वह आपको उत्तर देगा क्योंकि उनके पास एक वाणी है और वह एक व्यक्ति के रूप में बोलता है।
४. उन पर निर्भर रहो।
केवल अपनी बुद्धि पर भरोसा मत करो, डॉक्टर या विशेषज्ञ आपको क्या बता रहे हैं, या आप अपनी शारीरिक आँखों से क्या देखते हैं और स्वाभाविक क्षेत्र के तथ्यों पर निर्भर न रहें। पवित्र आत्मा पर निर्भर रहो। यशायाह ४२:१६ कहता है, "मैं अन्धों को एक मार्ग से ले चलूंगा जिसे वे नहीं जानते और उन को ऐसे पथों से चलाऊंगा जिन्हें वे नहीं जानते। उनके आगे मैं अन्धियारे को उजियाला करूंगा और टेढ़े मार्गों को सीधा करूंगा। मैं ऐसे ऐसे काम करूंगा और उन को न त्यागूंगा।"
पवित्र आत्मा आपको यशायाह ४२, पद १६ को पूरा करने में मदद करने के लिए दिया गया है ताकि आप अब अंधे न रहें। अब आप देख सकते हैं क्योंकि जब आप उनके साथ सहभागिता करते हैं तो वह आपको चीजें दिखाता है। जब आप उनके साथ सहभागिता करते हैं, तो वह आपको उन मार्गों पर ले जाता है जिन्हें आप नहीं जानते हैं। अंधकार प्रकाश में बदल जाता है, और टेढ़ी-मेढ़ी चीजें सीधी हो जाती हैं क्योंकि आप उनके साथ सहभागिता कर रहे हैं। परमेश्वर ने वादा किया है कि वह आपको कभी नहीं छोड़ेगा या आपको कभी नहीं त्यागेगा, लेकिन आपको उनके द्वारा दिए गए हर वादे का आनंद लेने के लिए उनके साथ सहभागिता करना चाहिए। पवित्र आत्मा वहाँ है। मैं चाहता हूं कि आप उनके साथ सहभागिता करें। अपने जीवन में उनकी उपस्थिति के प्रति सचेत रहें।
एक बार जब आप ये सभी चीजें कर रहे हैं, तो आप मसीह, पवित्र आत्मा की समझ में विकसित होंगे, और आप पवित्र आत्मा के सेवकाई और व्यक्तित्व का आनंद लेंगे।
Bible Reading Plan : 1 Corinthians 10 - 15
प्रार्थना
हर एक प्रार्थना अस्त्र को तब तक दोहराएं जब तक कि यह आपके हृदय से गूंज न जाए। उसके बाद ही आपको अगले अस्त्र पर आगे बढ़ना चाहिए। प्रार्थना मुद्दे को व्यक्तिगत रूप से करें, और आगे बढ़ने से पहले सुनिश्चित करें कि यह वास्तव में पूर्णहृदय से है, हर एक प्रार्थन मुद्दे के लिए कम से कम एक मिनट समर्पित करें।
१. पिता, मैं आपके पास आता हूं और अपनी स्वतंत्रता पर पश्चाताप करता हूं। हे परमेश्वर, मैं अपने आप को आपके नम्र करता हूं, और मैं अपने जीवन में आपकी पवित्र आत्मा को स्वीकार करता हूं।
२. हे प्रभु, मुझे हर दिन और हर समय अपनी पवित्र आत्मा के साथ सहभागिता करने की कृपा दें, यीशु के नाम में।
३. पवित्र आत्मा, मुझे वह क्षेत्र दिखा जहां मैं इसे अपने जीवन, परिवार, व्यवसाय, स्वास्थ्य और प्रगत्ति में खो रहा हूं, यीशु के नाम में।
४. पवित्र आत्मा, मेरी सहायता कर। मुझे जरूरत है। मैं इसे अकेले नहीं कर सकता. मुझे, यीशु के नाम में आपकी सहायता की जरुरत है।
५. पवित्र आत्मा, मेरे कान खोल ताकि मैं आपको सुनना शुरू कर सकूँ, मेरी आँखें खोल ताकि मैं आपको देखना शुरू कर सकूँ, मेरी समझ खोल ताकि मैं आपको जानना शुरू कर सकूँ, यीशु के नाम में।
६. कुछ मिनट तक अन्य भाषा में प्रार्थना करें।
७. पवित्र आत्मा, मेरी समझ की आँखों को प्रकाश दे। मुझे मजबूत कर ताकि मैं यीशु के नाम में मुक्ति के धन को जान सकूं।
८. पिता, मैं अपने जीवन में आनंद की आत्मा के प्रवाह की प्रार्थना करता हूं ताकि मैं, अपने जीवन के सभी दिनों में खुश रहूं, आनंद और शक्ति से भरा रहूं, यीशु के नाम में।
९. मैं, अपने जीवन में ठहराव और आत्मिक सूखापन की आत्मा को यीशु मसीह के नाम में तोड़ता हूं।
१०. मुझे पवित्र आत्मा के साथ चलने, पवित्र आत्मा के साथ सहकर्मी बनने और अपने जीवन के सभी क्षेत्रों में यीशु के प्रभुत्व के प्रति समर्पण करने का अनुग्रह यीशु के नाम में प्राप्त होता है।
Join our WhatsApp Channel
Most Read
● होशियार (बुद्धिमानी) से काम करना● विश्वासियों का राज-पदधारी याजक
● दूसरा (एक और) अहाब मत बनो
● परमेश्वर कैसे प्रदान करता है #३
● दिन ०५: ४० दिन का उपवास और प्रार्थना
● गिनती शुरू
● आत्मिक अनुशासन का स्वाभाव – २
टिप्पणियाँ