डेली मन्ना
                
                    
                        
                
                
                    
                        
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            आराधना को एक जीवन शैली बनाना
Monday, 24th of February 2025
                    
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                                आराधना 
                            
                        
                                                
                            
                                एस्तेर का रहस्य: श्रृंखला
                            
                        
                                                
                    
                            
                    उसी प्रकार तुम्हारा उजियाला मनुष्यों के सामने चमके कि वे तुम्हारे भले कामों को देखकर तुम्हारे पिता की, जो स्वर्ग में हैं, बड़ाई करें। (मत्ती ५:१६)
एक बार जब आपने दैनिक आधार पर प्रभु की उपस्थिति में प्रवेश करना सीख लिया, तो आप फिर पहले की तरह कभी नहीं होंगे। परिस्थितियाँ और चीज़ें प्रभु के दृष्टि से बिलकुल अलग दिखती हैं। यह आपके व्यवहार करने के तरीके, आपके बात करने के तरीके इत्यादि को बदलती है। दूसरे शब्दों में, यह आपके द्वारा अब तक जीने के तरीके को बदल देता है। एस्तेर, साधारण किसान लड़की ने राजा के साथ एक रात के लिए एक पूरे साल तैयारी किया।
उसे इस बात की कोई गारंटी नहीं थी कि वह उस एक मुलकात के बाद उसे फिर से देखेगा। नतीजे के बारे में न सोचते हुए उसने खुद को तैयार किया। जिस पल उसकी तैयारी का समय था, वह राजा की उपस्थिति में गई थी और उसके बाद से वह एक 'किसान लड़की' नहीं बल्कि 'विजयी देश' की रानी थी। उस दिन के बाद से वह आगे बढ़ती, बोलती रही और अपने आप को उस रानी की तरह लेकर चली, जो वह बन गई थी।। उसकी तैयारी ही उसकी जीवन शैली बन गई।
याद रखें, आराधना केवल एक ऐसी चीज नहीं है जो एक प्रार्थना सभा या एक चर्च सेवा में एक या दो घंटे के लिए होती है या जब हम परमेश्वर की उपस्थिति में अकेले समय बिताते हैं। यह हमारी जीवन शैली बन जानी चाहिए। आप जहां भी जाएं, जो कुछ भी करें, उसमें पूजा की सुगंध होनी चाहिए- चाहे परिस्थितियां कैसी भी क्यों न हों। क्योंकि राजा अपने पवित्र आत्मा के द्वारा हम में वास करता है, हम जहां कहीं भी जाते हैं, हम उनकी उपस्थिति को अपने साथ ले जाते हैं। इसलिए हर दिन हर क्षण आराधना का अवसर और कारण बन जाता है।
आराधना वह नहीं है जो हम करते हैं; यह वह है कि हम कौन हैं! हम स्वभाव से आराधक हैं। राजा के पसंदीदा के रूप में, हमारे पूरे जीवन को आराधना की निरंतर क्रिया होनी चाहिए! मत्ती ५ में, प्रभु यीशु ने एक आराधक के चरित्र का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि वे मन के दीन हैं। शोकाकुल (संसार के पाप पर), नम्र (कोमल), धार्मिकता के लिए भूखे और प्यासे, दयालु, मन के पवित्र और मेल करनेवाले हैं। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें धार्मिकता के लिए सताया जाते है। संक्षेप में, वे अपने पिता, राजा के चरित्र का प्रदर्शित करते हैं।
दूसरे शब्दों में, हम जो कुछ भी करते हैं या कहते हैं वह उनके नाम और चरित्र की महिमा को दर्शाना चाहिए। अपने आप से यह सवाल पूछें: क्या मेरा दैनिक जीवन आराधना का निरंतर कार्य है? क्या मेरे शब्द और व्यवहार लोगों को प्रभु यीशु की ओर आकर्षित करता हैं या उन्हें दूर भगाता हैं? आपका उजियाला चमकने दे!
Bible Reading: Numbers 26-28
                
                                
                                एक बार जब आपने दैनिक आधार पर प्रभु की उपस्थिति में प्रवेश करना सीख लिया, तो आप फिर पहले की तरह कभी नहीं होंगे। परिस्थितियाँ और चीज़ें प्रभु के दृष्टि से बिलकुल अलग दिखती हैं। यह आपके व्यवहार करने के तरीके, आपके बात करने के तरीके इत्यादि को बदलती है। दूसरे शब्दों में, यह आपके द्वारा अब तक जीने के तरीके को बदल देता है। एस्तेर, साधारण किसान लड़की ने राजा के साथ एक रात के लिए एक पूरे साल तैयारी किया।
उसे इस बात की कोई गारंटी नहीं थी कि वह उस एक मुलकात के बाद उसे फिर से देखेगा। नतीजे के बारे में न सोचते हुए उसने खुद को तैयार किया। जिस पल उसकी तैयारी का समय था, वह राजा की उपस्थिति में गई थी और उसके बाद से वह एक 'किसान लड़की' नहीं बल्कि 'विजयी देश' की रानी थी। उस दिन के बाद से वह आगे बढ़ती, बोलती रही और अपने आप को उस रानी की तरह लेकर चली, जो वह बन गई थी।। उसकी तैयारी ही उसकी जीवन शैली बन गई।
याद रखें, आराधना केवल एक ऐसी चीज नहीं है जो एक प्रार्थना सभा या एक चर्च सेवा में एक या दो घंटे के लिए होती है या जब हम परमेश्वर की उपस्थिति में अकेले समय बिताते हैं। यह हमारी जीवन शैली बन जानी चाहिए। आप जहां भी जाएं, जो कुछ भी करें, उसमें पूजा की सुगंध होनी चाहिए- चाहे परिस्थितियां कैसी भी क्यों न हों। क्योंकि राजा अपने पवित्र आत्मा के द्वारा हम में वास करता है, हम जहां कहीं भी जाते हैं, हम उनकी उपस्थिति को अपने साथ ले जाते हैं। इसलिए हर दिन हर क्षण आराधना का अवसर और कारण बन जाता है।
आराधना वह नहीं है जो हम करते हैं; यह वह है कि हम कौन हैं! हम स्वभाव से आराधक हैं। राजा के पसंदीदा के रूप में, हमारे पूरे जीवन को आराधना की निरंतर क्रिया होनी चाहिए! मत्ती ५ में, प्रभु यीशु ने एक आराधक के चरित्र का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि वे मन के दीन हैं। शोकाकुल (संसार के पाप पर), नम्र (कोमल), धार्मिकता के लिए भूखे और प्यासे, दयालु, मन के पवित्र और मेल करनेवाले हैं। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें धार्मिकता के लिए सताया जाते है। संक्षेप में, वे अपने पिता, राजा के चरित्र का प्रदर्शित करते हैं।
दूसरे शब्दों में, हम जो कुछ भी करते हैं या कहते हैं वह उनके नाम और चरित्र की महिमा को दर्शाना चाहिए। अपने आप से यह सवाल पूछें: क्या मेरा दैनिक जीवन आराधना का निरंतर कार्य है? क्या मेरे शब्द और व्यवहार लोगों को प्रभु यीशु की ओर आकर्षित करता हैं या उन्हें दूर भगाता हैं? आपका उजियाला चमकने दे!
Bible Reading: Numbers 26-28
प्रार्थना
                
                    पिता, मैं आपसे आपको पूरे ह्रदय, मन और सामर्थ के साथ आपकी आराधना करने के वजह को मांगता हूं। मुझे आराधना की जीवन शैली में चलने दें। मैं जो कुछ भी करता हूं या कहता हूं वह आपकी महिमा और चरित्र को दर्शाए ताकि लोग प्रभु यीशु के प्रति आकर्षित हो सकें। मेरा उजियाला को चमकने दे। यीशु के नाम में। आमेन।                
                                
                
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