फिर तू इन सब लोगों में से ऐसे पुरूषों को छांट ले, जो गुणी, और परमेश्वर का भय मानने वाले, सच्चे, और अन्याय के लाभ से घृणा करने वाले हों; और उन को हज़ार-हज़ार, सौ-सौ, पचास-पचास, और दस-दस मनुष्यों पर प्रधान नियुक्त कर दे। (निर्गमन १८:२१)
निम्नलिखित निर्गमन १८:२१ का विवरण करनेवाल चित्र है,
दूसरे दिन मूसा लोगों का न्याय करने को बैठा, और भोर से सांझ तक लोग मूसा के आसपास खड़े रहे। (निर्गमन १८:१३)
जब मुझे पता चला कि आप अपना समय कहाँ बिताते हैं, तो मुझे पता है कि आपको क्या पसंद है। यही कारण है कि मूसा सुबह (भोर) से शाम (सांझ) तक लोगों को सलाह देने के लिए तैयार था - वह अपने लोगों से पूरे मन से प्रेम करता था। (निर्गमन १८:१३-१४ पढ़िए।)
अपने ससुर की यह बात मान कर मूसा ने उसके सब वचनों के अनुसार किया। (निर्गमन १८:२४)
मूसा की नम्रता इस बात में दिखाई देती है कि वह एक ऐसा व्यक्ति था जो उस व्यक्ति से भी सीखने को तैयार था जिसके पास अलौकिक अनुभव नहीं था।
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Chapters
- अध्याय १
- अध्याय २
- अध्याय ३
- अध्याय ४
- अध्याय ५
- अध्याय ६
- अध्याय ७
- अध्याय ८
- अध्याय ९
- अध्याय १०
- अध्याय ११
- अध्याय १२
- अध्याय १३
- अध्याय १४
- अध्याय १५
- अध्याय १६
- अध्याय १७
- अधाय १८
- अध्याय १९
- अध्याय २०
- अध्याय २१
- अध्याय २२
- अध्याय २३
- अध्याय २४
- अध्याय २५
- अध्याय २६
- अध्याय २७
- अध्याय २८
- अध्याय २९
- अध्याय ३०
- अध्याय ३१
- अध्याय ३२
- अध्याय ३३
- अध्याय ३४
- अध्याय ३५
- अध्याय ३६
- अध्याय ३७
- अध्याय ३८
- अध्याय ३९
- अध्याय ४०