फिर राजा सुलैमान मिस्र के राजा फ़िरौन की बेटी को ब्याह कर उसका दामाद बन गया, और उसको दाऊदपुर में लाकर जब तक अपना भवन और यहोवा का भवन और यरूशलेम के चारों ओर की शहरपनाह न बनवा चुका, तब तक उसको वहीं रखा। (१ राजा ३:१)
यह शायद राजनीतिक समझ बनाई, लेकिन आत्मिक समझ नहीं। यह सुलैमान के हिस्से में एक बड़ी गड़बड़ी थी।
और राजा गिबोन को बलि चढ़ाने गया, क्योंकि मुख्य ऊंचा स्थान वही था, तब वहां की वेदी पर सुलैमान ने एक हज़ार होमबलि चढ़ाए। गिबोन में यहोवा ने रात को स्वप्न के द्वारा सुलैमान को दर्शन देकर कहा, जो कुछ तू चाहे कि मैं तुझे दूं, वह मांग। (१ राजा ३:४-५)
सुलैमान ने परमेश्वर को एक ऐसा अर्पण किया जो उसके सामने आने के लिए परमेश्वर को उकसाता था। ध्यान दें, भेंट के लिए आधार 'प्रेम' था, (१ राजा ३:३)। इस भेंट ने न केवल सुलैमान की महान संपत्ति का प्रदर्शन किया, बल्कि उसका मन भी इसे परमेश्वर की महिमा करने के लिए इस्तेमाल किया।
तब सुलैमान जाग उठा; और देखा कि यह स्वप्न था। (१ राजा ३:१५)
हालाँकि, सुलैमान के स्वप्न में जो कुछ हुआ, उसने उसके वास्तविक जीवन को प्रभावित किया। (जैसा कि अगले दिन प्रकट था)
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